Sher e Khuda Hazrat Ali ki Kahani | Sher E Khuda Ali Ibn Abi Talib | Lion Of Allah | Noor Islamic
अजु बिल्लाह मिन शैतान रजी बिस्मिल्लाह रहमान रहीम अस्सलाम वालेकुम रहमतुल्लाह व
बरकातहू मजज खवातीन हजरात आज की इस खास वीडियो में हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन
के हैरत अंगेज और सबक आमोस वाकत शेयर कर रहे हैं वीडियो में आप जानेंगे शेर खुदा
हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन की 40 करामात हजरत अली और हजरत फातिमा की बेमिसाल शादी
और हां हजरत अली से अजीब सवाल कि वह कौन सा नबी है जिसने दो बहनों से निकाह किया
और वीडियो में आपको यह भी बताएंगे कि हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हो ने एक जानिया
औरत का फैसला कैसे किया था बल्कि हजरत अली के और भी दिलचस्प इल्मी वाक्यात वीडियो
में आप जाने के लिहाजा वीडियो को आखिर तक जरूर देखिएगा और शेयर भी कर दीजिएगा
नाजरीन मैं हूं आपका अपना मेजबान कादिर बख्श कलहोरो तो चलते हैं आज की वीडियो की
जानिब नाजरीन अल्लाह ताला ने हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहद निया जहान के उलूम से
नवाजा हजरत अली की जात गिरामी एक ऐसी पोशीदा हकीकत है कि जिसे आज तक कोई
मुकम्मल खोज नहीं सका हजरत अली शेर खुदा दारुल उलूम है यानी इल्म का घर हैं बल्कि
कायनात के तमाम राजों और हका से अल्लाह ताला ने मौला अली को शनास कर दिया नाजरीन
हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहद भी महफिल में तशरीफ फरमा होते तो लोगों को खुद
इजाजत देते और फरमाते हैं कि ऐ लोगों अगर तुम किसी मामले में रहनुमाई चाहते हो तो
मुझसे सवाल करो लिहाजा एक मर्तबा अमीरुल मोमिनीन मौला अली अलैहि सलाम कूफा की एक
मस्जिद में तशरीफ फरमा थे मस्जिद के मजमुआ में शाम से आया हुआ एक मुसाफिर भी था वो
मुसाफिर निहायत अदब के साथ खड़ा हुआ और अर्ज की कि ऐ अमीरुल मोमिनीन मुझे कुछ
सवालात में तश्वी है मैं आपसे चंद चीजों के बारे में कुछ पूछना चाहता हूं मौला अली
ने जवाब दिया कि अगर तुम सवालात पूछना चाहते हो तो पूछो और अगर तुम जिद बाजी या
बहस का इरादा रखते हो तो महफिल के आदाब को देखो और खामोशी से बैठ जाओ यह मुकाल मा
सुनकर मजमुआ में मौजूद लोग भी मौला अली की जानिब
[संगीत] मुतजेंस मालूमात के लिए आपसे चंद सवालात
पूछने हैं ऐ अमीरुल मोमिनीन मुझे यह बताइए कि अल्लाह ताला ने सबसे पहले किस चीज को
पैदा किया आप फरमाने लगे कि अल्लाह ने सबसे पहले नूर को पैदा किया उस शामी ने
सवाल किया कि अल्लाह ने आसमानों को किस चीज से पैदा किया आपने फरमाया कि पानी के
बुखरात भांप से पैदा किया उसने अगला सवाल किया कि भला जमीन किस चीज से बनाई गई मौला
अली ने फरमाया कि पानी की झाग से उसने फिर सवाल किया कि पहाड़ किस चीज से बनाए गए
आपने फरमाया पानी की मौजों से उसने फिर सवाल किया कि मक्का को उम्मल कुरा क्यों
कहा जाता है मौला अली ने जवाब दिया क्योंकि जमीन उसके नीचे से बिछाई गई उसने
फिर सवाल किया कि आस आसमान दुनिया किस चीज से बना आपने फरमाया के रिकी हुई फौज से
उसने फिर सवाल किया कि सूरज और चांद का तूल अर्ज क्या है आपने फरमाया 900 फर्स
जर्ब 900 फरस उसने फिर सवाल किया कि सितारे का तूल अर्ज क्या है आपने फरमाया
कि 12 फरस जर्ब 12 फरस उसने फिर सवाल किया कि सात आसमानों के रंग और उनके अलहदा
अलहदा नाम बताएं आपने फरमाया कि दुनिया के आसमान का नाम रफी है और वह पानी और धुएं
से बना हुआ है आसमान दोम का नाम फेदम या केजो है उसका रंग तांबे जैसा है आसमान सोम
का नाम मादून या अल मारम है उसका रंग मिलता-जुलता है आसमान चरम का नाम अरफ लोन
है उसकी रंगत चांदी जैसी है आसमान पंजमपट्टी
[संगीत] है और वह सफेद मोती का है अब उस शामी ने
फिर सवाल किया कि बेल हमेशा क्यों सर झुकाए रहता है और कभी भी आंख उठाकर आसमान
की तरफ नहीं देखता मौला अली ने फरमाया कि जब से बनी इसराइल ने गाय की पूजा की है उस
दिन से बेल बेचारा शर्म की वजह से आसमान की जानिब आंख नहीं उठाता नाजरीन उसने फिर
सवाल किया कि या अमीरुल मोमिनीन कि वो कौन से नबी हैं जिन्होंने ब एकक वक्त दो बहनों
से निकाह किया था अमीर मोमिनीन मौला अली अलैहि सलाम ने जवाब दिया कि वह हजरत याकूब
बिन इसहाक अलैहि सलाम थे जिन्होंने हब्ब और राहील दोनों से ब एकक वक्त निकाह किया
था इसके बाद अल्लाह ताला ने दो बहनों से ब एकक वक्त निकाह को हराम कर दिया उसने फिर
सवाल किया कि मदो जजर क्या है मौला अली ने जवाब दिया कि अल्लाह ताला ने समंदर पर एक
फरिश्ता मुकर किया है जिसका नाम रोमान है जब वह अपने कदम समंदर में रखता है तो मद
पर पैदा होती है और जब वह पांव निकालता है तो जजर पैदा होती है उसने फिर सवाल किया
कि जिन्नात का बाप कौन है अमीरुल मोमिनीन मौला अली अलैहि सलाम ने जवाब दिया कि
जिन्नात के जिद्दे आला का नाम शमान है और उसे अल्लाह ताला ने आग के शोले से पैदा
किया था उसने फिर सवाल किया या अमीरुल मोमिनीन क्या अल्लाह ताला ने कौम जिन्नात
की तरफ किसी नबी को मबस किया हजरत अली करम उल्लाह वजल करीम ने जवाब दिया जी हां
अल्लाह ने एक नबी को मबस किया था जिसका नाम यूसुफ था नबी ने उन्हें अल्लाह की
दावत दी उन्होंने उस नबी को कत्ल कर दिया था उसने फिर सवाल किया कि इब्लीस का आसमान
में क्या नाम था मौला अली ने जवाब दिया कि आसमान में उसका नाम हारिस था उसने फिर
सवाल किया कि आदम का नाम आदम क्यों रखा हजरत अली करम अल्लाह वजल करीम ने जवाब
दिया क्योंकि वह अदीम अर्ज जमीन की खाल से बनाए गए थे उस शामी ने फिर सवाल किया कि
मीरास में मर्द को दो हिस्से और औरत का एक हिस्सा क्यों है मौला अली ने फरमाया कि
हवा ने खोशा उठाया उस पर तीन दाने थे एक उसने खुद खाया और दो आदम को खिलाए इसलिए
औरत का एक हिस्सा और मर्द के दो हिस्से मुकर हुए उसने फिर सवाल किया कि कौन से
अंबिया मखतूम अल्लाह वजह ने जवाब दिया कि अल्लाह ताला
ने आदम शीश इद्रीस नूह साम बिन नूह इब्राहीम दाऊद सुलेमान लूत इस्माइल मूसा
ईसा और मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम को मखदू पैदा किया उस शामी
ने फिर सवाल किया कि आदम की उम्र कितनी थी मौला अली ने जवाब दिया 930 साल उसने फिर
सवाल किया कि सबसे पहले शेर किसने कहे मौला अली ने जवाब दिया कि आदम ने उसने फिर
सवाल किया कि हजरत आदम ने शेर कब और क्यों कहे तो हजरत अली करम उल्लाह वजह ने जवाब
दिया कि जब आदम जमीन पर उतरे तो उन्होंने जमीन की खाक और वसत और हवा को देखा और फिर
जब काबील ने हबील को कत्ल किया तो हजरत आदम अलैहि सलाम ने शैर कहे थे उसने फिर
सवाल किया कि हजरत आदम अलैहि सलाम फिराके जन्नत में कितना रोए और उन्हों ने किस कदर
आंसू बहाए थे अमीरुल मोमिनीन मौला अली अलैहि सलाम ने बताया कि हजरत आदम अलैहि
सलाम फिराके जन्नत में 100 साल तक रोते रहे और उनकी दाईं आंख से दजला और बाई आंख
से फुरात जितने आंसू निकले थे उसने फिर सवाल किया कि हजरत आदम अलैहि सलाम ने
कितने हज किए थे हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन ने जवाब दिया कि उन्होंने 70 हज पैदल
किए थे जब वह पहला हज करने गए थे तो एक अल सर्द यानी बड़े सर का परिंदा जो छोटी
चिड़ियों का शिकार करता है उनके साथ था जो उन्हें पानी के मकामा की रहनुमाई करता था
और वह परिंदा उनके हमराह जन्नत से आया था इसलिए अल सर्द और खता फ के खाने से मना
किया गया है उसने फिर सवाल किया कि कुफ्र की इब्तिदा किसने की और पहला काफर कौन था
मौला अली अलैहि सलाम ने जवाब दिया कि कुफ्र की इब्तिदा इब्लीस से हुई और वही कायनात का पहला काफर है उसने फिर सवाल
किया कि नूह अलैहि सलाम का असल नाम क्या था हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहुक दिया
कि नूह का असल नाम सकन था उन्हें नूह कहने की वजह यह है कि उन्होंने 950 बरस तक कौम
पर नोहा किया था उसने फिर सवाल किया कि कश्ती ए नूह का तल अर्ज क्या था हजरत अली
रजि अल्लाह ताला अन्हो ने जवाब दिया कि उसका तूल 800 हाथ और अर्ज 500 हाथ और सतह
जमीन से उसकी बुलंदी 80 हाथ थी इसके बाद वह शामी बैठ गया और 10 आदमियों की एक जमात
ने मौला अली अलैहि सलाम से सवाल किया कि इल्म और दौलत दोनों में से किसको बरतरी
हासिल है बराय मेहरबानी सब अफराद को अलग-अलग जवाब अता फरमाए उन लोगों के सवाल
के हजरत अली करम उल्लाह वजल करीम ने 10 मुख्तलिफ जवाब इरशाद फरमाए दौलत फिरौन का
विरसा है और इल्म अंबिया का अतिया दौलत की हिफाजत तुम करते हो जबकि इल्म तुम्हारी
हिफाजत करता है जिसके पास दौलत हो उसके बहुत से दुश्मन होते हैं और जिसके पास
इल्म हो उसके बहुत से दोस्त होते हैं दौलत बांटी जाए तो कम होती है इल्म बांटा जाए
तो बढ़ता है दौलतमंद कंजूसी की तरफ मायल रहता है और इल्म फयाज की तरफ दौलत चुराई
जा सकती है जबकि इल्म चुराया नहीं जा सकता दौलत महदूद है उसका हिसाब रखा जा सकता है
इल्म ला महदूद है उसकी कोई इंतहा नहीं दौलत वक्त के साथ घटती रहती है इल्म कभी
नहीं घटता दौलत से अक्सर दिल और दिमाग पर स्याही छा जाती है इल्म से दिल और दिमाग
रोशन हो जाते हैं दौलत ने फिरौन और नमरूद जैसे खुदा का दावा करने वाले पैदा किए
इल्म ने इंसान को सच्चे माबूद से मुता कराया नाजरीन फिर तौरा का एक आलिम मौला
अली करम अल्लाह वजह के पास आया और उनसे आपके सामने अपने चंद सवाल पेश किए और कहा
कि आप मुझे इन सवालों के फोरी तौर पर जवाब दें अमीरुल मोमिनीन हजरत अली रजि अल्लाह
ताला अनहर माया कि तुम सवाल करो उसने कहा कि आप यह बताएं कि वह कौन सा मर्द है
जिसकी ना वालिदा है और ना वालिद है और यह बताएं कि वह कौन सी औरत है जिसकी ना
वालिदा है और ना ही कोई वालिद है और वह कौन सा मर्द है जिसकी वालिदा तो है मगर
वालिद नहीं है और वह पत्थर कौन सा है जिससे एक जानवर की विलादत हुई है और वह
कौन सी औरत है जिसने एक ही दिन में सिर्फ तीन पहरों में एक बच्चे को जन्म दिया और
कौन से व दो दोस्त हैं जो कभी भी आपस में दुश्मन नहीं बनेंगे और वह कौन से दो
दुश्मन हैं जो कभी दोस्त नहीं बनेंगे उस आलिम के सवालात खत्म होते ही अमीरुल
मोमिनीन मौला अली ने उससे फरमाया कि तुम्हारे सवालों के जवाबाइकिरण यह है कि
वो मर्द जिसकी ना वालिदा है और ना वालिद वोह हजरत आदम अलैहि सलाम है और वह औरत
जिसकी ना वालिदा है और ना ही वालिद व हजरत बीबी हवा अलैहिम सलाम है जिस पत्थर के
बारे में तुमने पूछा है यह वह पत्थर है जिससे हजरत सालेह अलैहि सलाम की ऊंटनी की
पैदाइश हुई थी और व औरत जिसने एक ही दिन में तीन पहरों में एक बच्चे को जन्म दिया
था वो हजरत मरियम अलैहि सलाम है जिनको एक पहर में हमल ठहरा दूसरे पहर में जचगी का
दर्द होना शुरू हुआ और तीसरे पहर में हजरत ईसा अलैहि सलाम की विलादत पाक हो गई और वह
दोस्त जो कभी भी आपस में दुश्मन ना बनेंगे वह रूह और जिस्म है और वह दुश्मन जो आपस
में कभी भी दोस्त नहीं बनेंगे मौत और जिंदगी है यह जवाबाइकिरण
हैं अमीरुल मोमिनीन हजरत अली अलैहिस्सलाम बनी हाशिम के चश्मो चिराग थे यह खानदान
हरमे काबा की खिदमा सकाया जमजम के इंतजा मात की निगरानी और हुज्जाज कराम के साथ
तावुन और इमदाद के लिहाज में मक्का का मुमताज खानदान था बल्कि बनी हाशिम को सबसे
बड़ा शर्फ अल्लाह ताला की बारगाह से नसीब हुआ वह नबीए आखिर उज जमा सरव आलम की बसत
है जो दूसरे तमाम एजाजत से बुलंद तर है मौला अली रजि अल्लाह ताला अन्हो के वालिद
अबू तालिब और वालिदा फातिमा दोनों हाशमी थे बाज अवाल के मुताबिक हजरत अली की
विलादत मक्का शरीफ में आमल फील के सात साल बाद हुई बाज सीरत निगार लिखते हैं कि नबी
अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम की विलादत के 30 साल बाद हजरत अली पैदा हुए
हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हो
को अपनी किफा में ले लिया था इस तरह हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहुक रसूल अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम की आगोश मोहब्बत में तालीम और तरबियत नसीब हुई इस
बिना पर हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहुई तौर पर उमू खैर की तरफ रागब और बुत परस्ती
जैसी जाहि आना रसू से दूर रहते थे हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम
ने अल्लाह ताला की तरफ से मबस होने के बाद इस्लाम की तरफ दावत देने का आगाज पहले
अहले खाना से फरमाया हजरत खदीजातुल कुबरा रजि अल्लाह ताला अन्हा ने सबसे पहले उस
दावत को कबूल कर लिया और पहली मुसलमान खातून होने का शरफ हासिल किया हुजूर नबी
पाक सल्लल्लाहु अलैहि वाली वसल्लम के हलका अहबाब में सबसे पहले हजरत अबू बकर सिद्दीक
ने दावत हक कबूल कर ली और सबसे पहले मुसलमान बालिग मर्द होने का शरफ हासिल कर
लिया इसी तरह नोखे लड़कों में सबसे पहले नबी पाक के घर में तरबियत पाने वाले हजरत
अली करम उल्लाह वजल करीम मुशरफ ब इस्लाम हुए और गुलामों में सबसे पहले हुजूर नबी
पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम के खादिम हजरत जैद रजि अल्लाह ताला अनहर सा
ने मुसलमान होने की सहादत हासिल की नाजरीन हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि
वसल्लम ने अपने तमाम करीबी रिश्तेदारों को अपने घर में जमा करके दावत इस्लाम पेश की
तो मौजूद मर्दो खवातीन सब खामोश रहे हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हो उनमें से कम
उम्र थे उन्होंने उठकर कहा कि गो कि मैं उम्र में सबसे छोटा हूं और मुझे आशुब और
चश्म का आरज है और मेरी टांगें दुबली पतली हैं ताहम मैं आपका साथ और दस्तो बाजू
बनूंगा हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने फरमाया बैठ जाओ तू मेरा
भाई और मेरा वारिस है हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वालि वसल्लम की मदीना
मुनव्वरा की तरफ हिजरत के वक्त हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहर 23 साल थी सरव
कायनात ने मुशरिकीन मक्का के मुहास और उनके बुरे इरादों की इतल पाकर मौला अली
अलैहि सलाम को अपने बिस्तर पर इस्तरा हत करने का हुकम दिया और मक्का के लोगों की
अमानत जो हुजूर नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम के पास रखी गई थी उनके
मालिकों के सुपर्धमाका
सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम के बिस्तर पर सुकून और इत्मीनान के साथ महब ख्वाब हो
गए मुशरिकीन मक्का यह समझते रहे कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ही अपने
बिस्तर पर मौजूद हैं वो अलल सुबाह अपने नापाक इरादे की तक्मी के लिए अंदर आए तो
यह देखकर हैरान रह गए कि हुजूर करीम की जगह आपका एक जान सार अपने आका पर कुर्बान
होने के लिए मौजूद है दरा हालिया के हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम
हजरत अबू बकर सिद्दीक को साथ लेकर रात के वक्त में मदीना मुनव्वरा जाने के लिए निकल
चुके थे मुशरिकीन अपनी इस गफलत की बिना पर एक दूसरे पर बरहम होते रहे और हजरत अली
रजि अल्लाह ताला अनहुक अपने असल मकसद की तलाश में रवाना हो गए हजरत अली करम अल्लाह
वजह नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम के मक्का से तशरीफ ले जाने के बाद
दो या तीन दिन मक्का में रहे और हुजूर नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम की
हिदायत के मुताबिक लोगों की अमानत उनके सुपुर्द करके और लेनदेन के मामलात से फराग
हासिल करके तीसरे या चौथे दिन आजमे मदीना मुनव्वरा हुए नाजरीन दोही हिजरी में गजवा
बदर में 313 जान निसार सहाबा में हजरत अली नुमाया थे नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वालि
वसल्लम के सयाह रंग के दो झंडों में से एक हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहुक हाथ में
था बदर के मैदान में पहुंचते ही हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने दुश्मन
की नकल हरकत का पता चलाने के लिए हजरत अली को चंद मुंतखाब जानबाज के साथ भेजा
इन्होंने निहायत खूबी के साथ यह खिदमत अंजाम दी और मुजाहि दन इस्लाम ने मुशरिकीन
से पहले पहुंचकर बदर के अहम मकामा पर कब्जा कर लिया 17वी रमजान को जंग की
इब्तिदा में कायदे के मुताबिक पहले तन्हा मुकाबला शुरू हुआ तो मुशरिकीन मक्का की
तरफ से तीन बहादुर जंगजू निकले और मुसलमानों से मुबा तलब हुई तीन अंसारी
मुसलमानों ने उनकी दावत पर लब्बैक कहा और आगे बढ़े तो मुशरिकीन के बहादुर जंगजू ने
उनका नामो नसबे मालूम हुआ कि वह य असरफ के नौजवान हैं तो उनके साथ लड़ने से मुशरिकीन
ने इंकार कर दिया और हुजूर नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम को पुकार
कर कहा कि हमारे मुकाबले में हमारे हमसर कबीला कुरेश के आदमी भेजो इस पर हुजूर नबी
पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने अपने खानदान के तीन करीबी अजीज हजरत हमजा
रजि अल्लाह ताला अन मौला अली अलैहि सलाम और हजरत उबेद रजि अल्लाह ताला अन बिन
हारिस को मैदान में भेजा मौला अली ने अपने हरीफ वलीद को एक ही वार में तह तेग कर
दिया इसके बाद झुपत करर हजरत उबैद रजि अल्लाह ताला अन्हो की मदद की और उनके हरीफ
को भी कत्ल कर दिया इसके बाद आम जंग शुरू हुई तो हजरत अली करम उल्लाह वजह ने अपनी
शुजात के जोहर दिखाए और बहुत से कुफर को जहन्नुम वासिल कर दिया नाजरीन तीन हिजरी
में गजवा उहुद में हजरत अली रजि अल्लाह ताला अहुजा मसब बिन उमैर रजि अल्लाह ताला
अनहुक शहादत के बाद आगे बढ़कर आलम संभाला और बे जिगरी के साथ दाद शुजात दी इस गजवा
में हुजूर करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम जख्मी हो गए थे हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन चंद सहाबा कराम के साथ
हुजूर नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम को पहाड़ पर ले गए और अपनी ढाल में
पानी भरकर नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम के जख्मों पर गिराया ताकि खून
बंद हो जाए चार हिजरी में गजवा बनी नजर में अलम हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहुक
हाथ में था और वह पे पेश पेश थे बन नजर को उनकी बद ओहदी के बायस जला वतन कर दिया गया
था पांच हिजरी में गजवा खंदक में कभी कभार कुफा मक्का के घड़ सवार खंदक में घुसकर
हमला करते थे एक दफा घड़ सवारों ने हमला किया तो हजरत अली करम अल्लाह वजह ने चंद
जांबाज के साथ आगे बढ़कर उन्हें रोका और घड़ सवारों के सरदार अमर को कत्ल कर दिया
उसके कत्ल होने के बाद बाकी सवार भाग खड़े हुए गजवा खंदक के बाद बनू करीज की सरकू बी
की मुहिम में भी आलम नबवी हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहुक हाथ में था और उन्होंने
बनू करीज के किल्ले पर कब्जा कर लिया छ हिजरी में बनू साद की सरकू बी के लिए
हुजूर नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने हजरत अली करम अल्लाह वजह को 100
मुजाहिदीन की जमीयत के साथ मामूर फरमाया उन्होंने हमला करके बनू साद को मुंतशिर कर
दिया और यहूद खैबर की या आनत करने से उन्हें रोक दिया बनू साद के 500 ऊंट और
2000 बकरियां माले गनीमत में ले आए सात हिजरी में फतेह खैबर का शरफ भी मौला अली
अलैहि सलाम को हासिल हुआ इस मरका में भी हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि
वसल्लम ने अपना अलम मौला अली अलैहि सलाम को दिया था और अलम देने से एक दिन पहले
फरमाया था कि कल एक ऐसे बहादुर को अलम दूंगा जो खुदा और रसूल सल्लल्लाहु अलैहि
वा आलि वसल्लम का महबूब है और खैबर की फत उसके हाथ से ही मुकद्दर है इस मरका में
हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हो ने खैबर के यहूदियों के सरदार मरहब को एक ही वार
में ढेर कर दिया था और हैरत अंगेज शुजात के साथ खैबर के मजबूत किल्ले को फतेह कर
लिया आठ हिजरी में फतेह मक्का के मौके पर हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि
वसल्लम ने हजरत अली उल मुर्तजा शेर खुदा को हुकम दिया कि वह हजरत सद बिन अब बादा
रजि अल्लाह ताला अन्हो से अलम लेकर मक्का मोजमा में दाखिल हो जाएं चुनांचे वह मक्का
में दाखिल हो गए और मक्का मोजमा बगैर किसी खून रेजी के फतेह हो गया काबा को बुतों से
पाक करते हुए हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने हजरत अली रजि
अल्लाह ताला अनहुक अपने कंधे पर चढ़ाकर सबसे बड़े बुत को गिराने का हुकुम दिया
उन्होंने सल्ला से उखाड़कर उस बुत को पाश पाश कर डाला और खाना काबा की ततहीर का काम
मुकम्मल हो गया फतेह मक्का के बाद गजवा हुनैन के अजीम उल शान मोरका में 12000
मुजाहिदीन इस्लाम में से जो हजरात साबित कदम रहे थे उनमें से एक हजरत अली रजि
अल्लाह ताला अन्हो थे आपने गैर मामूली शुजात से लड़ाई को शिकस्त से फतह में
तब्दील कर देने में अहम किरदार अदा किया बिलार अल्लाह ताला की नुसरत शामिले हाल हो
गई और दुश्मन को शिकस्त हो गई नौ हिजरी में तबू की मुहिम के मौके पर हुजूर नबी
पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने मौला अली को अहले बैत की हिफाजत के लिए
मदीना मुनव्वरा में रहने का हुकम दिया तो शेर खुदा को जिहाद से महरूम का गम लहक हो
गया हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने उनका गम दूर करने के लिए इरशाद
फरमाया क्या तुम इसे पसंद करोगे कि मेरे नजदीक तुम्हारा वो रुतबा हो जो हारून
अलैहि सलाम का मूसा अलैहि सलाम के नजदीक था गजवा तबू से वापसी के बाद उसी साल
हुजूर नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने हजरत अबू बकर सिद्दीक रजि
अल्लाह ताला अन्हो को अमीर हज्ज बनाकर रवाना फरमाया था इसके बाद हुजूर नबी करीम
सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम पर मदीना मुनव्वरा में सूरत तौबा नाजिल हुई हुजूर
नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने मौला अली अलैहि सलाम को हुकम दिया कि वह हज के इजतिमा आम में जाकर इस सूरत को
सुनाएं और यह ऐलान कर दें कि इस साल के बाद कोई मुशरिक हज के लिए नहीं आ सकता और
कोई शख्स काबा का तवाफ बरना होकर ना करें रमजान 10 हिजरी में हुजूर नबी पाक
सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने मौला अली अलैहि सलाम को यमन जाकर तबलीग इस्लाम
का हुकम दिया इस मौके पर हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने हजरत
अली के हक में यह दुआ फरमाई कि ऐ खुदा इसकी जुबान को रास्त गो बना और इसके दिल
को हिदायत के नूर से मुनर कर दे इस दुआ के बाद नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि
वसल्लम ने हजरत अली उल मुर्तजा शेर खुदा को अपना सयाह आलम देकर यमन की तरफ रवाना
फरमा दिया यमन में मौला अली की तालीम और तकलीमिया
हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम के हजत विदा में हजरत अली ने यमन
से आकर शिरकत की थी हजरत अली करम अल्लाह वजह को बचपन ही से नबी पाक सल्लल्लाहु
अलैहि वा आलि वसल्लम से तालीम और तरबियत का जो मौक मिला था उसका सिलसिला हमेशा
कायम रहा अक्सर सफर में भी हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम की रफाकत का शरफ हासिल होता इसलिए सफर से मुतालिक
शरई अह काम से वाकफिट हासिल हो जाती थी हजरत आयशा सिद्दीका से मस के मुतालिक सवाल
किया गया तो उन्होंने हजरत अली से पूछने के लिए कहा और इसकी वजह यह बयान फरमाई कि
वह हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम के साथ सफर करते थे हजरत अली
ने बचपन से लेकर हुजूर पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम की वफात तक पूरे 30
साल नबी पाक सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम की खिदमत और र फाकत में बसर किए थे
और सफर और हिजर में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम के साथ रहे नबी पाक
सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम की वफात के बाद तकरीबन 30 साल तक मौला अली अलैहि
सलाम मसनद इरशाद पर फायज रहे पहले तीन खुलफा ए राशिद के अहद में दावत और इरशाद
और कज की खिदमत हजरत अली के सुपर्धमाका में भी मौला अली अलैहि सलाम का फैज जारी
रहा मौला अली की रिवायत करदा हदीस की तादाद द 586 है हजरत अली रजि अल्लाह ताला
अनहुक के अलावा अपने रुफु में हजरत अबू बकर हजरत उमर हजरत मकदा
बिन अवद और अपनी जौजा मोहतरमा हजरत फातिमा अलमा सलाम से भी रिवायत की हैं हजरत अली
अलैहि सलाम को फिकह इतिहा द में भी कामिल दस्त गह हासिल थी बड़े-बड़े सहाबा कराम
हजरत उमर और हजरत आयशा रजि अल्लाह ताला अन्हा को भी कभी-कभी हजरत अली अलैहि सलाम
के फजल कमाल का ममनून होना पड़ता था फिकह इतिहा द के लिए किताबो सुन्नत के इल्म के
साथ सरात फहम दकिका संजी और गैर मामूली जिहान की बड़ी जरूरत होती है मौला अली को
यह सब कमाला अल्लाह ताला की तरफ से अता किए गए थे मुश्किल से मुश्किल और पेचीदा
मसाइल की तह तक आपकी नुक्ता रस निगाह आसानी से पहुंच जाती थी कुरान और सुन्नत
और फिकह और इतिहा द में गहरी बसीरत की बिना पर मौला अली अलैहि सलाम मनसब कज के
लिए बहुत ज्यादा मौजू थे हजरत उमर फरमाया करते थे कि हम में से मुकद्दमा के फैसले
के लिए सबसे मौजू हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हो है हजरत अब्दुल्लाह बन मसूद
रजि अल्लाह ताला अन ने फरमाया कि हम सहाबा कहा करते थे कि मदीना वालों में सबसे
ज्यादा सहीह फैसला करने वाले हजरत अली है हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि
वसल्लम ने यमन के काज के तौर पर हजरत अली को मुकर्रर फरमाया था उनके हक में दुआ भी
की और कज के बुनियादी उसूलों की तालीम भी दी हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा
आलि वसल्लम ने उन्हें फरमाया जब तुम दो आदमियों का झगड़ा चुकाने लगो तो सिर्फ एक
आदमी का बयान सुनकर फैसला ना करो उस वक्त तक अपने फैसले को रोको जब तक दूसरे का
बयान भी ना सुन लो हजरत उमर फारूक रजि अल्लाह ताला अन्हो ने भी हजरत अली को
मदीना का काज मुकर्रर फरमाया था हजरत अली रजि अल्लाह ताला माहिर आदिल और काबिल काज के तौर पर अपने
फराइज अदा किए थे खिलाफत राशिद के जमाना में हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन खलीफा
अव्वल अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह ताला अनहुई फाए दोम हजरत उमर रजि अल्लाह ताला
अनहर खलीफा ए सौम हजरत उस्मान रजि अल्लाह ताला अनहुक मुशीर रहे थे हजरत अली को
मजलिस शूरा में शामिल रखा गया था हजरत उमर को जब कोई मुश्किल मामला पेश आता तो हजरत
अली अलैहि सलाम से मश करते थे उन्होंने फरमाया था कि अगर अली ना होते तो उमर हलाक
हो जाता हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहुक अदालती फैसले इस्लामी कानून के बेहतरीन
नज़ायर की हैसियत रखते हैं इसलिए अहले इल्म ने उनको तहरीर सूरत में मदन कर दिया
था नाजरीन एक जगह में लड़ाई अपने उरूज पर थी मौत का रक्स जारी था और हजरत अली शेर
खुदा शहादत के शौक में मैदान कारज में अपनी जान की बाजी लगाते हुए किसी तरदूत और
तामिल और बुजदिली के बगैर जोहर शुजात दिखा रहे थे और बहुत से यहूदियों को ठिकाने लगा
चुके थे किल्ला फतह होने के करीब था कि अचानक किल्ला के पहरेदार का एक ग्रह निकला
और उस ग्रह के एक आदमी ने मौला अली अलैहि सलाम पर इस जोर से वार किया कि ढाल भी
आपके हाथ से गिर गई चुनांचे मौला अली शेर खुदा ने पुकार कर कहा उस जात की कसम जिसके
कब्जे में मेरी जान है या तो मैं भी शहादत का वही मजा चखू जो हमजा रजि अल्लाह ताला
अह ने रखा था या अल्लाह ताला मेरे लिए जरूर इस किल्ले को फतह फरमा देगा यह फरमा
करर मौला अली ने शेर की तरह एक पुराने दरवाजे की तरफ दौड़े जो किल्ले के पास
पड़ा हुआ था आपने उस दरवाजे को उठाया और उसको ढाल की जगह इस्तेमाल करते हुए बचाव
का जरिया बनाते रहे जब तक आप दुश्मनों से लड़ने में मसरूफ रहे वह दरवाजा आपके हाथ
में ही रहा यहां तक कि आप रजि अल्लाह ताला अनहुक हाथ पर अल्लाह ताला ने उस किल्ले को
फतह फरमा दि दिया आपने उस दरवाजे को फिर फेंक दिया हजरत अबू राफे रजि अल्लाह ताला
अनहर माते हैं कि मौला अली अलैहि सलाम के साथ मौजूद लश्कर इस बात का ऐनी शाहिद है
कि मैंने अपने सात आदमियों समेत यह कोशिश की कि उस दरवाजे को उठा ले या उल्टा कर
दें जिसे हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहर था लेकिन हम ऐसा ना कर सके एक मर्तबा एक
कमजोर जिस्म का शख्स हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहुक खिदमत में हाजिर हुआ और आपके
साम ने बैठकर कमजोर आवाज में कहने लगा या अली मुझे तकदीर के बारे में बताइए कि इसकी
हकीकत क्या है उसके सवाल के जवाब में मौला अली अलैहि सलाम ने फरमाया ऐ शख्स यह एक
तारीक रास्ता है तुम इस पर नहीं चल सकोगे यह एक गहरा समंदर है तुम इसमें दाखिल नहीं
हो सकोगे उस शख्स ने दोबारा अपना सवाल दोहराया आप मुझे तकदीर के बारे में बता
दीजिए मौला अली अलैहि सलाम ने उसे समझाने की कोशिश फरमाई लेकिन वह शख्स मुसलसल
इसरार करते हुए उनसे तकदीर के मुतालिक सवाल करने लगा तो मौला अली ने फरमाया यह
अल्लाह का राज है जो तुझसे पोशीदा है लिहाजा तुम इस राज को अफशा ना करो जब उस
शख्स का इसरार मजीद बढ़ा और उसने एक मर्तबा फिर मौला से तकदीर के मुतालिक सवाल
किया तो मौला अली ने फरमाया ऐ सवाल करने वाले यह तो बता कि अल्लाह ताला ने तुझे
अपनी मंशा के मुताबिक पैदा किया या तेरी मर्जी के मुताबिक उसने अर्ज किया कि
अल्लाह ने मुझे अपनी मर्जी और मंशा के मुताबिक पैदा फरमाया चुनांचे मौला अली अलैहि सलाम ने फरमाया तो बस फिर तुझे जिस
काम के लिए चाहे इस्तेमाल करें एक मर्तबा एक यहूदी हजरत अली करम अल्लाह वजल करीम के
पास आया और खबा सत भरे अंदाज में पूछने लगा या अली हमारा रब कब से है यह सुनकर
हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहुक चेहरा
मुतगी शाने पर रखकर उसको झंझोट और फरमाया वो जात ऐसी नहीं है है कि एक जमाने में
मौजूद नहीं थी फिर मौजूद हुई बल्कि वह इब्तिदा से मौजूद है वह जात बिला कैफियत
है ना इससे कब्लर और ना उसकी कोई इंतहा है और हर इंतहा की इंतहा है उस आदमी ने
इंसारी के साथ अपना सर झुका लिया और कहने लगा ऐ अब अल हसन आपने सच फरमाया फिर उसकी
आंखों से आंसू जारी हो गए और उसने अल्लाह ताला की माबूद येत और रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम की रिसालत
का इकरार किया और मुसल मान होकर वापस चला गया मजज खवातीन हजरात एक मर्तबा हजरत
सैयदना उमर रजि अल्लाह ताला अनहुक दौरे खिलाफत में एक लड़के को जना के जुर्म में
सजा देने के लिए ले जाया जा रहा था वाज रहे कि इस्लाम में शादीशुदा जानी के लिए
संसार और गैर शादीशुदा के लिए 80 कोड़े बतौर सजा है वो लड़का ऊंची ऊंची आवाज से
पुकार रहा था कि मैं बेगुनाह हूं मुझे सजा ना दी जाए मौला अली अलैहि सलाम का वहां से
गुजर हुआ तो मौला अली ने उस लड़के की पुकार सुनकर सरकारी अहल कां को रुकने का
हुकम दिया और लड़के से पूछा क्या मामला है लड़के ने कहा या अली जिस जुर्म की निस्बत
मेरी तरफ की जा रही है वह मैंने नहीं किया दावा करने वाली मेरी मां है मौला अली रजि
अल्लाह ताला अनहर माया कि इसकी सजा को रोक दिया जाए मैं इस केस को दोबारा सुन लूं
अगर यह लड़का गुनाहगार हुआ तो तब सजा देना दूसरे दिन मौला अली अलैहि सलाम ने औरत और
लड़के को अदालत में तलब फरमाया औरत से पूछा क्या इसने तेरे साथ गलत किया है उसने
कहा हां फिर हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहुक से पूछा कि यह औरत तेरी क्या लगती
है तो उसने जवाब दिया कि यह मेरी मां है औरत ने उसे बेटा मानने से इंकार कर दिया
फैसला सुनने के लिए लोगों का बहुत ज्यादा हुजूम जमा था मौला अली अलैहि सलाम ने
फरमाया तो अच्छा फिर ऐ औरत मैं इस लड़के का तेरे साथ इतने हक महर के बदले निकाह
करता हूं तो औरत चीख उठी या अली क्या किसी बेटे का मां के साथ निकाह हो सकता है मौला
अली ने इस्तफा फरमाया कि क्या मतलब तो उस औरत ने जवाब दिया कि या अली यह लड़का तो
वाकई मेरा बेटा है इस पर हजरत सैयदना अली उल मुर्तजा शेर खुदा ने फरमाया कि क्या
कोई बेटा अपनी मां के साथ बदका कर सकता है औरत ने कहा कि नहीं मौला अली ने फरमाया तो
फिर तूने इस अपने बेटे पर ऐसा इल्जाम क्यों लगाया तो औरत ने जवाब दिया कि या अली मेरी शादी एक अमीर कबी शख्स से हुई थी
उसकी बहुत ज्यादा जायदाद थी यह बच्चा अभी कमसन दूध पीता ही था कि मेरा
खावनगलुंग यह लड़का बड़ा हुआ तो मां की मोहब्बत ने
इसके दिल में अंगड़ाई ली यह मां को तलाश करता करता मेरे तक पहुंच गया मेरे भाइयों
ने मुझे फिर वरग लाया कि इस इस पर झूठा इल्जाम लगाकर इसकी जिंदगी का सांस हमेशा
के लिए खत्म कर दिया जाए तो मैंने अपने ही बेटे पर झूठा इल्जाम अपने भाइयों की बातों
में आकर लगा दिया हकीकत यह है कि यह मेरा बेटा है और बिल्कुल बेगुनाह है जब इस
किस्से का इल्म हजरत उमर इब्ने खत्म को हुआ तो आपने फरमाया कि अगर आज अली ना होते
तो उमर हलाक हो जाता एक और मशहूर वाकया जिसमें हजरत उमर ने फरमाया कि अगर अली ना
होते तो मैं हलाक हो जाता वो यूं है कि मदीना मुनव्वरा में एक लड़के को गिरफ्तार
करके ले जा रहे थे कि उस लड़के ने हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हू से देखकर
पुकारा कहा या अली मुझे बचाओ मौला अली ने पूछा क्या हुआ तो लड़का कहने लगा या अली
मैं बेगुनाह हूं मुझे बेगुना के बावजूद कत्ल की सजा दी गई है मुझे बचाओ मैं
बेगुनाह हूं मौला अली अलैहि सलाम ने पुलिस के आदमी से पूछा कि क्या बात है तो उस
पुलिस के आदमी ने कहा कि या अली आपको मालूम नहीं कि इस ल लड़के ने अपने मालिक
को कत्ल किया है और मालिक के कत्ल के बदले में इसको कत्ल किया जा रहा है मौला अली ने
उस लड़के से पूछा कि भाई तूने मालिक को कत्ल किया है उस लड़के ने कहा कि हां
मैंने मालिक को कत्ल किया है तो मौला अली अलैहि सलाम ने फरमाया कि फिर तो तेरा कत्ल
उस कत्ल के बदले में जायज है तो उस लड़के ने कहा कि जायज नहीं है क्योंकि मेरा मालिक मेरे साथ बुराई का इरादा करता था
मेरी इज्जत पर वह हमला करना चाहता था तो मैंने अपनी इज्जत को बचाने के लिए उसको
कतल किया है और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम का हुक्म है कि जो आदमी इज्जत
को बचाने के लिए किसी को कत्ल कर दे तो उसके बदले में उसको कत्ल नहीं किया जाता सिपाही से पूछा कि वाकई इसने यह कहा
सिपाही ने कहा कि बात तो ठीक है लेकिन इसके पास इस वाकए का कोई गवाह नहीं है कि
वह मेरे साथ बुराई का इरादा करता था इसलिए खलीफा वक्त और काज वक्त ने यह देखा कि
मालिक कत्ल हो गया अब मालिक तो चला गया अब कौन बताए कि मालिक ने इसके साथ बुराई का
इरादा किया था उसका कोई गवाह भी नहीं है इसलिए हमने इसे कत्ल की सजा दी है वह
लड़का रोने लगा कहने लगा वाकत मेरे मालिक ने मेरे साथ बुराई का इरादा किया था मौला
अली रजि अल्लाह ताला अनहर उमर के पास आए और आकर फरमाया अमीरुल मोमिनीन आप इस कत्ल
की तफ्तीश मेरे सुपरत कर दें मौला अली के फैसले बड़े गहरे हुआ करते थे हजरत उमर रजि
अल्लाह ताला अन्हो ने फरमाया कि ठीक है इस कत्ल की तफ्तीश आप करें अब हजरत अली करम
उल्लाह वजह तफ्तीश करने के लिए आए उस लड़के से पूछा कि बता तेरे मालिक की कब्र
कहां है उसने कहा कि फलां कब्रिस्तान में है मौला अली ने पुलिस के चंद आदमियों को
अपने साथ लिया और पुलिस के चंद आदमियों के हमराह उस कत्ल की तफ्तीश के लिए
कब्रिस्तान में चले गए जब कब्रिस्तान पहुंचे तो पुलिस के आदमियों से कहा कि इसके मालिक की कब्र खोद जब उन्होंने कब्र
खोदी तो कब्र में उसके मालिक की लाश नहीं थी जब उसकी कब्र में मालिक की लाश नजर ना
आई तो हजरत अली रजि अल्लाह ताला अनहुक आ गए और हजरत उमर से आकर कहा कि यह लड़का
सच्चा है वह मालिक वाकई इसके साथ बुराई का इरादा रखता था हजरत उमर ने फरमाया कि
तुम्हारे पास क्या दलील है तो मौला अली रजि अल्लाह ताला अन्हो ने फरमाया कि मैंने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम से
यह हदीस सुनी है कि जो आदमी लड़कों से बुराई का इरादा करता है जब उसका इंतकाल
होता है और उसको कब्र में डाला जाता है तो उसकी लाश को उठाकर कौम लूत के कब्रिस्तान
में भेज दिया जाता है तो इसलिए जब हमने इसकी कब्र को कुरी द तो इस कब्र के अंदर
उसके मालिक की लाश नहीं थी जबकि अभी चंद दिन पहले उसको दफन किया गया था इसलिए वाकई
उसका मालिक इसके साथ बुराई का इरादा करता होगा इस शिक का फायदा देते हुए इस लड़के
को बरी किया जाता है इस मौके पर हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अनहर माया था कि अगर आज
अली रजि अल्लाह ताला अन ना होते तो उमर हलाक हो जाता इसी तरह हजरत अली रजि अल्लाह
ताला अन्हो के दौर में दो मुसाफिर चलने के बाद बहुत थक गए तो उन्हें शदीद भूख महसूस
हुई दोनों सयादी के नीचे बैठ गए और अपने-अपने खाने के बर्तन खोले एक के पास
पांच रोटियां थी और दूसरे के पास तीन अभी खाना शुरू भी नहीं किया था कि तीसरा
मुसाफिर पास से गुजरा सलाम करने पर दोनों ने जवाब देकर खाने की दावत दी उसने कबूल
कर ली तीनों ने खाना खाया खाना खाने के बाद वह साहिब खड़े हो गए और आठ दरहम देते
हुए कहा कि जो खाना तनाव किया है उसके ववज यह दरहम कबूल कर लीजिए उसके जाने के बाद
दोनों के दरमियान रकम की तकसीम को लेकर तनाजा खड़ा हो गया जिस शख्स की पांच
रोटियां थी वो पांच दरहम खुद रखने पर और तीन दूसरे को देने पर बजिद था जिस शख्स की
तीन रोटियां थी वो रकम को बराबर तकसीम करने का ख्वा था आखिर फैसले के लिए हजरत
अली अलैहि सलाम के पास हाजिर हुए पूरा वाकया सुनाया तो मौला अली रजि अल्लाह ताला
अनहट वाले से कहा कि जब तुम्हारी तीन रोटियां थी तो तुम्हें तीन दरहम पर राजी
होना चाहिए था मगर वह अड़ गया मौला अली ने फरमाया कि तुम्हारा साथी तीन दरहम देकर
तुम पर एहसान कर रहा है दरअसल तुम एक दरहम के हकदार हो उस शख्स ने अदब से कहा कि
सुभान अल्लाह अगर इंसाफ का यही तकाजा है तो मुझे वजह बताइए मैं एक दरम पर राजी हो
जाऊंगा मौला अली ने समझाते हुए फरमाया कि रोटियां आठ थी और खाना ने वाले तीन जाहिर
है कि आठ तीन पर तकसीम नहीं हो सकता इसलिए माना जाएगा कि तीनों ने बराबर रोटियां खाई
हैं सबको मसावी करने के लिए रोटियों के टुकड़े माने जाएंगे हर रोटी को तीन
टुकड़ों में तकसीम किया जाएगा इस तरह आठ रोटियों के 24 टुकड़े हुए इस हिसाब से हर
शख्स ने रोटी के आठ आठ टुकड़े खाए अब चूंकि तुम्हारी तीन रोटियां थी उनके नौ
टुकड़े हुए जिनमें से आठ टुकड़े तुमने खुद खा लिए बाकी बच बचा एक टुकड़ा वह तीसरे
शख्स ने खा लिया तुम्हारे साथी की पांच रोटियों के 15 टुकड़े हुए जिनमें से आठ
उसने और बाकी सात तीसरे शख्स ने खाए उस शख्स ने तुम्हारी रोटियों का एक टुकड़ा
खाया इसलिए तुम्हारा हक एक दरहम है वो शख्स खुशी-खुशी एक दरहम पर राजी हो गया
आफरीन है मनसब पर और आफरीन है मोदई पर जिसने फौरन सर तस्लीम खम कर दिया एक और
वाकया आपकी जहान से मुतालिक यूं है कि तीन आदमियों के दरमियान 17 ऊंटों की तकसीम पर
झगड़ा हो गया क्योंकि उनमें से एक का कुल में आधा हिस्सा था दूसरे का तिहाई और
तीसरे का नवा हिस्सा था और हर एक सही और मुकम्मल ऊंट लेना चाहता था लेकिन 17 का
अदद मजकूर हिस्सों पर बगैर कसर के तकसीम नहीं हो सकता था यह मामला मौला अली अलैहि
सलाम की खिदमत में पेश हुआ आपने उन तीनों आदमियों से फरमाया अगर तुम इजाजत दो तो
मैं बगैर ऊंट जिबह किए सहीह फैसला कर दूं और और फैसले में आसानी के लिए ऊंटों में
अपना एक ऊंट शामिल कर दूं उन लोगों ने कहा कि कोई हर्ज नहीं चुनांचे आपने अपना एक
ऊंट उन 17 ऊंटों में मिला दिया ऊंट 18 हो गए तो मौला अली अलैहि सलाम ने उनमें से
आधे हिस्से के मालिक को कहा कि तुम इसमें से अपना निस्फ हिस्सा अलग कर लो उसने नौ
ऊंट अलहदा कर लिए फिर आपने तिहाई हिस्से वाले से फरमाया तुम अपने तिहाई हिस्से
यानी छह ऊंट अलग कर लो इसके बाद आपने नए हिस्से वाले से फरमाया कि तुमम 18 का नवा
हिस्सा यानी दो ऊंट ले लो उसने अपने दो ऊंट ले लिए इस तरह यह सब 17 ऊंट पूरे हो
गए और आपने अपना ऊंट वापस ले लिया तीनों हिस्सेदार ने इस तकसीम को पसंद किया और
फैसला तस्लीम कर लिया नाजरीन मौला अली अलैहि सलाम की बहुत सी करामात हैं आपकी
कराम तों में से चंद करामात यह हैं कि मकाम सफीन को जाते हुए मौला अली अलैहि
सलाम का लश्कर एक ऐसे मैदान से गुजरा जहां पानी नायाब था पूरा लश्कर प्यास की शिद्दत
से बेताब हो गया वहां के गिरजा घर में एक राहिब रहता था उसने बताया कि यहां से दो
कोस के फासले पर पानी मिल सकेगा कुछ लोगों ने इजाजत तलब की ताकि वहां से जाकर पानी
पिएं यह सुनकर आप अपने खच्चर पर सवार हो गए और एक जगह की तरफ इशारा फरमाया कि इस
जगह तुम लोग जमीन को खो दो चुनांचे लोगों ने जमीन की खुदाई शुरू कर दी तो एक प
पत्थर जाहिर हुआ लोगों ने उस पत्थर को निकालने की इंतहा कोशिश की लेकिन तमाम
हालात बेकार हो गए और वह पत्थर ना निकल सका यह देखकर आपको जलाल आ गया और आपने
अपनी सवारी से उतर कर आस्तीन चढ़ाई और दोनों हाथों की उंगलियों को उस पत्थर की
दराज में डालकर जोर लगाया तो वह पत्थर निकल पड़ा और उसके नीचे से एक निहायत ही
साफ शफाफ और शिरीन पानी का चश्मा जाहिर हो गया और तमाम लश्कर कर उस पानी से सराब हो
गया लोगों ने अपने जानवरों को भी पिलाया और लश्कर की तमाम मशको को भी भर लिया फिर
आप रजि अल्लाह ताला अन ने उस पत्थर को उसी जगह पर रख दिया गिरजा घर का ईसाई राहे बाप
की यह करामत देखकर सामने आया और आप रजि अल्लाह ताला अनहर याफ्ता किया कि क्या आप
फरिश्ता हैं आप रजि अल्लाह ताला अनहर माया नहीं उसने पूछा कि क्या आप नबी हैं तो
मौला अली ने फरमाया नहीं उसने कहा फिर आप कौन हैं तो मौला अली अलैहि सलाम ने फरमाया
कि मैं पैगंबर मुर्सल हजरत मोहम्मद बिन अब्दुल्लाह खात उल नबीन सल्लल्लाह अलैहि
वा आलि वसल्लम का सहाबी हूं और मुझको हुजूर अकदर सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि
वसल्लम ने चंद बातों की वसीयत भी फरमाई है यह सुनकर वह ईसाई राहिब कलमा शरीफ पढ़कर
मुशरफ ब इस्लाम हो गया आप रजि अल्लाह ताला अन्हो ने फरमाया कि तुमने इतनी मुद्दत तक
इस्लाम कबूल नहीं किया था राहिब ने कहा कि हमारी किताबों में यह लिखा हुआ है कि इस
गिरजा घर के करीब जो एक चश्मा पोशीदा है और उस चश्मे को वही शख्स जाहिर करेगा जो
या तो नबी होगा या नबी का सहाबी होगा चुनांचे मैं और मुझसे पहले बहुत से राहिब
इस गिर्जा घर में इसी इंतजार में मुकीम रहे अब आज आपने यह चश्मा जाहिर कर दिया तो
मेरी मुराद बराई इसलिए मैंने आपके दीन को कबूल कर लिया राहिब की तकरीर सुनकर आप रो
पड़े और इस कदर रोए कि आपकी रीश मुबारक आंसुओं से त हो गई और फिर आपने इरशाद
फरमाया अल्हम्दुलिल्लाह अजज वजल के उन लोगों की किताबों में भी मेरा जिक्र है यह
राहिब मुसलमान होकर आपके खादों में शामिल हो गया और आपके लश्कर में दाखिल होकर शामि
हों से जंग करते हुए शहीद हो गया और आपने उसको अपने दस्ते मुबारक से दफन किया और
उसके लिए मगफिरत की दुआ फरमाई हजरत अब्दुल रहमान बिन अबी लैला रहमतुल्लाह अलैह कहते
हैं कि हजरत अली करम उल्लाह वजह सर्दियों में एक एक लुंगी और एक चादर ओड़कर बाहर
निकला करते थे और यह दोनों कपड़े पतले होते थे और गर्मियों में मोटे कपड़े ऐसा
जुब्बा पहनकर निकला करते थे जिसमें रुई भरी होती थी लोगों ने मुझसे कहा कि आपके
अब्बा जान रात को हजरत अली उल मुर्तजा रजि अल्लाह ताला अनहट करते हैं आप अपने अब्बा
जान से कहें कि वह मौला अली अलैहि सलाम से इस बारे में पूछें मैंने अपने वालिद से कहा कि लोगों ने अमीरुल मोमिनीन का एक काम
देखा है जिससे वह हैरान है मेरे वालिद ने कहा कि वह क्या है मैंने कहा कि वह सख्त
गर्मी में रुई वाले जुब्बा और मोटे कपड़ों में बाहर आते हैं और उन्हें गर्मी की कोई
परवाह नहीं होती और सख्त तरीन सर्दी में पतले कपड़ों में बाहर आते हैं ना उन्हें
सर्दी की कोई परवाह होती है और ना वह सर्दी से बचने की कोशिश करते हैं तो क्या
आपने उनसे इस बारे में कुछ सुना है लोगों ने मुझे कहा है कि जब आप रात को उनसे
बातें करें तो यह बात भी उनसे पूछ लें चुनांचे जब रात को मेरे वालिद हजरत अली उल
मुर्तजा रजि अल्लाह ताला अनहुक पास गए तो उनसे कहा कि या अली लोग आपसे एक चीज के
बारे में पूछना चाहते हैं तो मौला अली ने कहा वो क्या है मेरे वालिद ने कहा कि या
अली आप सख्त गर्मी में रुई वाला जुब्बा और मोटे कपड़े पहनकर बाहर आते हैं और सख्त
सर्दी में दो पतले कपड़े पहनकर बाहर आते हैं ना आपको सर्दी की परवाह होती है और ना
उससे बचने की कोशिश करते हैं मौला अली अलैहि सलाम ने फरमाया ऐ अबू लैला क्या आप
खैबर में हमारे साथ नहीं थे मेरे वालिद ने कहा अल्लाह की कसम मैं आप लोगों के साथ था
मौला अली उल मुर्तजा ने फरमाया हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने पहले हजरत अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह ताला
अन्हो को भेजा वह लोगों को लेकर किल्ले पर हमलावर हुए लेकिन किल्ला फतेह ना हो सका
वह वापस आ गए हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वालि वसल्लम ने फिर हजरत उमर को भेजा वो लोगों
को लेकर हमला आवर हुए लेकिन किल्ला फतेह ना हो सका वह भी वापस आ गए फिर आप
सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने फरमाया अब मैं झंडा ऐसे आदमी को दूंगा जिससे
अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम से बहुत मोहब्बत है अल्लाह
उसके हाथों फतेह नसीब फरमाए का और वह भगोड़ा भी नहीं है चुनांचे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने आदमी
भेजकर मुझे बुलाया और आप सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम की खिदमत में हाजिर हुआ
मेरी आंख दुख रही थी मुझे कुछ नजर नहीं आ रहा था हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि
वसल्लम ने मेरी आंखों पर लु आब लगाया और यह दुआ की ऐ अल्लाह गर्मी और सर्दी से
इसकी हिफाजत फरमा इसके बाद मुझे ना कभी गर्मी लगी और ना कभी सर्दी एक शख्स आप रजि
अल्लाह ताला अन की खिदमत अकदर में हाजिर हुआ तो आपने उसको उसके हालात बताकर यह
बताया कि तुमको फलां खजूर के दरख्त पर फांसी दी जाएगी चुनांचे उस शख्स के बारे
में जो कुछ आप रजि अल्लाह ताला अन्हो ने फरमाया था वह हर्फ ब हर्फ दुरुस्त निकला
और आपकी पेश गोई पूरी होकर रही एक मर्तबा जब मौला अली छोटी उम्र के थे यानी अभी
जवानी का वक्त था तो उस वक्त नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम ने आपको
गवर्नर बनाकर भेजा तो आप फौरन अर्ज करने लगे कि या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वा
आलि वसल्लम मुझे सियासत नहीं आती मैं दो लोगों के दरमियान फैसला नहीं कर सकता और
मुसा हत का तरीका भी मैंने कभी नहीं सीखा तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाह वालि वसल्लम ने
फरमाया ऐ अली मैं तुम्हारे लिए दुआ करता हूं तुम्हें कभी मुश्किल पेश ना आएगी बस
यह याद रखना कि जब भी तुम्हारे पास कोई शख्स फरियाद लेकर आए तो तुम दूसरे की बात
भी मुकम्मल सुनना और दूसरे शख्स की बात सुने बगैर कभी फैसला ना करना मौला अली
अलैहि सलाम फरमाते हैं कि उस दुआ की वजह से मुझे कभी परेशानी नहीं हुई और हमेशा
फैसला करने में अल्लाह ताला की मदद साथ होती थी और मैं इस नसीहत पर खूब अमल किया
करता था जब तक दूसरे फरीक की बात ना सुन लूं कोई नतीजा अखज नहीं करता था यह तो एक
छोटा सा वाकया है गजवा खैबर में जब मौला अली अलैहि सलाम को रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु
अलैहि वा आलि वसल्लम ने झंडा अता फरमाया और किस शान से फतेह हासिल हुई उसका तजक हम
आइंदा वीडियो में जरूर करेंगे आपको बताता चलूं कि मौला अली अलैहि सलाम उन खुशनसीब
सहाबा में से हैं जिनकी कसरत अजवा आज और कसरत औलादे थी यानी आपकी बीवियां भी बहुत
सारी थी और औलाद भी बहुत सारी थी कसरत अजवा आज यानी मुता दद शादियों की फजीलत पर
बहुत सारे लोग बयान करते हैं और इसके इतने
फवाइव पड़ जाए वहां से बेहयाई रुखसत हो जाती है फसा दत और लड़कियों का घर से भाग
जाना खत्म हो जाता है मुशे में अमन और सुकून फैलने लगता है इसलिए सहाबा कराम के
दौर में अगर देखा जाए तो एक शादी वाले साहा साबा बहुत कम सुनने को मिलते हैं
बल्कि कोई सहाबी ऐसा है ही नहीं जिसने एक शादी की हो ना होने के बराबर हैं और मौला
अली अलैहि सलाम के बारे में एक रिवायत यह भी है कि आपकी नौ शादियां थी टोटल नौ
शादियां यानी आप तलाक भी दे दिया करते थे और ब एकक वक्त एक से जयद बीवियां भी रख
लिया करते थे इसी वजह से बाज रिवायत से मालूम होता है कि नबी अकरम सल्लल्लाहु
अलैहि वा आलि वसल्लम ने निकाह के वक्त हजरत अली से फरमाया था कि फातिमा मेरी
बेटी है मेरे जिगर का टुकड़ा है तुमने इसको तकलीफ दी तो मुझे भी तकलीफ होगी बस
मुहसीन और मुसन्निफ लिखते हैं कि यह एक जबरदस्त इशारा था उस तरफ कि फातिमा के
होते हुए अली दूसरी शादी ना करें लिहाजा मौला अली हमेशा इस पर कायम रहे हालांकि आप
कसरत से तलाक दिया करते थे और आपकी तबीयत भी जलाली थी मगर हजरत फातिमा को कभी
नुकसान नहीं पहुंचाया यानी कोई तकलीफ नहीं पहुंचाई जब तक हजरत फातिमा रजि अल्लाह
ताला अन्हा जिंदा रही आप उनकी खिदमत करते रहे फिर जब वह इस दारे फानी से कूछ कर गई
तो मौला अली अलैहि सलाम की औलाद की परवरिश के लिए भी एक खादिमा और औरत चाहिए थी
इसलिए मौला अली ने दूसरे रिश्ते की तलाश शुरू कर दी खुदा की कुदरत देखिए और कुदरत
के फैसले देखिए कि जिस औरत से शादी हुई उसका नाम भी फातिमा था अलबत्ता यह बाद में
उम्मल बनीन के लकब से मशहूर हुई क्योंकि उनके बतन से हजरत अली के चार बेटे पैदा
हुए तो उनको बेटों की मां भी कहा जाता है मगर यह एक नेक सीरत सच्ची और पाकीजा खातून
थी जिन्होंने पहले दिन ही मौला अली को गुजारिश कर दी थी कि मुझे बच्चों के सामने
कभी फातिमा ना कहिए क्योंकि बच्चों को अपनी मां की याद आएगी दूसरी बात यह है कि
मेरी उस फातिमा तो जहरा खातून जन्नत रजि अल्लाह ताला अन्हा से कोई मुनासिब है ही
नहीं मैं उनके कदमों की खाक के बराबर भी नहीं हूं वो ऐसी अजीम उल शन और
मिसालीडिंग
बनकर आई हुई हूं ताकि उनके बच्चों की खिदमत कर सकूं फातिमा तु जहरा रजि अल्लाह
ताला अन्हा की सबसे बड़ी फजीलत यह है कि वह अहले बैत में से थी और मैं अहले बैत की
खादिमा हूं बल्कि आपके वतन से जब बच्चे पैदा हुए तो उनके नाम यह रखे गए अब्बास
उस्मान जाफर और अब्दुल्लाह है ये चारों बेटों को मां ने हुकम दिया था कि खातून
जन्नत यानी फातिमा तो जहरा अलमा सलाम के बेटे हसन और हुसैन का हमेशा ध्यान करना
उनकी इता करना उनकी किसी बात के सामने बहस ना करना और उनकी जान तुम्हारी जान से
ज्यादा कीमती है उनका गुलाम बनकर रहना क्योंकि हम अहले बैत के गुलाम हैं और उनके
खिदमतगार हैं बस यह चारों सहादत मंद बेटे हमेशा हसनैन करीमन को इज्जत और मर्तबा की
निगाहों से देखते कभी भी उनकी खिदमत में कमी ना आने देते थे उनमें से जो छोटे
लड़के अब्बास बिन अली थे वह सबसे ज्यादा मोहता थे और वह यह भी महसूस करते थे कि
औलाद में से सबसे ज्यादा मोहब्बत वालिद मोहतरम मौला अली अलैहि सलाम को अपने दो
बेटों हसन और हुसैन से थी इसलिए वो अपने वालिद की आंखों की ठंडक का खूब ख्याल रखते
और उन दो शहजाद को पूरा पूरा प्रोटोकॉल दिया करते थे बल्कि मैं आपको एक और
दिलचस्प वाकया सुनाता चलूं कि मैदान कर्बला में जब हजरत हुसैन रजि अल्लाह ताला
अनहद में पहुंचे तो वहां उनके छोटे सौती भाई अब्बास बिन अली भी साथ थे हजरत अब्बास
ने फौरन आगे आकर अपना सीना पेश कर दिया कि अगर कोई तीर हुसैन की तरफ बढ़ेगा तो व
पहले मुझे लगेगा लोग बहुत हैरान हुए और हजरत हुसैन अलैहि सलाम भी मना करने लगे कि
तुम छोटे हो और तुम्हारे अंदर इतनी हिम्मत भी नहीं है एक शख्स आया और कहने लगा कि या
अब्बास तुम अभी छोटे हो और बड़ों की हिफाजत करोगे हालांकि बड़े तो हुसैन है वह
तुम्हारी हिफाजत करेंगे तुम पीछे खड़े हो मगर अब्बास बिन अली ने जो बेहतरीन मां की
तरबियत याफ्ता थे अजीबो गरीब जवाब दिया जो आबे जर से लिखने के काबिल है कहने लगे कि
हुसैन मेरे वा वालिद की आंखों की ठंडक है गोया मेरे वालिद की आंखें हैं और हम अपने
वालिद के बाजू हैं तो बाजू तो आंखों की हिफाजत करते हैं इसमें कोई हैरानी वाली
बात नहीं है यह सुनकर मौला हुसैन भी इस इखलास और जज्बे को देखकर बेहद खुश हुए और
फौरन फरमाया अब्बास जाकर पानी ले आओ जब हजरत अब्बास पानी लाने गए तो मुखालिफ ने
आप पर तीर चला दिए और आपके घुटनों पर भी तीर लगे और आपको शहीद कर दिया शहीद होने
से पहले पहले जब आपको तीर लगे हुए थे और दोनों बाजू भी जख्मी थे या फिर दोनों बाजू
तलवारों से मुखालिफ ने काट दिए थे तो उसी जख्मी हालत में जब आपको मौला हुसैन के पास
लाया गया तो हजरत हुसैन की आंखों में आंसू आ गए क्योंकि अभी कुछ देर पहले उन्होंने
अपने जज्बात से हजरत हुसैन के कलेजे को ठंडक पहुंचाई थी और अब यह इस हाल में पेश
किए गए कि दोनों घुटनों पर तीर लगे हुए हैं और यह आंखों से अर्ज कर रहे हैं कि इन
तीरों को अपने मुबारक हाथों से निकाल दीजिए जब मौला हुसैन अलैहि सलाम ने वह तीर
निकाले तो खुश बख्त और नेक सीरत मां के बेटे अब्बास बिन अली कहने लगे आका मेरी
वालिदा को यह पैगाम जरूर दीजिएगा कि मैंने हमेशा आपकी खिदमत की है और आज अपने दोनों
हाथों से मजूर होने की वजह से आपको तकलीफ दी कि आप मेरे घुटने पर पस्त तीरों को
निकाल रहे हैं वरना इतनी भी तकलीफ आपको जिंदगी में ना पहुंचने देता अल्लाह अकबर
यह तो एक बेटे की दास्तान थी उम्मल बनीन के बाकी तीनों बेटे भी उसी जंगे कर्बला
में यानी मैदान कर्बला में इमाम आली मकाम पर अपनी जान निछावर कर गए और कभी भी अपनी
वालिदा की तरबियत को फीका ना पड़ने दिया और जब जंग खत्म हुई तो अहले बैत के मकाम
को समझने वाली और खुद को कनीज समझने वाली औरत उम्मल बनीन को खबर पहुंचाई गई कि
तुम्हारा बेटा अब्बास शहीद हो गया फिर बताया गया कि जाफर शहीद हो गया और
तुम्हारा बेटा अब्दुल्लाह है और उस्मान भी शहीद हो गया उस औरत ने चीखते हुए कहा कि
मुझे सिर्फ यह बताओ कि मेरे यह सब बेटे हजरत हुसैन की शहादत से पहले शहीद हुए या
बाद में उस औरत के जज्बात और एसा सात इस तरह थे कि गोया उसका दिल फट जाएगा जब उसको
बताया गया कि यह सब पहले शहीद हुए और उन्होंने खूब हिफाजत की और हजरत हुसैन आली
मकाम उन सब के बाद शहीद होए तब जाकर उस मां को सुकून मिला जो अहले बैत के मकाम को
समझती थी और अपने बेटों से ज्यादा अहल बैत की फिक्र रखती थी उसने सुकून का सांस लिया
और अल्लाह का शुक्र अदा किया कि अल्हम्दुलिल्लाह मेरे बेटों ने हक अदा कर
दिया सुभान अल्लाह अहले बैत की बड़ी अजमत और कदर है इसको शरीयत में एक खास अहमियत
दी गई है इसी तरह एक वाकया एक जानिया औरत का भी है जिसने गलती से जिना कर लिया था
और फिर हमल ठहर गया उसका नाम नाजायज दोस्त छोड़कर भाग गया यह मौला अली करम उल्लाह
वजह का जमाना था यह औरत बहुत परेशान हुई अपने गुनाह का बोझ अपने साथ लेकर फिरती
रहती थी और दिल ही दिल में निदा मत थी कि इस गुनाह का
खुमैनी था तो उसने खुद को पाक करवाने और दुनिया में ही अपनी सजा हासिल करने का का
इरादा कर लिया लिहाजा यह अमीरुल मोमिनीन मौला अली अलैहि सलाम के पास हाजिर हुई
मुसलसल रोए जा रही है और हमल भी उसके पेट में ठहरा हुआ था उसने मौला अली के दरबार
में जुर्म का इकरार किया कि या अली मैंने जिना किया है और मेरे पेट में यह गलत
बच्चा है जिसकी सजा मुझे इस दुनिया में मिल जानी चाहिए ताकि आखिरत की हमेशा-हमेशा
की सजा से बच जाऊं मौला अली अलैहि सलाम बहुत परेशान हुए कि इसका फैसला कैसे किया
जाए और इस पर हद कैसे जारी की जाए चुनांचे उन्होंने कुछ मख्सूसपुरी [संगीत]
बात होगी या औरत कमजोर बात करेगी तो इससे हद साक हो जाएगी और इसकी जान बच जाएगी फिर
उम्मीद है कि अल्लाह ताला कयामत वाले दिन भी इसको माफ फरमा देगा मगर उस औरत ने हर
बात का जवाब दे दिया जिससे हद्द जना जारी होती थी और जिना साबित होता था अबकी बार
हजरत अली ने उसको हुकम दिया कि तुम जाओ और वज हमल तक सब्र करो यानी अभी इस बात का
किसी से भी तस्करा ना करना जब बच्चा पैदा हो जाए तो फिर मेरे पास आना ताकि बच्चा
जाया ना हो और बिला वजा बच्चे की मौत ना हो वो औरत यह सुनकर सबर में आ गई और कहने
लगी ठीक है चंद माह बाद जब वज हमल हो गया तो दोबारा उसको फिक्र लाह हुई कि अगर मैं
मर गई तो मुझे आखिरत में जानिया जैसा अजाब मिलेगा इससे बेहतर है कि दुनिया में ही
सजा मिल जाए ताकि आखिरत की हमेशा हमेशा रुसवाई से बच जाऊं वो बच्चे की विलादत से
फारिग हुई तो दोबारा हजरत अली करम अल्लाह वजह के दरबार में हाजिर हो गई मौला अली
फिर परेशान हो गए कि मैंने तो सोचा था कि यह अपना गुनाह भूल जाएगी और बच्चे की खुशी
से इसका ख्याल बदल जाएगा मगर यह फिर आ गई दोबारा आपने वही सवाल दोहराए और उस औरत ने
तफसील हाल बतलाया जिससे जिना साबित होता था कोई भी शको शुबा वाली बात ही नहीं थी
अब मौला अली अलैहि सलाम ने हुकम फरमाया कि तुम अभी जाओ और बच्चे को दूध पिलाओ
तुम्हारे अलावा बच्चे का कोई वारिस नहीं और इसको पालने वाला भी कोई नहीं है लिहाजा
कम से कम 2 साल तक इसको दूध पिलाओ और फिर वापस आना फिर हद जारी करेंगे इस मर्तबा
दोबारा उस औरत को सुकून हो गया और सबर आ गया वो सोचने लगी कि बच्चे का कोई कसूर
नहीं है कि मैं इसको अकेला छोड़कर हद जारी करवा के मर जाऊं चुनांचे वह 2 साल तक खुश
ो खुर्रम रही और खूब तवज्जो हब्बत से अपने बच्चे को पाला जब वह बच्चा 2 साल का हो
गया और खाना वगैरह खाने लगा तो यह औरत अब तीसरी मर्तबा हाजिर हुई अब यह पहले से भी
ज्यादा बेचैन थी और इसरार कर रही थी कि मुझ पर हद जारी की जाए मेरा गुनाह बख्श वा
दिया जाए और मुझे पाक किया जाए मुझे तहा अता फरमाए अब यह तीसरी शहादत उसकी खुद की
हो चुकी थी जब हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन ने दोबारा वही सवाल दोहराए और कोई शको
शुबा वाली बात सामने ना आई तो तीन शहादत उसकी जिना की उसकी जुबानी से
[संगीत] बहुत सोच विचार के बाद हजरत अली उल
मुर्तजा शेर खुदा वजह उल करीम ने इरशाद फरमाया ऐ औरत अभी तुम्हारे बच्चे का शीर
ख्वारी का जमाना खत्म हो चुका है मगर इसको पालने वाला तुम्हारे अलावा कोई नहीं है
इसलिए अगर उसको अकेला छोड़ दिया जाए तो बहुत उम्मीद है कि वह जिंदा नहीं बच पाएगा
इसलिए बच्चे की जिंदगी बचाने के लिए यह फैसला करना जरूरी है कि तुम जाकर बच्चे की
परवरिश करो और उसको इतना खुद मुख्तार बना दो कि अगर छत पर अकेला चढ़ जाए तो वह नीचे
ना गिरे यह औरत इस अजीबोगरीब फैसले पर हैरान जरूर हुई मगर अमीरुल मोमिनीन का
फैसला था इसलिए मान लिया अमीरुल मोमिनीन मौला अली अलैहि सलाम उस औरत को जिंदा रखना
चाहते थे ताकि यह तौबा कर ले और इसकी तौबा की वजह से अल्लाह ताला इसके गुनाहों को
माफ कर दे आपको उम्मीद थी कि अब तो यह लौट कर नहीं आएगी क्योंकि कम से कम 10 12 साल
तक बच्चा इस काबिल नहीं होता कि उसको छत पर अकेला छोड़ दिया जा सके लिहाजा हजरत
अली को यह वाकया बिल्कुल भूल गया मगर यह औरत इस गुनाह की निदा मत अपने दिल में लिए
हुए थी कई साल गुजरने के बाद यह वापस मौला अली के पास हाजिर होने के लिए घर से निकली
रास्ते में उसको एक सहाबी मिल गए जिनको मालूम हुआ कि यह औरत तहा चाहती है और हद
जारी करवाना चाहती है मगर बच्चे की फिक्र की वजह से यह परेशान है उसने उस औरत को
तसल्ली दिलाई कि मैं खुद इस ब बच्चे की किफा करूंगा लिहाजा व औरत उस सहाबी को
लेकर अमीरुल मोमिनीन के दरबार में आई जब हजरत अली उल मुर्तजा शेरे खुदा ने देखा कि
बच्चा अब कुछ बड़ा हो गया है और औरत भी दोबारा उसी इसरार के साथ हाजिर हो चुकी है
कि मैं तहा चाहती हूं तो आपने दोबारा बच्चे की तरफ देखा तो यह बात भी मालूम हुई
कि उसी सहाबी ने बच्चे की कफा का पूरा जिम्मा ले लिया है यह बात सुनकर मौला का
चेहरा गुस्से और नाराजगी से सुर्ख हो गया वो सहाबी डर गए और कहने लगे कि या अली
क्या मेरी किफा की वजह से आप परेशान हो गए हैं मौला अली दिल ही दिल में सोच रहे थे
कि या इलाही अब तो चार शहादत भी पूरी हो गई और बच्चे की वजह से इस औरत को मैं हद्द
जना की तकलीफ से बचाना चाहता था मगर इस सहाबी ने व उजर भी खत्म कर दिया चुनांचे
अब ऐलान हो गया कि इस औरत पर हद्द जना जारी की जाए यानी सब लोगों के सामने इसको
जिंदा ससार किया जाए मौला अली ने मकाम की निशानदेही कर दी कि कि फलां मकाम पर इस
औरत को सजा जारी कर दी जाए सब लोग उस मुकरा वक्त पर पत्थर लेकर पहुंच जाएं
दूसरे दिन इशराक के वक्त सब जमा हुए और औरत का आधा बदन गढ़े में डालकर बंद कर
दिया गया बाकी आधे बदन पर पत्थर बरसाने का हुकुम दिया था इसी दौरान एक अजीबोगरीब
ऐलान किया गया मौला अली एक ऊंची चीज पर चढ़कर लोगों से मुखातिब हुए और फरमाया
लोगों तुम में से कोई भी ऐसा शख्स इसको पत्थर नहीं मार सकता जिसकी अपनी गर्दन पर
हद हो यह अजीबो गरीब शर्त सुनकर वहां के सारे लोग मुंतशिर हो गए वह समझ चुके थे कि
पत्थर मारने में तख फीफी जा रही है लिहाजा सिर्फ दो बंदे वहां पर मौजूद थे हसनैन
करीमन यानी हजरत हसन रजि अल्लाह ताला अनहर हुसैन रजि अल्लाह ताला अनहर का उन्हीं
दोनों ने पत्थर मारकर उस औरत को तहा बख्शी और दुनिया में ही उसके किए की सजा दे दी
ताकि कि वह आखिरत में हमेशा हमेशा के लिए सुर्खरू हो जाए नाजरीन हमारे सरदार मौला
अली अलैहि सलाम ने चार बरस नौ माह चंद दिन उमू खिलाफत सरंजम दिए आखिरकार इस दुनिया
में 63 साल गुजार कर खारी इब्ने मुलजिम के हाथों कूफा में 21 रमदान उल मुबारक 40
हिजरी को शहादत पाई हमारी अल्लाह से दुआ है कि अल्लाह पाक मौला अली उल मुर्तजा शेर
खुदा की कब्र मुबारक पर लाखों करोड़ों रहमत नाजिल फरमाए और हमें हजरत अली अलैहि
सलाम जैसा हुक्मरान बार-बार नसीब फरमाए नाजरीन मौला अली रजि अल्लाह ताला अनहुक
फजल और कमाला और उनकी सीरत के दरशा पहलू तो बेशुमार हैं तलत के खौफ से इन सब का
अहाता नहीं किया जा सकता आखिर में अर्ज है कि मौला अली अलैहि सलाम और उनके आली
नसबंदी अकीदत के इजहार के लिए अपने घर में बच्चों का नाम अली रखें अल्लाह ताला हमें
उन बुजुर्ग बर्ग हस्तियों के नक्शे कदम पर चलाए अल्लाह ताला मुझे और तमाम मुसलमानों
को मौला अली अलैहि सलाम की सीरत से रहनुमाई हासिल करके अपनी जिंदगियों को
संवारने की तौफीक अता फरमाए आमीन या रब्बल आलमीन दोस्तों क्या वीडियो को आपने आखिर
तक देखा है अगर हां तो नीचे कमेंट सेक्शन में लिखकर बताइएगा कि हां मैंने वीडियो
कंप्लीट देखी ताकि हमें पता चल सके कि मौला की मोहब्बत में कितने लोगों ने आखिर
तक हमारे साथ जुड़ रहने का अहद कर लिया था जो पूरा किया आने वाली वीडियो तक आपका
अपना मेजबान कादिर बख्श कहोड़ा जत चाहता है अल्लाह हाफिज
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