Muslim Dua in All Islamic Dua

सुबह और शाम में इन दुआओं को पढ़ना चाहिए : بِسمِ اللهِ الَّذِي لَا يَضُرُّ مَعَ اسْمِهِ شَيْءٍ فِي الْأَرْضِ وَلَا فِي السَّمَاءِ وَهُوَ السَّمِيعُ الْعَلِيمُ (تمن بار) 1. बिस्मिल्लाहिल्लज़ी ला यजुररू म- इसमिही शैउन फिल अर्ज वला फिस्समाई वहुवरसमीउल अलीम.  (तीन बार पढ़े)   तर्जुमा : अल्लाह के नाम से (शुरु करता हूँ) जिसके नाम से ज़मीन और आसमान की कोई चीज़ नुकसान नहीं पहुँचा सकती और वह खुब सुनने और जानने वाला है।  फाइदा : रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया जो बंदा रोज़ाना सुबह और शाम यह दुआ तीन बार पढ़े तो उस को कोई चीज़ नुकसान नहीं पहुँचा सकती।

शाम की दुआ: اَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللهِ التَّامَّاتِ مِنْ شَرِّ مَا خَلَقَ अजु-कलिमातिल्लाहित्ताम्माति मिन शर्रि मा खलक  तर्जुमा : मैं पनाह माँगता हूँ अल्लाह के पूरे कलिमों के ज़रीए तमाम मख़्लूक की बुराई से।  फाइदा : रसूलुल्लाह (ﷺ) के एक सहाबी को बिच्छू ने डंख मारा जिस की वजह से उन को बहुत तकलीफ हुई और आप के पास आकर अपनी तकलीफ बताने लगे । आप (ﷺ) ने फरमाया अगर शाम को यह दुआ पढ़ लेते तो यह तकलीफ न होती।  सुबह और शाम जिन सूरतों का पढ़ना मस्नून (सुन्नत) है: सूरह इख़्लास, सूरह फलक और सूरह नास (तीन तीन बार )  देखे: सूरह इख्लास | سورة الإخلاص देखे: सूरह फलक | سورة الفلق देखे: सूरह नास | سورة الناس फज़ीलत : रसूलुल्लाह (ﷺ) ने अपने एक सहाबी से फरमाया के सुब्ह और शाम तीन तीन बार सूरह इख़्लास और मुअव्विज़तैन (सूरह फलक और सूरह नास) पढ़ो, यह तुम्हें हर मुसीबत और परेशानी से बचाएगी।