Shab E Barat Ki Ibadat Ka Tarika-Nafil Namaz Ka Tarika In Hindi

 

शब ए बारात की इबादत का तरिका

 

Shab E Barat Ki Ibadat Ka Tarika-Nafil Namaz Ka Tarika In Hindi

शब ए बरात की इबादत का तरिका मुकम्मल यहान देखिये। शब ए बरात की नफ़िल नमाज़ का तरिका और हर हर निफ़्ल में क्या-क्या कीर्तन पद जता है। हर इक जनकारी परवाई। शब-ए-बारात की फ़ज़ीलत उथाईं। इसे शब क़द्र भी काहा जात है और शबान की 15वी राते है। शब-ए-बारात को इबादत कर जाती है, तर्का और सत् नवाफिल परवाने का तारिक जरूर देखिये।

Shab E Barat Ki Ibadat Ka Tarika-Nafil Namaz Ka Tarika In Hindi

सल्लल्लाहु all अलैहे वसल्लम 

दुआ नसीब शाबान

दुआ निस्फ़ शबान

 

शब ए बारात की इबादत का तारिका इन हिन्दी

शबन उल मुबारक की प्ली शब की इबादत

 

मा ई ई शाबान की प्ली शब ईशा की नमाज़ के बाद 12 रकत नमाज़ 6 सलाम के साथ पराये।

 

हर रकअत मुझे सूरह फातिहा के बुरे सूर इखलास पंड्रा (15) बार पराहिये। सलाम फेरने के बुरे सत्तार (70) बार दुरूद-ए-पाक पराये। फिर अल्लाह ताला से अपने तमाम गुनाहों की मुआफी मांगिये। इंशा अल्लाह, नमाज की बरकत है अल्लाह तआला गालो की बख्शीश फरमाएंगे और जन्नत मुझे नजरिला अता करेगा।

 

शबन उल मुबारक के पहिले जुमा की इबादत

 

शाबान उल मुबारक के पहले जुमा की शब् ईशा की नमाज़ के बाद 8 रकत नमाज़ एक सलाम के साथ पढिये। हर रकअत मुझे सूरह फातिहा के बुरे सूर इखलास गयारा (11) बार पराहिये। और इस्का सवाब खातून ई जन्नत हजरत फातिमा रदिअल्लाहु अन्हा को बख्शिये।

खातून ई जन्नत फरमाती हैं कि मुख्य हर्गिज बहिश्त मुझे क़दम न रहुंगी, जब तक है नमाज़ के पल्हने वले को अपने हमर दरख़िल ए बहिश्त न कर लूँ। यहान शब ए बारात की नमाज़ों में!

 

शाबान उल मुबारक के पहले जुमा ईशा की नमाज़ के बाद 4 रकत निफल नमाज़ एक सलाम के साथ पढिये। हर रक्'अंत में सौराह फातिहा के बाद सौराह इखलास किशोर (3) बार परिही। क्या नमाज़ के बोहत फ़ज़ीलत है ये नमाज़ पढ़ने वाले को अल्लाह ताला की तरफ से उमरः का सवाब अत होगा

 

शाबान उल मुबारक के पहले जुमा की रात मगरिब की नमाज़ के बाद और ईशा की नमाज़ से पहले 2 रकत निफल नमाज़ अदा कीजिये। हर रकअत मुझे सूरह फातिहा के बाद आयतुल कुरसी इक (1) बार, सूरह इखलास दास (10) बार, सूरह फाल्क इक (1) बार, सूरह नास इक (1) बार परही। ये नमाज़ तारिक़ी इ इमान के लिऐ बोहत अफ़ज़ल है। यहान क्या है रमज़ान-रमज़ान Duas-Guidelines, Tips & Suggestions dekhiye!

 

14 शाबान उल मुबारक की इबादत

 

14 शाबान को मगरिब की नमाज़ के बाद 2 रकात नफिल नमाज़ अदा किजीये। हर रक्’अंत में सौराह फातिहा के बाद सौराह हष्र की आखरी तीन (3) आयात 1-1 बार और सूरह इखलास किशोर (3) बार परियां।

गनहो के मुफी कइसे नमाज बोहत अफजल है।

 

शब-ए-क़द्र- Laylatul Qadr Mein Parhne Ki Dua in हिंदी रोमन अंग्रेजी और उर्दू


शाबान की 15वी शब यानी 20 अप्रैल 2019 की रात

आज 20 अप्रैल, 2019 की रात शबन उल मुबारक की रात हैः। जीस मैं इबादत कर के बोहत फ़ज़ीलत पेई जती है।

 

रसूल अकरम सल्लल्लाहु all अलैहे वसल्लम का इरशाद ए मुबारक है।

 

"माहा ई शाबान उल मुअज्जम बोहत ही बुर्जाजेदा माहिना है।" और अल्लाह ताला माहे मुबारक की इबादत का व्यवहार करने वाले अताब अताअता बैंक हैं। "

 

आज मैं आप सब की खिदमत में 15 शाबान उल मुबारक के खास वज़ईफ़ ले कर आया हूँ। जो के बोहत हाय मुजरब ओ अफजल है। इंकी बरकत सी आपकी जो हैत दिली तमन्ना होगि, पुरी हो जायगी। जो भई कोइ परशानी होई, राफा हो जायगी। रिज़्क मुझे पनाह इज़ाफ़ा होगे। लमबी सेहतमंद ज़िन्दगी नसीब होगी। गुनहं के बख्शीश होगि। बोहत अजर ओ सवब हसिल हघा, इंशा अल्लाह। Yahan Safar Ki Dua in Hindi उर्दू अरबी अंग्रेजी-छवियाँ dekhiye!


अन-हज़रत सल्लल्लाहु Haz अलैहे वसल्लम का इरशाद ए मुबारक है,

15 शाबान उल मुबारक को अल्लाह तआला तू बंदे के दिल में रहमत का दिलरुज़ दिलवाज़े खोल दे और और फ़रमाता है, जो आज रात है मुग़ल बख्शीश तालिब करे और अजाब एक दर्जन से अधिक सिपाही हैं।

 और कृषि,

"शब की इबादत करले वाले पर अल्लाह तआला तआला उललख़ दर्ज़ के लिए हराम कर दिया है।" 

यल्लाह प्रशंसापत्र

 

हां अल्लाह वेबसाइट पर प्यार-प्रशंसापत्र के लिए मजबूत वज़ीफ़ा

 

मुस्लिम डेटिंग हलाल वाज़िफ़ा फॉर लव य अल्लाह वेबसाइट प्रशंसापत्र

शब ए बारात की इबादत, नवाफिल ओ वाज़िफ़ पराने का तारिक़ा इन रोमन अंग्रेज़ी

 

15वि शब् में पढ़े जाने वाले मुजर्रबों मुफ़ीद नवफीलो वज़ईफ़ दर्ज ज़ैल हैं

 

15 वि शब् को मगरिब की नमाज़ के बाद 6 रकत निफल नमाज़ 2-2 रकत पढिये। सब से पहले 2 रक़त निफ़ल नमाज़ दारज़ी ए उमर बिल-ख़ैर (लांबी और सेहतमंद ज़िन्दगी) की नियात से परियां।

सलाम फ़र्ने के बुरे सुराह यसीन इक (1) बार, सूरह इख़लास इक्केके ​​(21) बार और दुआ नाज़ी शाबान उल मुबारक ईक (1) बार परिही। ये दुआ आप अनज छवि मैं देख सकत हैं।

 

फिर 2 रकत निफल नमाज़ दफ़ा बला (हर बला से हिफाज़त) की निय्यत से पढ़िए। सलाम फ़र्ने के बुरे सुराह यसीन इक (1) बार, सूरह इख़लास इक्केके ​​(21) बार और दुआ नाज़ी शाबान उल मुबारक ईक (1) बार परिही।

एखरी 2 रकअत निफ्ल नमाज़ मखलूक का मोहतज न होन की नियात से पराये। सलाम फ़र्ने के बुरे सुराह यसीन इक (1) बार, सूरह इख़लास इक्केके ​​(21) बार और दुआ नाज़ी शाबान उल मुबारक ईक (1) बार परिही। एग्जाम के लिए यहान दुआ-इम्तिहान में काम्याबी का वजीफा देखिए!

 

15वी शब् को घुसे कर लीजिये। अगार आपको घुसल करे तो कोई दीखत ये परशानी है। आफ पाकी की हलात मुझे वुज़ू बाना कर भी तुम निफ़ल अदा कर जाते हो। वुज़ू केने फ़ौरन बुरा 2 रकअत तहियातुल वुज़ू अदि किजीये।

तहियातुल वुज़ू मे आप वुज़ू केने फ़ौरन ख़राब 2 रक़ात निफ़्ल नमाज़ अदा करंगे। जिस्की नियात आप या करगें, 2 रकत तिय्यतुल वुज़ू। तहियातुल वुज़ू की नमाज़ मुझे दानो रक़ात में मुझे सूरह फातिहा के बाद आयतुल कुरसी इक (1) बार और सूरह इखलास किशोर (3) बार पराहिये। ये नमाज़ बोहत हाय अफ़ज़ल है।

 

15वी शब् को 2 रकत निफल नमाज़ अदा किजीये। हर रकअत मुझे सूरह फातिहा के बाद आयतुल कुरसी इक (1) बार और सूरह इखलास पंडरा (15) बार परियां। सलाम फेरने के बुरे सउ (100) बार कोइ सी भी दुरूद-ए-पाक पराये।

फिर अल्लाह ताला की बारगाह में अपने रिज़्क़ की कुशादगी और कशाइश के लिए दिल से दुआ कीजिये। अल्लाह त’अला इस नमाज़ की बरकत से आपके रिज़्क़ में पनाह बरकत और कुशदगी अता फरमाएंगे, ऐमीन।

 

15विन शाब को 8 रक़त नमाज़ 4 सलाम से परवाई। यनी 4-4 राखी हर रकअत मुझे सूरह फातिहा के बुरे सूरह क़द्र इक (1) बार और सूरह इखलास पचीस (25) बार परियां। नमाज़-अरबी उर्दू में यहान दुआ ए मसुरा हिंदी अंग्रेजी अनुवाद डेखिये!

पढ़ने के बाद अल्लाह त’ाला से अपने गुनाहों की बख्शीश की दुआ कीजिये। आपनी माघफिरत की ओतलिजा किजीये। ये नमाज़ मग़फ़िरत के लिय बोहत ही अफ़ज़ल है। इंशा अल्लाह, अल्लाह तआला आप गुनहो की बख्शीश फरमाएंगे, एमीन।

 

8 रक़त नमाज़ 2 सलाम से परियां यनी 4-4 राखी हर रक्’अंत में सौराह फातिहा के बाद सौराह इखलास दस (10) बार पढिये। अल्लाह ताला इस नमाज़ के पढ़ने वाले के लिए बेशुमार फ़रिश्ते मुक़र्रर करेगाजो उसे अज़ाब इ क़ब्र से निजात की और दाखील इ बहिश्त होने की खुशखबरी देंगे। याहन रोजा खोलने की दुआ-दुआ के लिए फटाफट दे देखिये!

14 रक़्त नमाज़ 7 सलाम के साथ पराये यानि 2-2 राखी परवाई हर रकअत मुझे सूरह फातिहा के बुरे सूर काहिरोन, सूरह इखलास, सूरह फालक, सूरह नाज़, तु तम सुरतेन 1-1 बार पराहिये। सलाम फर्न के बुरे अयातुल कुरसी इक (1) बार परिही।

फ़िर सूरह तौबा की आख़िरी अयात इक (1) बार परिही।

 

لَقَدْ جَاََكْمَ رَسٌولٌ مِّنن َُنفأسِكُمْ عَزِيزٌ عَلَيْهِ ماا عَنِتُّمْ حَرِيصٌ عَلَيْكْمْم باْ بْ بْ

 

खेल

 

तमाम रकअत मुकम्मल कारे के बुरे अपनों दिली हजरत के दुआ की। ये नमाज़ क़ुबूलियत ए दुआ के लिए बोहत अफ़ज़ल है। चाहो दु दुनीयावी हो या दीनी हो। इंशा अल्लाह, लज़्मन पुरी होग़ी, एमीन।

 

15 शाबान उल मुबारक के दिन ज़ोहर की नमाज़ के बाद 4 रकत निफल नमाज़ 2 सलाम के साथ पढिये। पाहली ने मुझे सूरह फातिहा के बुरे सूर ज़िलज़ाल इक (1) बार और सूरह इखलास दास (10) बार पराहिये।

दुसरी रकअत मुझे सूरह फातिहा के बुरे सूर अता-तकासुर इक (1) बार और सूरह इखलास दास (10) बार परियां।

 

तीसरी रकात में सौराह फातिहा के बाद सौराह काफ़िरून तीन (3) बार और सौराह इखलास दस (10) बार पढिये। तीसरी रकात में सौराह फातिहा के बाद आयतुल कुर्सी किशोर (3) बार और सूरह इखलास पाचीस (25) पढ़िए

 

क्या नमाज का व्यवहार फाजिल है। अल्लाह तआला वक़्त ‘आल्हा नमाज़ के पल्ले हैं और क़यामत के रोज़ ख़ास नज़्र ए करम फरमाएंगे। और इस नमाज़ की बरकत से दीन ओ दुनिया की भलाई हासिल होगी, इंशा अल्लाह। याहं सों से पहिले की दुआ | अची नीन्द के लिये अमल देखिये!

 

 

 

हज़रत अली रदियल्लाहु अन्हु ने खेती की,

"जो शब ए क़द्र मैं इशा की नमाज़ के बुरे सअत (7) बार सूरह क़द्र परहेगा, हमसे हर मुशिबत से निजात मिलगी, हज़रते फ़िस्सते हमे ज़न्नत की दुआ है।"

 

15वी शब् में कुरान पाक की तिलावत, दुरूद-इ-पाक का कसरत से विर्द और सालतुल तसबीह पढने की बोहत फ़ज़ीलत पायी जाती हाई।जो शब ए क़द्र मैं इशा की नमाज़ के बुरे सअत (7) बार सूरह क़द्र परहेगा, उसे हर मुसीबत से निजात मिलेगी, हज़ार फरिश्ते उसके लिए कनाट की दुआ करते हैँ।

शबन उल मुबारक की प्ली शब की इबादत

 

मए इ शाबान की पहली शब् ईशा की नमाज़ के बाद 12 रकत नमाज़ 6सलाम के साथ पराये।

हर रकअत मुझे सूरह फातिहा के बुरे सूर इखलास पंड्रा (15) बार पराहिये। सलाम फेरने के बुरे सत्तार (70) बार दुरूद-ए-पाक पराये। फिर अल्लाह ताला से अपने तमाम गुनाहों की मुआफी माँगिए। इंशा अल्लाह, नमाज की बरकत है अल्लाह तआला गालो की बख्शीश फरमाएंगे और जन्नत मुझे नजरिला अता करेगा।

 

शब ए बारात की इबादत का तरिका

शबन उल मुबारक के पहिले जुमा की इबादत

 

शाबान उल मुबारक के पहले जुमा की शब् ईशा की नमाज़ के बाद 8 रक्’ात नमाज़ एक सलाम के साथ पढिये। हर रकअत मुझे सूरह फातिहा के बुरे सूर इखलास गयारा (11) बार पराहिये।

और इस्का सवाब खातून ई जन्नत हजरत फातिमा रदिअल्लाहु अन्हा को बख्शिये।

खातून ई जन्नत फरमाती हैं कि मुख्य हर्गिज बहिश्त मुझे क़दम न रहुंगी, जब तक है नमाज़ के पल्हने वले को अपने हमर दरख़िल ए बहिश्त न कर लूँ।

 

शाबान उल मुबारक के पहले जुमा ईशा की नमाज़ के बाद 4 रकत निफल नमाज़ एक सलाम के साथ पढिये। हर रक्'अंत में सौराह फातिहा के बाद सौराह इखलास किशोर (3) बार परिही। क्या नमाज़ के बोहत फ़ज़ीलत है ये नमाज़ पढ़ने वाले को अल्लाह ताला की तरफ से उमरः का सवाब अत होग।

शाबान उल मुबारक के पहले जुमा की रात मगरिब की नमाज़ के बाद और ईशा की नमाज़ से पहले 2 रकत निफल नमाज अदा कजीये हर रकअत मुझे सूरह फातिहा के बाद आयतुल कुरसी इक (1) बार, सूरह इखलास दास (10) बार, सूरह फाल्क इक (1) बार, सूरह नास इक (1) बार परही। ये नमाज़ तारिक़ी इ इमान के लिऐ बोहत अफ़ज़ल है।

14 शाबान उल मुबारक की इबादत

 

14 शाबान को मगरिब की नमाज़ के बाद 2 रकत निफल नमाज़ अदा किजीये। हर रकअत में सौराह फातिहा के बाद सौराह हष्र की आखरी तीन (3) आयात 1-1 बार और सूरह इखलास किशोर (3) बार परियां।

 

गनहो के मुफी कइसे नमाज बोहत अफजल है।

 

दुआ नसीब शाबान हिंदी में

दुआ निस्फ़ शाबान हिंदी में

 

अल्लाहुम्मा या ज़ल मन्नी वला यमुन्नू अल इति |  ज़ल जलाली वल इकराम | ज़ुत्तवलि वल ये’आम | ला इलाहा इल्ला अनत ज़हरूल्लजीना | वजनलार मुरतजि-रीना | व अमानुल टीकाईना | अल्लाहुम्मा इन कुन्ता कतब तनी का इन्दका में छपी उम्मिल किताबि ताकतिय्यन अव-म'हारू-मन अ-व-मरतू-दन अव-मुक़्तारन य अलय्या श्र-रिज़्क़ी फ़म’हु | अल्लाहुम्मा बिफ़्ज़-लिका शक़-वती व हिर-मानि वरत-दी-वक़-तारा रिज़क़ली | व-असबितनी द इंकाका उम्मिल बुकि स सईदम्मर ज़ू क़म्मु फ़ाक़्क़नलिल्ल ख़ानयारति | फ़-इन्नका क़ुल-ता व क़व-लुकल-हक़्क़ु चित्रित पुस्तक मुन-ज़ली | ‘गठबंधन लिसानी नबीयिकल मुरसली | यम- हुल्लाहु मा-यशाऊ वयुस-अस्तु | व व येधु उम्मुल किताबी | अहि बेठ्ठ-झूलेलाल अ'अज़्ज़मी | लाई-लतिन निस्फी मिन शहरी शा'अबनल मुकर्रमी | अल्लाति युफ-रक़ु फ़ीथा कुल्लु अमरिन मिन हकीमिन्व वयुब-रुम | ये तक-शिफ़ा मिन अन्ना मिनल बला-इ वल बलवा-इ मान’अ लमु वमा-लान’अ-लमु व अनत बिहि अ’लयुम | इन्नका अनतल अ ज़ अज़्ज़ुल अकरुम | व सल्लल्लाहु त'आला य एलाय सय्यदिना मुहम्मदिव एलाय अलिहि वसह-बिहि वसल्लम | वल ‘हमदुलिल्लाही रब्बिल मीन आलमीन