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बीमारी और गम की हालत में पढ़ने की दुआएँ Dard ki Dua

  1. बुखार की दुआ:
  2. बीमार, मरीज़ को दम करने की दुआएँ:
  3. दर्द की दुआ:
  4. बीमारी और गम की हालत में पढ़ने की दुआएँ:
  5. बीमार या मुसीबत ज़दह को देख कर पढ़ने की दुआ:
  6. बिमार को हिम्मत दिलाने की दुआ:
  7. बीमार की इयादत (ख़बर) का सवाब:
  8. नज़रे बद दूर करने की दुआएँ:
  9. बीमारी, ज़ख़्म और फुन्सी की दुआ:

बुखार की दुआ: Bukhar ki Dua in Hindi

بِسْمِ اللَّهِ الْكَبِيرِ، أَعُوذُ بِاللَّهِ الْعَظِيمِ، مِنْ شَرِّ عِرْقٍ نَعَّارٍ، وَمِنْ شَرِّ حَرِّ النَّارِ
बिसमिल्लाहिल कबीरी, अऊज़ु बिल्लाहिल अज़ीमि मिन शर्रि कुल्ली अर्किन ना आरिन व मिन शर्रि हर्रिन नार 
तर्जुमा: मैं अल्लाह के नाम से शुरू करता हूँ जो बहुत बड़ा है, मैं बहुत ही ज्यादा अज़मत वाले अल्लाह की पनाह माँगता हूँ, हर जोश मारने वाली रग की बुराई से और आग की गर्मी की बुराई से।

बीमार, मरीज़ को दम करने की दुआएँ:
बीमार इन दुआओं से अपने ऊपर दम करे।

1. सूरह फातिहा पढ़ कर अपने ऊपर दम करे
2. मुअव्विजात (सूरह इख़्लास, सूरह फलक और सूरह नास) पढ़कर अपने पूरे जिस्म पर हाथ फेरे।
देखे: सूरह इख्लास | سورة الإخلاص
देखे: सूरह फलक | سورة الفلق
देखे: सूरह नास | سورة الناس
اذْهَبِ الْبَاسَ، رَبِّ النَّاسِ، وَاشْفِ أَنْتَ الشَّافِى لَا شِفَاءَ إِلَّا
شِفَالُكَ شِفَاءٌ لَّا يُغَادِرُ سَقَماً 
3. अज़हबिल बअस रब्बन्नास वश्फि अन्तश्शाफी ला शिफाअ इल्लाशिफाउक शिफाअल्ला युगादिरू स-क-मा
तर्जुमा : तकलीफ दूर कर दे ऐ लोगों के रब और तू शिफा दे, तू ही शिफा देने वाला है, कोई शिफा नहीं मगर तेरी ही शिफा है, ऐसी शिफा दे जो कोई बीमारी न छोड़े।

اَسْئَلُ اللهَ الْعَظِيمَ، رَبِّ الْعَرْشِ الْعَظِيمِ أَن يُشْفِيَكَ  
4. अस्सलुल्लाहल अज़ीम, रब्बल अर्शिल अज़ीम, ऐ श्फीयक. (सात बार) (सहीह)
तर्जुमा : मैं सवाल करता हूँ अल्लाहे अज़ीम से जो अर्शे अज़ीम का रब है वह तुझे शिफा दे।

फाइदा : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया अगर बीमार की मौत न आई हो तो अल्लाह उसे ज़रूर शिफा देगा।

दर्द की दुआ: Dard ki Dua in Hindi

दर्द की जगह सीधा हाथ रख कर यह दुआ पढ़े :

بِسمِ اللهِ
اَعُوذُ بِاللهِ وَ قُدْرَتِهِ مِنْ شَرِّ مَا أَجِدُ وَ أَحَاذِرُ (سات بار)
बिस्मिल्लाह (तीन बार)
अऊजुबिल्लाहि व कुद्रतिहि मिन शर्रि मा अजिदु व उहाज़िर. (सात बार)
तर्जुमा: अल्लाह के नाम से शुरु। मैं पनाह माँगता हूँ अल्लाह की और उस की कुदरत की इस बुराई से जिस को मैं पाता हूँ और जिस से मैं डरता हूँ।

बीमारी और गम की हालत में पढ़ने की दुआएँ:
لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ سُبْحْنَكَ إِنِّي كُنتُ مِنَ الظَّلِمِينَ سورة انبياء
1. ला इलाह इल्ला अन्त सुब्हान-क इनी कुन्तु – मिनज्- जालिमीन
तर्जुमा : तेरे सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं, तू पाक है बेशक मैं ज़ालिमों में से हूँ ।

أنِّي مَسَّنِيَ الضُّرُّ وَ أَنْتَ اَرْحَمُ الرَّحِمِينَ سورة انبياء
2. अन्नी मस्सनियज्- जुरु व अन्त अरहमुर राहिमीन.
तर्जुमा : बेशक मुझे तकलीफ पहुँची है, और तू रहम करने वालों से ज़्यादा रहम करने वाला है ।

اللهُ اللَّهُ رَبِّي لَا أُشْرِكُ بِهِ شَيَا 
3. अल्लाहु अल्लाहु रब्बी, ला उश्रिकु बिही शैआ. (सहीह) 
तर्जुमा : अल्लाह अल्लाह मेरा रब है, मैं उस के साथ किसी चीज़ को शरीक नहीं करता।

يا حيّ، يا قيوم، برحمتك أستغيث.
4. या हय्यु, या कय्यूम, बि-रहमति क अस्तगीस. (हसन)
तर्जुमा : ऐ ज़िन्दह ! ऐ काइम रखने वाले मैं तेरी रहमत से मदद माँगता हूँ। 

حَسْبُنَا اللهُ وَنِعْمَ الْوَكِيلُ عَلَى اللَّهِ تَوَكَّلْنَا۔  
5. हस्बुनल्लाहु व-निअमल वकील, अ-लल्लाहि तवक्कल्ना. (सहीह) 
तर्जुमा : हम को अल्लाह काफी है और वह अच्छा वकील है, हमने अल्लाह पर भरोसा किया है।

للَّهُمَّ رَحْمَتَكَ اَرْجُو فَلَا تَكِلْنى إِلَى نَفْسِي طَرْفَةَ عَيْنٍ وَ أَصْلِحْ لِى شَأْنِي كُلَّهُ لَا إِلَهَ إِلَّا أَنْتَ  
6. अल्लाहुम्म रहमत क अर्जू फला तकिल्नी इला नफ्सि तर-फ-त ऐनिन् वअस्लिह-ली शअनी कुल्लहु ला इलाहा इल्ला अन्त. (हसन)
तर्जुमा : ऐ अल्लाह ! मैं तेरी रहमत की उम्मीद करता हूँ, पस तू मुझे आँख झपकने तक भी मेरे नफ्स के हवाले न करना और मेरे हर मामले को ठीक कर दे, तेरे सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं।

बीमार या मुसीबत ज़दह को देख कर पढ़ने की दुआ:
الْحَمْدُ لِلَّهِ الَّذِى عَافَانِي مِمَّا ابْتَلَاكَ بِهِ ، وَ فَضْلَنِي عَلَى كَثِيرٍ مِّمَنْ
अल्हम्दुलिल्लाहिल्लज़ी आफानी – मिम्मब्तला – क बिह, वफज़्ज़-लनी अला कसीरिम् मिम्मन ख़-ल-क तफ-जीला. (सहीह)
तर्जुमा : अल्लाह का शुक्र है जिस ने मुझे आफियत दी, इस (तकलीफ) से जिस में तुम मुब्तला हो और मुझे अपनी बहुत सी मख़्लूकों पर फज़ीलत दी।

फाइदा: रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जिस ने किसी मुसीबत वाले को देख कर यह दुआ पढ़ी तो अल्लाह उसको उस मुसीबत में मुब्तला नहीं करेगा।

बिमार को हिम्मत दिलाने की दुआ: Bimar ko Himmat dilane ki Dua

لَا بَأْسَ طُهُورٌ إِن شَاءَ اللَّهُ
ला ब-स तुहूरून इन्शाअल्लाह.
तर्जुमा : कोई हर्ज नहीं (यह गुनाहों से पाकी है) अगर अल्लाह ने चाहा।

बीमार की इयादत (ख़बर) का सवाब:
फजीलत : रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया जो मुसलमान सुब्ह के वक़्त किसी मुसलमान की इयादत करता है तो सत्तर हज़ार फरिश्ते शाम तक उसके लिए दुआ करते हैं और अगर शाम के वक़्त किसी बीमार की इयादत करता है तो सत्तर हज़ार फरिश्ते सुब्ह तक उसके लिए दुआ करते हैं और उसके लिए जन्नत में चुने हुए फल होंगे। (सहीह) 

नज़रे बद दूर करने की दुआएँ:
بِسمِ اللهِ أَرْقِيكَ مِنْ كُلِّ شَيْءٍ يُؤْذِيكَ مِنْ شَرِّ كُلِّ نَفْسٍ أَوْ عَيْنٍ حاسِدٍ، اللَّهُ يَشْفِيكَ، بِسْمِ اللَّهِ أَرْقِيكَ
1. बिस्मिल्लाहि अरकीक, मिनकुल्लि शैंइं यूजीक, मिन शर्रिकुल्लि नफ़्सिन औ- ऐनिन् हासिद, अल्लाहु यश्फीक, बिस्मिल्लाहि अरकीक.
तर्जुमा : अल्लाह के नाम से मैं तुम पर दम करता हूँ हर उस चीज़ से जो तुम को तकलीफ देती है, हर नफ्स या हसद करने वाली आँख की बुराई से, अल्लाह तुम को शिफा दे। अल्लाह के नाम से दम करता हूँ।

اَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللهِ التّامَّةِ مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ وَهَامَّةٍ وَ مِنْ كُلِّ عَيْنٍ لَّامَّةٍ  
2. अऊजूबि -कलिमातिल्लाहित्ताम्मती मिन कुल्ली शैतानिंव व् हाम्मतिंव व मिन कुल्लि अैनिल्लाम्मह
तर्जुमा : मैं अल्लाह के पूरे कलिमों के जरीए पनाह माँगता हूँ हर की बुराई से और हर तकलीफ देने वाले जानवर की बुराई से और हर नज़र लगने वाली आँख की बुराई से।

वजाहत : रसुलअल्लाह ﷺ हज़रत हसन (रजि) और हज़रत हुसैन (रजि) के लिए इन कलिमों से पनाह माँगते थे और फरमाते थे के हज़रत इब्राहीम (अ.स.) हज़रत इस्माईल अ.स.) और हज़रत इस्हाक (अ.स.) के लिए इन्ही कलिमों से पनाह माँगा करते थे।

बीमारी, ज़ख़्म और फुन्सी की दुआ: Zakhm aur Funsi ki Dua

بِسمِ اللهِ تُرْبَةُ اَرْضِنَا بِرِيقَةِ بَعْضِنَا لِيُشْفَى بِهِ سَقِيمُنَا، بِإِذْنِ رَبَّنَا 
बिस्मिल्लाहि तुरबतु अर्जिना, बिरीकति बअजिना, लियुश्फा बिही सकीमुना, बिइज़नि रब्बिना
तर्जुमा : अल्लाह के नाम से हमारी ज़मीन की मट्टी है, हम में से किसी का थूक है, ताकि हमारे बीमार को इस से शिफा मिले, हमारे रब के हुक्म से।


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