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इस्लामिक बातें इस्लामिक ज्ञान - Islamic dua














एक लाजवाब कहानी ~ अपनों में छिपे गैरों को पेहचाने ...

एक लाजवाब कहानी ~ अपनों में छिपे गैरों को पेहचाने ... एक लाजवाब कहानी अपनों में छिपे गैरों को पेहचाने पुराने जमाने में जब अरबों के यहाँ शादी होती, तो प्राचीन रिवाज के अनुसार, वे दावत में शामिल होने वाले मेहमानों को खिलाने के लिए रोटी के अंदर भुना हुआ गोश्त का एक टुकड़ा लपेट कर पेश करते थे।   यदि किसी समारोह में घर के मुखिया को पता चलता कि उस शादी में शामिल होने वाले मेहमानों की संख्या दावत के लिए तैयार किए गए रोटी में लिपटे गोश्त के टुकड़ों की संख्या से अधिक है, या अधिक हो सकती है, तो वो खाने के वक़्त दो रोटियाँ बिना गोश्त के टुकड़े के एक दूसरे के साथ लपेट कर अपने घर के सदस्यों, करीबी रिश्तेदार या बेहद करीबी दोस्तों के हाथों में दे देते थे, जबकि रोटी में लिपटा हुआ गोश्त का टुकड़ा सिर्फ़ बाहर से आए मेहमानों को पेश किया जाता था। अब जिसके हाथ में भी बिना गोश्त के टुकड़े वाली सिर्फ़ रोटी में लिपटी हुई रोटी मिलती तो वो बिना किसी से कुछ कहे उसे ऐसे खाता की बाहर से आए मेहमानों को शक भी नहीं होता की इसे बिना गोश्त के टुकड़े वाली रोटी मिली है।   ऐसे ही एक बार एक गरीब आदमी के यहाँ शादी समारोह था। जिस में मेहमान अधिक आ गए। तैयार किए गए रोटी में लिपटे गोश्त के टुकड़ों की संख्या से मेहमानों की संख्या ज़्यादा हो गयी। तो उस गरीब आदमी ने एहतियात के तौर पर बग़ैर गोश्त के, रोटी के अंदर रोटी लपेट कर अपने घर के सदस्यों, करीबी रिश्तेदार और कुछ बेहद करीबी भरोसेमंद दोस्तों के हाथों में दे दिया। ताकि बाहर से आए मेहमानों को गोश्त के टुकड़ों वाली रोटी मिल सके और किसी तरह की भी शर्मिंदगी से बचा जा सके।   अब जिनको सिर्फ़ रोटी में लिपटी रोटी मिली थी उन्होंने उसे ऐसे खाना शुरू कर दिया जैसे कि सबको लगे कि वो गोश्त के टुकड़े वाली रोटी ही खा रहे हैं।   लेकिन उस गरीब आदमी के एक बेहद करीबी रिश्तेदार के हाथ में जब बिना गोश्त के टुकड़ों वाली रोटी मिली तो उसने रोटी को खोलकर परिवार के मुखिया को बुलाया और ग़ुस्से से तेज आवाज़ में बोला कि, “ऐ अब्दुल्लाह के बाप, ये क्या मज़ाक़ है? मेरी रोटी में तो गोश्त है ही नहीं। मैं आज के दिन ये तो हरगिज़ नहीं खाऊँगा।   उस गरीब शख़्स ने बहुत धैर्य और खामोशी से उसकी बात सुनी और मुस्कुरा कर जवाब दिया। “अजनबियों का मुझ पर हक़ है कि मेरे घर के दस्तरख़ान पर उन्हें हर हाल में गोश्त पेश किया जाए। ये लीजिए गोश्त का टुकड़ा। और मैं माफ़ी चाहता हूँ की मैं आपको अपने परिवार के सदस्यों में गिन रहा था।”  नसीहत : हमारे मौजूदा दौर में हम बहुत सारे लोगों पर भरोसा करते हैं। इनके अपने घर के सदस्य जैसा समझते हुए ये यक़ीन रखते हैं कि मुश्किल वक़्त में हमारे साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े होंगे, हमारे पीठ पीछे हमारी इज़्ज़त की हिफ़ाज़त करते हुए हर हाल में वफ़ादारी निभाएँगे। लेकिन जब उनकी ज़रूरत पड़ती है तो हमारे सारे अंदाज़े ग़लत साबित हो जाते हैं। इसलिए अब आपको ये तय करना है कि आप कौन सी रोटी किस बंदे के हाथ में देंगे।


जो शख्स ज़ूमा के दिन अपनी बीवी को) गुसल करवाए और खुद भी गुसल करे और फिर नमाज़ के लिए जल्दी जाए

✦ हिंदी हदीस ✦ ۞ हदीस: औस बिन औस रदी अल्लाहू अन्हु से रिवायत है की रसूल-अल्लाह (सलअल्लाहू अलैही वसल्लम) ने फरमाया: ❝जो शख्स ज़ूमा के दिन (अपनी बीवी को) गुसल करवाए और खुद भी गुसल करे और फिर नमाज़ के लिए जल्दी जाए, पैदल जाये और सवार होकर न जाए और ईमाम के नज़दीक होकर खुतबा सुने और बेहूदा बात न करे तो उसके हर क़दम पर उसको एक साल के रोज़े और एक साल का (नमाज़ के लिए) क़याम करने का सवाब मिलेगा❞  (सुनन अबू दाऊद , जिल्द 1, 346-सही) नोट : ये हदीस सुनन इब्न माज़ा, जिल्द 1, 1087-सही और जामीअ तिरमिज़ी जिल्द 1, 477-सही में भी मोजूद है


Ghabrahat aur Bechaini aur Pareshani ki Dua in Hindi Pareshani ki Dua in Hindi Bechaini ki Dua - 4

❶   बेचैनी की दुआ | Bechaini ki Dua  Ghabrahat aur Bechaini aur Pareshani ki Dua in Hindi  لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنْتُ مِنَ الظّالِمِينَ  La ilaha illa anta subhanaka  innee kuntu mina-zalimeen. तेरे सिवा कोई भी इबादत के लायक़ नहीं, तू पाक है। बेशक मैं ही ज़ालिमों में से था।  [ तिर्मज़ीः5/529, ह़दीस संख़्याः3505 ]    ❷   Ghabrahat aur Bechaini ki dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 2  اللَّهُ اللَّهُ رَبِّي لاَ أُشْرِكُ بِهِ شَيْئاً  Allahu! Allahu!  Rabbi la ushriku bihi shay'aaa अल्लाह, अल्लाह मेरा रब है,  मैं उसके साथ किसी चीज़ को शरीक नहीं करता।  [ अबू दीऊदः2/87, ह़दीस संख्याः1525 ] [ इब्ने माजा ह़दीस संख्याः3882]    ❸  Bechaini ki dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 3  اللَّهُمَّ رَحْمَتَكَ أَرْجُو، فَلاَ تَكِلْنِي إِلَى نَفْسِي طَرْفَةَ عَيْنٍ، وَأَصْلِحْ لِي شَأْنِي كُلَّهُ، لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ  Allahumma rahmataka arjoo fala takilnee ila nafsee tarfata AAayn, wa-aslih lee sha/nee kullah, la ilaha illa ant. (ऐ अल्लाह! मैं तेरी रह़मत की आशा रखता हूं, इस लिए तू मुझे पलक झपकने के बराबर भी मेरे नफ़्स (आत्मा) के ह़वाले न कर और मेरे लिए मेरे तमाम काम ठीक कर दे। तेरे सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं।)  [ अबू दाऊदः4/324, ह़दीस संख्याः5090, अह़मदः5/42 ]   ❹  Pareshani ki Dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 4  لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ الْعَظِيمُ الْحَلِيمُ، لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ،  لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ رَبُّ السَّمَوَاتِ وَرَبُّ الْأَرْضِ وَرَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ  La ilaha illal-lahul-AAatheemul-haleem, la ilaha illal-lahu rabbul-AAarshil-AAatheem, la ilaha illal-lahu rabbus-samawati warabbul-ardi warabbul-AAarshil-kareem. (अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। वह महान तथा सहनशील है। अल्लाह के अलावा कोई इबादत के लायक़ नहीं, जो बड़े अर्श का रब है। अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं, जो आस्मानों का रब, ज़मीन का रब और अर्शे करीम का रब है।)  [ बुखारीः7/154, हदीस संख्याः6345] [ मुस्लिमः4/2092,हदीस संख्याः2730 ]

Ghabrahat aur Bechaini aur Pareshani ki Dua in Hindi Bechaini ki Dua - 3

❶   बेचैनी की दुआ | Bechaini ki Dua  Ghabrahat aur Bechaini aur Pareshani ki Dua in Hindi  لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنْتُ مِنَ الظّالِمِينَ  La ilaha illa anta subhanaka  innee kuntu mina-zalimeen. तेरे सिवा कोई भी इबादत के लायक़ नहीं, तू पाक है। बेशक मैं ही ज़ालिमों में से था।  [ तिर्मज़ीः5/529, ह़दीस संख़्याः3505 ]    ❷   Ghabrahat aur Bechaini ki dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 2  اللَّهُ اللَّهُ رَبِّي لاَ أُشْرِكُ بِهِ شَيْئاً  Allahu! Allahu!  Rabbi la ushriku bihi shay'aaa अल्लाह, अल्लाह मेरा रब है,  मैं उसके साथ किसी चीज़ को शरीक नहीं करता।  [ अबू दीऊदः2/87, ह़दीस संख्याः1525 ] [ इब्ने माजा ह़दीस संख्याः3882]    ❸  Bechaini ki dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 3  اللَّهُمَّ رَحْمَتَكَ أَرْجُو، فَلاَ تَكِلْنِي إِلَى نَفْسِي طَرْفَةَ عَيْنٍ، وَأَصْلِحْ لِي شَأْنِي كُلَّهُ، لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ  Allahumma rahmataka arjoo fala takilnee ila nafsee tarfata AAayn, wa-aslih lee sha/nee kullah, la ilaha illa ant. (ऐ अल्लाह! मैं तेरी रह़मत की आशा रखता हूं, इस लिए तू मुझे पलक झपकने के बराबर भी मेरे नफ़्स (आत्मा) के ह़वाले न कर और मेरे लिए मेरे तमाम काम ठीक कर दे। तेरे सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं।)  [ अबू दाऊदः4/324, ह़दीस संख्याः5090, अह़मदः5/42 ]   ❹  Pareshani ki Dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 4  لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ الْعَظِيمُ الْحَلِيمُ، لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ،  لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ رَبُّ السَّمَوَاتِ وَرَبُّ الْأَرْضِ وَرَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ  La ilaha illal-lahul-AAatheemul-haleem, la ilaha illal-lahu rabbul-AAarshil-AAatheem, la ilaha illal-lahu rabbus-samawati warabbul-ardi warabbul-AAarshil-kareem. (अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। वह महान तथा सहनशील है। अल्लाह के अलावा कोई इबादत के लायक़ नहीं, जो बड़े अर्श का रब है। अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं, जो आस्मानों का रब, ज़मीन का रब और अर्शे करीम का रब है।)  [ बुखारीः7/154, हदीस संख्याः6345] [ मुस्लिमः4/2092,हदीस संख्याः2730 ]

Ghabrahat aur Bechaini aur Pareshani ki Dua in Hind Bechaini ki Dua - 2

❶   बेचैनी की दुआ | Bechaini ki Dua  Ghabrahat aur Bechaini aur Pareshani ki Dua in Hindi  لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنْتُ مِنَ الظّالِمِينَ  La ilaha illa anta subhanaka  innee kuntu mina-zalimeen. तेरे सिवा कोई भी इबादत के लायक़ नहीं, तू पाक है। बेशक मैं ही ज़ालिमों में से था।  [ तिर्मज़ीः5/529, ह़दीस संख़्याः3505 ]    ❷   Ghabrahat aur Bechaini ki dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 2  اللَّهُ اللَّهُ رَبِّي لاَ أُشْرِكُ بِهِ شَيْئاً  Allahu! Allahu!  Rabbi la ushriku bihi shay'aaa अल्लाह, अल्लाह मेरा रब है,  मैं उसके साथ किसी चीज़ को शरीक नहीं करता।  [ अबू दीऊदः2/87, ह़दीस संख्याः1525 ] [ इब्ने माजा ह़दीस संख्याः3882]    ❸  Bechaini ki dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 3  اللَّهُمَّ رَحْمَتَكَ أَرْجُو، فَلاَ تَكِلْنِي إِلَى نَفْسِي طَرْفَةَ عَيْنٍ، وَأَصْلِحْ لِي شَأْنِي كُلَّهُ، لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ  Allahumma rahmataka arjoo fala takilnee ila nafsee tarfata AAayn, wa-aslih lee sha/nee kullah, la ilaha illa ant. (ऐ अल्लाह! मैं तेरी रह़मत की आशा रखता हूं, इस लिए तू मुझे पलक झपकने के बराबर भी मेरे नफ़्स (आत्मा) के ह़वाले न कर और मेरे लिए मेरे तमाम काम ठीक कर दे। तेरे सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं।)  [ अबू दाऊदः4/324, ह़दीस संख्याः5090, अह़मदः5/42 ]   ❹  Pareshani ki Dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 4  لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ الْعَظِيمُ الْحَلِيمُ، لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ،  لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ رَبُّ السَّمَوَاتِ وَرَبُّ الْأَرْضِ وَرَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ  La ilaha illal-lahul-AAatheemul-haleem, la ilaha illal-lahu rabbul-AAarshil-AAatheem, la ilaha illal-lahu rabbus-samawati warabbul-ardi warabbul-AAarshil-kareem. (अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। वह महान तथा सहनशील है। अल्लाह के अलावा कोई इबादत के लायक़ नहीं, जो बड़े अर्श का रब है। अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं, जो आस्मानों का रब, ज़मीन का रब और अर्शे करीम का रब है।)  [ बुखारीः7/154, हदीस संख्याः6345] [ मुस्लिमः4/2092,हदीस संख्याः2730 ]

बेचैनी की दुआ | Bechaini ki Dua - Ghabrahat aur Bechaini aur Pareshani ki Dua in Hindi 

❶   बेचैनी की दुआ | Bechaini ki Dua  Ghabrahat aur Bechaini aur Pareshani ki Dua in Hindi  لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ سُبْحَانَكَ إِنِّي كُنْتُ مِنَ الظّالِمِينَ  La ilaha illa anta subhanaka  innee kuntu mina-zalimeen. तेरे सिवा कोई भी इबादत के लायक़ नहीं, तू पाक है। बेशक मैं ही ज़ालिमों में से था।  [ तिर्मज़ीः5/529, ह़दीस संख़्याः3505 ]    ❷   Ghabrahat aur Bechaini ki dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 2  اللَّهُ اللَّهُ رَبِّي لاَ أُشْرِكُ بِهِ شَيْئاً  Allahu! Allahu!  Rabbi la ushriku bihi shay'aaa अल्लाह, अल्लाह मेरा रब है,  मैं उसके साथ किसी चीज़ को शरीक नहीं करता।  [ अबू दीऊदः2/87, ह़दीस संख्याः1525 ] [ इब्ने माजा ह़दीस संख्याः3882]    ❸  Bechaini ki dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 3  اللَّهُمَّ رَحْمَتَكَ أَرْجُو، فَلاَ تَكِلْنِي إِلَى نَفْسِي طَرْفَةَ عَيْنٍ، وَأَصْلِحْ لِي شَأْنِي كُلَّهُ، لاَ إِلَهَ إِلاَّ أَنْتَ  Allahumma rahmataka arjoo fala takilnee ila nafsee tarfata AAayn, wa-aslih lee sha/nee kullah, la ilaha illa ant. (ऐ अल्लाह! मैं तेरी रह़मत की आशा रखता हूं, इस लिए तू मुझे पलक झपकने के बराबर भी मेरे नफ़्स (आत्मा) के ह़वाले न कर और मेरे लिए मेरे तमाम काम ठीक कर दे। तेरे सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं।)  [ अबू दाऊदः4/324, ह़दीस संख्याः5090, अह़मदः5/42 ]   ❹  Pareshani ki Dua in Hindi  Bechaini ki Dua - 4  لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ الْعَظِيمُ الْحَلِيمُ، لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ رَبُّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ،  لاَ إِلَهَ إِلاَّ اللَّهُ رَبُّ السَّمَوَاتِ وَرَبُّ الْأَرْضِ وَرَبُّ الْعَرْشِ الْكَرِيمِ  La ilaha illal-lahul-AAatheemul-haleem, la ilaha illal-lahu rabbul-AAarshil-AAatheem, la ilaha illal-lahu rabbus-samawati warabbul-ardi warabbul-AAarshil-kareem. (अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। वह महान तथा सहनशील है। अल्लाह के अलावा कोई इबादत के लायक़ नहीं, जो बड़े अर्श का रब है। अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं, जो आस्मानों का रब, ज़मीन का रब और अर्शे करीम का रब है।)  [ बुखारीः7/154, हदीस संख्याः6345] [ मुस्लिमः4/2092,हदीस संख्याः2730 ]

वज़ू तोड़नेवाली चीज़ें 

प्रश्न अगर मैं अपने कपड़े बदलूँ, तो क्या उसकी वजह से मेरा वुज़ू टूट जाएगा? तथा इस प्रावधान में क्या पुरुषों और महिलाओं के बीच कोई अंतर है?  उत्तर का पाठ हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.  वुज़ू तोड़नेवाली चीज़ें निम्नलिखित हैं :  1. सबीलैन अर्थात आगे और पीछे के रास्ते से बाहर निकलने वाला (मूत्र, मल, हवा आदि) परंतु महिला की योनि से हवा निकलने से वुज़ू नहीं टूटता।  2. मूत्र और मल का उनके निकलने के रास्तों के अलावा से बाहर निकलना।  3. बुद्धि का चला जाना। या तो वह पूरी तरह चली जाए, और वह पागलपन की वजह से निर्बुद्धि होना है। अथवा किसी कारण जैसे बेहोशी, नींद, नशा और इसी तरह की अन्य चीज़ों से एक निश्चित अवधि के लिए बुद्धि का ढाँप लिया जाना।  4. लिंग को छूना, क्योंकि बुस्रा बिन्त सफवान की हदीस है कि उन्हों ने अल्लाह के पैग़ंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फरमाते हुए सुना : (जिसने अपने लिंग को स्पर्श किया उसे वुज़ू करना चाहिए।) इसे अबू दाऊद (पवित्रता / 154) ने रिवायत किया है और अल्बानी ने सहीह सुनन अबू दाऊद (हदीस संख्याः 166) में सहीह कहा है।  5. ऊँट का मांस खाना, क्योंकि जाबिर बिन समुरह की हदीस है कि एक आदमी ने पैगंबर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से पूछा : (क्या हम ऊँट का मांस खाने से वुज़ू करें? आप ने कहा : हाँ।) इसे मुस्लिम (मासिक धर्म / 539) ने रिवायत किया है।  इस बात पर चेतावनी देना उचित है कि महिला के शरीर को छूने से वुज़ू नहीं टूटता, चाहे वह कामुकता के साथ हो या बिना कामुकता के, सिवाय इसके कि इस स्पर्श की वजह से कोई चीज़ (अर्थात वीर्य वग़ैरह) निकल आए।  तथा देखें : शैख इब्न उसैमीन की किताब ‘‘अश-शर्हुल मुम्ते 1/219-250’’.  और ‘‘फतावा स्थायी समिति 5/264’’.

Muharram din 9 Tarikh - मुहर्रम की 9 वीं तारीख

मुहर्रम की 9 तारीख़ इमाम हुसैन और कर्बला का वाक़िया Muharram Ki 9 Tarikh बरीर हमदानी और इब्ने सअद  मुहर्रम की 9 वीं तारीख ( 9 Muharram Ko ) लशकर में से हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु ने एक रफीक हज़रत बरीर हमदानी हज़रत इमाम से इजाजत लेकर इब्ने सअद के पास गये ! और उसके पास जाकर बैठ गये !  इब्ने सअद ने कहा कि हमदानी क्या तुम मुझे मुसलमान नहीं समझते ! जो मुझे सलाम नहीं किया ! हमदानी बोले कि लानत है ~ तेरे ऐसे मुसलमान होने पर कि दावा तो इस्लाम का करता है ! और अहले बैते रसूल को दरिया से पानी नहीं लेने देता !  नहरे फुरात से जानवर भी पानी पी रहे हैं ! मगर साकी-ए-कौसर के लख्ते जिगर प्यास से तड़पते रहें ! इस पर सअद ने कहा कि सच है ! लेकिन मैं क्‍या करूं मुझसे मुल्क रय की हुकूमत नहीं छूटती !  9 Muharram – हिकायत- मजलूम सय्यद – मुहर्रम की 9 वीं तारीख ( 9 Muharram Ko ) सुबह से दोपहर तक इब्ने सअद से गुफ्तगू में गुज़री ! बाद नमाज़ जुहर हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु खेमे से बाहर बैठे हुए ! कलामुल्लाह की तिलावत फ़रमा रहे थे ! और आंखों से आंसू बहते जाते थे !  इस दश्त हौलनाक में उस वक्‍त किसी मुसाफिर खुदा परस्त का गुजर हुआ ! हज़रत इमाम हुसैन रजियल्लाहु तआला अन्हु को इस आलम में देखकर उसने आपका हाल पूछा तो आपने फरमाया :  मुसाफिर सय्यदे आवारा वतन हूं ग़रिक़े कुलजमे रंज़ व मिहन हूं सितम मुझ पे किया इन शक़ियों ने… नबी की आल हूं तिश्ना दहन हूं कूफियों ने बड़ी-बड़ी ख़ुशामंदों से ख़त और कासिद भेज बुलाया ! और अब मेरे साथ बेवफाई और दगा कर रहे हैं ! और मेरे ख़ून के प्यासे हो गये हैं !  सबक : हज़रत इमाम आली मकाम रजियल्लाहु तआला अन्हु का यह वाक़िया क़्यामत तक यही पुकारता रहेगा ! कि क़ूफियों ने झूठी मुज़ाहिरा करके हज़रत इमाम आली मकाम रजियल्लाहु तआला अन्हु पर इंतिहाई जुल्म व सितम किया ! इस किस्म के झूठे दावा करने वालो से परहेज ही लाज़िम है !

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1 Comments

  1. हेलो सर कैसे है आप ?
    आप बहुत ही महान इन्सान है, आपकी वेबसाइट बहुत ही खूबसूरत है. में आपकी वेबसाइट रोज विजिट करती हु और कुछ ना कुछ सीखती हूँ.
    मुझे आपकी वेबसाइट पर story muharram 2022: मुहर्रम क्या है? आर्टिकल बहुत अच्छा लगा.

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