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सूरह बुरुज का इब्रातनक वाकिया | अशबुल उखदुद | खाई के लोग सूरह बुरुज का इब्रातनक वाकिया / Surah Buruj ka ibratnak Wakia | Ashabul Ukhdud | People of the Ditch Surah Buruj ka ibratnak Wakia

सूरह बुरुज का इब्रातनक वाकिया | अशबुल उखदुद | खाई के लोग सूरह बुरुज का इब्रातनक वाकिया

“सब्र और आजमाइश का एक वाकिया जो बच्चे, भुदे, औरतें, तिजारतदार सबके लिए इब्रत है इस वाकिये में, यह वाकिया बहुत बड़ा है, मुस्लिम शरीफ की रिवायत है तवील है, हम इंशाअल्लाह इस वाकिये को इख्तेसर से बयान करें की कोशिश कर रहे हैं।”

उख्दूद का वाकिया क्या है?
रसूलअल्लाह (ﷺ) फरमाते हैं और इस वाकिये को अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त ने क़ुरान में सूरह-तुल-बुरूज (85) के इब्तेदायी आयतो में बयान किया है; "अशाबे उख़्दूद" का वाक़िया।

"क़खुतुबिल अशबी उख्दूद"

(मार दिये गये गधे वाले लोग)

📕सूरह 85 अल बुरुज
साहब-ए-किराम ने रसूलअल्लाह से पूछा के उख्दूद का वाकिया क्या है? ये गड्ढे वाले लोग कौन हैं?

आप (ﷺ) ने फरमाया: “तुम से पहले बानी-इज़राइल में एक क़ौम थी। उस बस्ती में एक बादशाह था। और उसके बादशाह के पास एक जादूगर था।

वो जादूगर जैसा जैफ़ (बुद्ध) होने लगा वैसे उसने बादशाह से कहा, के “ऐ बादशाह! माई अब बुड्ढा हो चूका हूं और माई अनाक्रिब मर जाऊंगा। लिहाज़ा तुम अपनी बस्ती से एक नौजवान बच्चा मुकर्रर करो जिसे मैं अपना जादू विरासत में सिखा दूं ताकि मेरे बाद वो आपकी मदद करता रहे।”

बादशाह ने अपनी क़ौम से एक बच्चा चुन लिया।

बच्चों का राहिब से इल्म सीखना:
अब वो बच्चा जब जादू का इल्म सीखे अपनी बस्ती से मेहल की तरफ जाता तब उसके रास्ते में एक दीनदार राहिब (तौहीद परस्त) से मुलाक़ात हुई। जो कि बादशाह के ज़ुल्म के वजह से बस्ती में नहीं रहता था। क्योंकि वो बादशाह (नौज़ुबिल्लाह) ख़ुदको रब कहलाता था।

वो राहिब हमारे बच्चे को दीन की बातें बताता खामोशी में। वो बच्चा वो बाटे सीखकर मेहल जाता, जादूगर से जादू का इल्म सीखता। और वापस घर जाता है.

यूँही हर रोज़ हो रहा है.. अब बच्चा जो उससे राहिब के पास बैठकर इल्म सीखने लगा तू उसे देर शहद लगा। और जब वह देर से सवाल पूछता है तो उसे जादूगर सजा देता है और पूछता है कि तू देर से क्यों आया?

उसने ये बात राहिब से कही - “ऐ राहिब जब मैं तुम्हारे पास बैठा हूं ताऊ जादूगर के पास पूछने में देरी होती है इसलिए जादूगर मारता है और जब घर देर से जाता हूं तू घरवाले मरता है। माई क्या करू ?”

उस राहिब ने कहा “देखो जब तुम जादूगर के पास जाओ तो कहो घरवालो ने देर से चोरा तकी तुम शरई इल्म सीखो मुझसे, और जब घर देर से पूछो तू उन्हें कहो जादूगर ने डर करदी। और मुझसे तुम इल्म सीखते रहना। वो नौजवान बच्चा जहीन था दोनों से इल्म सीखता रहा।”

एक मरता हुआ हुआ यूं कि जब वो अपनी बस्ती से निकलके घर जाने लगा तू रास्ते में एक बड़ा सा जानवर था जिसने बस्ती का रास्ता रोके रखा और उधर के लोग उधर जानिब और इधर के लोग इधर जानिब खड़े हो गए।

इस बच्चे ने नियत की और आगे बढ़ा, जब जानवर को देखो तो उस बच्चे ने एक पत्थर उठाया और नियत की - “ऐ अल्लाह! अगर वो जादूगर हक पर है तो जब मैं ये पत्थर मारूं तो इस जानवर को तू ये जानवर ना मारे। और अगर वो राहिब हक पर है जो मुझे दीन का इल्म सिखाता है तू जब ये पत्थर, इस जानवर को मारू तू ये रास्ते से हट जाए, मर जाए।”

इस नियत से उसने पत्थर मारा और वो जानवर मर गया। और रास्ते से हटा दिया गया। बच्चों का चर्चा चारो तरफ हो गया।

जब ये बात बच्चे ने उस राहिब को सुनाई तो राहिब ने कहा - “अब तुम कामिल हो चुके हो ईमान के ऐतबार से। तुमने मुझसे दीन का इल्म सीख लिया। अब तुम्हारे पास इल्म आ गया है अब एक बात जरूर याद रखना। (क्योंकि वो दीनदार था उसे इल्म था) उस राहिब ने कहा मेरा नाम किसिको मत बताना के मैंने तुम्हें ये इल्म सिखाया है। (क्यूंकि उसे पता था अब मुसिबत शुरू, अज़मैयिश शुरू)।

अब हुआ यूं के अल्लाह रब्बुल इज्जत ने उसकी दुआओ में तासीर दे दी। कोई शख्श उसके पास आता तू बच्चा कहता के अल्लाह पर ईमान लाओ, और फिर उसके हक में दुआ करता, अल्लाह उसकी दुआ को कुबूल फरमाता और वो बीमारो को शिफा देने लगा अल्लाह के हुक्म से। जो भी आता उसे कहता इमान लाओ अल्लाह पर और वो दुआ करता और वो शफ़ा याब (कामियाब) होते।

बच्चे की दावत पर बादशाह के वज़ीर का ईमान लाना:
एक मरतबा यूं हुआ के एक वज़ीर था जो उस बादशाह के महल में था वो नबीना (अंधा/ब्लाइंड) था, किसी ने कहा के जाओ उसके बच्चे के पास वो बहुत माहिर हो चूका है। (लोगों को लगा हमें जादूगर से ये एलएलएम सिखाया।) वो जिसके लिए दुआ करता है उसकी दुआ कबूल होती है, तुम नबीना (अंधा) हो उससे नजर (दृष्टि) आम। वो शख़्स वज़ीर बहुत सारी तोफ़ो (उपहार) के साथ उस बच्चे के पास पूछ गया और उस बच्चे से बिनयि (आँखें) की फरियाद करने लगा।

Uss Bacche ne kaha "बिनायी माई नहीं देता, वो तू अल्लाह देता है शफ्फा।"

वज़ीर ने कहा “ये अल्लाह कौन है?”

बच्चे ने कहा के "अल्लाह मेरा और तुम्हारा रब है लिहाज़ा तुम उसपर पहले ईमान लाओ फिर से दुआ करूंगा।"

वो शख़्स वज़ीर इमान लाया। बच्चे ने उसके हक में दुआ की, वज़ीर को आँखे आ गई।

बच्चे के ईमान की खबर बादशाह को पता चली:
अब वज़ीर की आँखों की बिनई का वाकिया जब बादशाह को मालूम हुआ तू उसने हमें नौजवान बच्चे को विरासत में ले लिया और उस बच्चे से पूछा के “तुम मुझसे भी हटकर किसी और को रब मानते हो?”

बच्चे ने कहा के “हा वो अल्लाह! जो मेरा भी रब है और तुम्हारा भी।”

बादशाह ने कहा के “ये नहीं हो सकता! किसने तुम्हें ये इल्म है

इखाया?”

उस पर ज़ुल्म किये गये उसे जर्ब लगाये गये (मारा पिता गया) और फिर मजबूरन उस नौजवान बच्चे ने अपना मुँह खोल दिया और उस राहिब के बारे में बता दिया। बादशाह ने राहिब को गिरफ़्तार करके अपने महल में हाज़िर किया।

अब मेहल में वज़ीर भी खड़ा है, राहिब भी और बच्चा भी।

बादशाह ने कहा, "क्या तुम मुझ पर ईमान लाते हो और अल्लाह पर से ईमान छोड़ते हो?"

उन तीनो ने कहा के “नहीं! हम तू सिर्फ अल्लाह ही पर ईमान लाते हैं।”

फिर सबसे पहले उसने राहिब से पूछा "क्या अल्लाह पर ईमान छूटते हो?"

राहिब ने कहा “नहीं !”

एक आरा मंगवाया गया, उस राहिब के सिर पर रखा गया और दोबारा पूछा के “क्या अल्लाह पर ईमान छोड़ते हो? मुझे रब मानते हो?”

राहिब ने इस बार भी उसका इंकार किया।

बादशाह ने वो आरा चलवाने का हुक्म दिया। और भरे महल में राहिब के 2 टुकड़े कर दिए गए।

फ़िर उस वज़ीर से पूछा गया “क्या तुम अल्लाह पर ईमान चुराते हो, और मुझ पर ईमान लाते हो?”

वज़ीर ने भी बादशाह का इंकार किया और वज़ीर के भी 2 टुकड़े कर दिए गए।

अब उस बच्चे से पूछा गया “क्या अभी भी ईमान लाते हो अल्लाह पर?”

उस नौजवान बच्चे ने कहा “हा !”

बादशाह ने कहा "तुझे मैं इब्रातनाक सजा दूंगा।"

बच्चे के रब (अल्लाह) पर सारे क़ौम का ईमान लाना:
बादशाह ने सिपाहियों को हुक्म दिया के "इस बच्चे को ले जाओ पहाड़ से नीचे फेंक दो ताकि दुनिया देखे और इब्रत हासिल करे इस से।"

जब बच्चे को पहाड़ पर ले जाया गया। बच्चे ने अल्लाह से दुआ की "ऐ अल्लाह मेरी हिफ़ाज़त कर इन से।"

फ़ौरन एक ज़लज़ला आया। और उसके साथ तमाम जो फौजी वे सब हलाक हो गए, और बच्चा सही सलामत महल पूछो के बादशाह के आगे हाजिर हुआ और कहने लगा “ऐ बादशाह! तुम मुझे नहीं मार सकते, मेरे रब ने मुझे बचा लिया।”

बादशाह ने कहा “अच्छा! अब दूसरा सज़ा देता हूँ तुझे।”

अपने सिपाइयों से कहा के “इसी पानी में ले जाओ समंदर के बीच में डुबा देना, लेकिन ये ज़रूर पुछ लेना के, क्या बादशाह पर ईमान लाते हो या नहीं। ईमान लाता है तू चोर दो और नहीं तू पानी में डुबा देना।”

जब उसे बिच समंदर ले गए, उसके बच्चे ने फिरसे अल्लाह से दुआ की “ऐ अल्लाह! मेरी हिफ़ाज़त कर इन ज़ालिमो से।”

अल्लाह के हुक्म से हवा ने रुख बदला और तूफ़ान की शकल में उन ज़ालिमो को समादर में डूबा दिया और हमारे बच्चे को महफ़ूज़ सात पर ले आया।

बच्चा फिर वापस आकर बादशाह के सामने पेश हुआ और कहने लगा “ऐ बादशाह! तुम मुझे नहीं मार सकते. बस इसी तारिका है जिस तारिके से तुम मुझे क़त्ल कर सकते हो।”

पूछा गया “वो क्या तरीका है?”

बच्चे ने कहा “मुझे अपने इलाक़े के सबसे ऊंचे मुकाम पर ले जाओ और तमाम अपने बस्ती वालो, शहर वालो को जमा करो उस मुकाम पर, और उनके सामने मेरी तरकज़ से एक तीर निकालो जो मैं दूंगा तुम्हें और उस तीर को लेकर ये कहना” बिस्मिल्लाही रब्बिल गुलाम (के अल्लाह के नाम से जो इस गुलाम लड़के का रब है)” और फिर वो तीर मेरे सर पर मरना, तू ही माई मर सकता है।”

बादशाह ने कहा "मैं तू चाहता हूँ तुम्हें क़त्ल कर दूं।"

उसने मुनादी लगाई, लोग जमा हुए, एक पहाड़ पर हमारे बच्चे को ले जाया गया जहां पर लोग देख सकते थे।

फिर बादशाह ने उसके तर्क में से एक तीर लिया और वही लफ़्ज़ कहे। "बिस्मिल्लाहि रब्बिल गुलाम (के अल्लाह के नाम से जो इस गुलाम लड़के का रब है)"

वो तीर जाकर उसके बच्चे के सिर पर लगा और वही वो लड़का शहीद हो गया।

अब जैसा ही वो लड़का शहीद हो गया पूरी की पूरी आवाम जो खादी थी वो चिल्ला उठी "अमंतु-बी-रब्बिल-गुलाम" (हम ईमान लाए उस लड़के के रब पर)

Subhanallah

अल्लाह पर ईमान लाने वाली क़ौम को आग के गधे में ज़िंदा जलाने की सज़ा:
लड़का हक पर था, उसने सब्र किया, उसे पता था अगर मैं जिउंगा तू दावत इतनी लंबी नहीं दे पाउंगा, उसको अल्लाह ने हिकमत बख्शी, उसकी मौत ने पूरे मुल्क को ईमान ला दिया।

अब वज़ीरो ने कहा “ये तू पहले ही हम 2-3 लोगों से परेशान थे, अब तू पूरी बस्ती ईमान ले आई। अब क्या करे? कुछ ना कुछ तू हल निकलना होगा।”

बादशाह ने कहा "ठीक है!"

मशवरा हुआ, और तय किया गया के बड़े-बड़े गद्दे (उखडूद/गड्ढे) खोदे जाएंगे, गद्दे में आग लग जाएगी। बस्ती के लोगों को लाया जाएगा और हर एक से सवाल किया जाएगा के किस्पर ईमान लाते हो? अल्लाह बराबर या बादशाह बराबर?

जो कहे अल्लाह पर तू फेंक दो, जलते हुए आग के गद्दे में और जो कहे बादशाह पर तू फेंक दो।”

अब बस्ती के तमाम लोगों को जमा किया बड़े-बड़े गद्दा के सामने, लेकिन सुभानअल्लाह! लोग ऐसे पुख्ता ईमान लाए और उन्होंने सब्र किया ईमान लाने के बाद, जब उन्हें लाकर गद्दा के आगे खड़ा कर के पूछा जाता के अल्लाह पर ईमान लाते हो या बादशाह पर?

वो कहते अल्लाह पर, तू उसे उठाकर फेंक दिया, जलते हुए गधे में।

अज़ीज़ दोस्तो! ये कोई मज़ाक नहीं जो इन सब ने सब्र किया, ईमान के खातिर शहादत को पसंद किया लेकिन बातिल की जोड़ी बनाना हरगिज़ पसंद ना किया।

पीछे के इंसान खड़े जो देख रहे हैं, उनके अज़ीज़ जल कर मर रहे हैं फिर भी वो अपने ईमान पर जमे रहेंगे। हत्ता के तमाम बस्ती वालो को जला कर शहीद किया गया लेकिन किसी ने भी कुफ्र को ईमान पर तर्जी ना दी।

दूध पीते बच्चे की गवाही:
आख़िर में एक औरत थी जिसके सीने से एक दूध पिटी उमर का बच्चा लगा था, उसने ये सोचा के माई अपने बच्चे के लिए झूठ बोल देती हूँ।

अब तू कोई देखने वाला भी नहीं मेरी तरफ सभी तू शहीद हो चुके हैं जो ईमान ले आए। माई झूठ बोलकर इस मासूम की जिंदगी बच सकती है।

जब ये नियत उस औरत ने की तू अल्लाह रब्बुल इज्जत ने उसके बच्चे को ज़ुबान दी और उसके बच्चे ने कहा के - “ऐ मेरी माँ! तू हक पर है. तू भी कूद जा इस आग में।”

लिहाजा वो औरत फोरन ही उस बच्चे को लेकर उसमें आग लग गई।

आप (ﷺ) फरमाते हैं –
“ऐसे चार(4) बच्चे हुए जिन्हों ऐसी उम्र में बात कि जिस उम्र में बच्चे बात नहीं करते।
» 1. ईसा (अलैहय सलाम)
» 2. यूसुफ़ (अलैहय सलाम) के वक़ाए के अंदर जिस ने ज़ुलेखा के ख़िलाफ गवाही दी थी वो बच्चा।
» 3. जुरैज़ के वक़िये में एक बच्चे ने गवाही दी थी वो बच्चा।
» 4. और "असहबे उखड़ूद" का नन्हा बच्चा जिसने अपनी मां को हक पर शहद की गवाही देकर उसे आग में सोने को कहा।

📕 तफ़सीर सूरह अल-बुरुज; सही मुस्लिम हदीस

इब्रत/सबाक:
अब गौर करते हैं इस वाकये में सब्र की क्या-क्या हिदायतें थीं।

1. सबसे पहले हमें राहिब का सब्र! उसे पता था कि अगर मैं हक की दावत दूंगा तो मुझ पर मुसीबत आने वाली है। फिर भी उसने अपने ईमान को छुपाया नहीं और बच्चे (लड़के) को हिकमतन तालीम दी और ईमान बताया।

2. दूसरा उस वज़ीर का ईमान देखिये और उसका सब्र देखिये, के उसने अपने विज़ारत को बलाए ताक रख दिया, वज़ीर के उंधे (पोस्ट) को जोड़े तले कुच्छल दिया लेकिन अपने ईमान से पीछे ना हटा। चाहे मार दो या क़त्ल करदो, और वो भी क़त्ल कर दिया।

3. उस नौजवान बच्चे का सब्र देखिये के अल्लाह ने उसे हिकमत दी थी एक उसने अपनी जान दे दी दीन-ए-हक की दावत के लिए और खुदको राह-ए-हक पर कुर्बान कर दिया।

4. उसने पूरी बस्ती वालों की कुर्बानी देखी, बड़ा-छोटा, औरत-मर्द और हर शख्स ने ईमान के खातिर कुर्बान होना पसंद किया लेकिन अपने ईमान को ना चुराया।

5. और आखिर में उस औरत की और उस मासूम बच्चे की कुर्बानी देखिये के उस नन्हे बच्चे ने भी ईमान के लिए मरना पसंद किया लेकिन कुफ्र की जिंदगी पसंद नहीं की।

तू इस वाकये में हर फ़र्द के लिए अज़ीम से अज़ीम हिदायत है। हर पद के लिए इब्रातनाक सबक था।

लिहाज़ा याद रहे "मुसिबतों पर सब्र करना और अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए अफ़ियात की दुआ करना सच्चे मोमिन की सिफ़ात है।"

अल्लाह तआला हमें कहने सुनने से ज्यादा अमल की तौफीक दे। आमीन!!!

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