गिलाफ़-ए-खाना-ए-काबा था मेरे हाथों मेंख़ुदा से अर्ज-ओ-गुज़ारिश की इनतीहाओं में था
तवाफ़ करता था परवाना वार का 'बे काजहान-ए-अर्ज-ओ-समाँ जैसे मेरे पाँव में था हतीम में मेरे सज्दों की कैफियत थी अजबजबीं जमीन पे थी, जहन कहकशाओं में था दर-ए-करम पे सदा दे रहा था अश्कों सेजो मुल्तज़म पे खड़े थे में उन गदाओं में था मुझे यक़ीन है, मैं फिर बुलाया जाऊँगाकि ये सवाल भी शामिल मेरी दुआओं में था अब रास्ते खुलें, पहुॅचूँ में, या ख़ुदा
हज पर बुला, मौला, काबा दिखा, मौला!हज पर बुला, मौला, काबा दिखा, मौला
या ख़ुदा बहर-ए-मुहम्मद तू मुझे हज पर बुलाकाश! मैं भी देख लूँ आ कर हसीं काबा तेरा
हज पर बुला मौला काबा दिखा, मौला! हज पर बुला, मौला, काबा दिखा, मौला
मौला मौला मौला मौलामौला मौला मौला मौला । काश आ जाए बुलावा उस मुबारक शहर सेहै जहाँ पर तुर्बत-ए-खैरुल बशर जल्वानुमा
हज पर बुला, मौला! काबा दिखा, मौलाहज पर बुला मौला काबा दिखा, मौला अब रास्ते खुले, पहुँचू में, या ख़ुदा मौला मौला मौला मौला! मौला मौला मौला मौला
या ख़ुदा जब देख लूँगा मैं तेरा प्यारा हरम जाऊँगा फिर हाजियों के साथ शहर-ए-मुस्तफ़ा
हज पर बुला, मौला, काबा दिखा, मौलाहज पर बुला, मोला, काबा दिखा, मौला अब रास्ते खुले पहुॅचूँ मैं, या ख़ुदा इलाही! फिर दिखा दे वो प्यारा प्यारा काबा फिर दिखा दे हरम, तेरे बंदे हैं हमहम पे कर दे करम, तेरे बंदे हैं हम हम गुनाहगार है, हम सियाह-कार हैं हो करम करम करम, तेरे बंदे हैं हम
सामने काबा तेरा हो, दस्त बस्ता में रहूँ
ये करम कर दे, खुदा या सदक़ा-ए-खैरुल वराहज पर बुला, मौला, काथा दिखा, मौलाहज पर बुला, मौला, काबा दिखा, मौला। अब रास्ते खुलें, पहुँचूँ मैं, या ख़ुदा मौला मौला मौला मौलामौला मौला मौला मौला संग-ए-अस्वद का मैं बोसा. या ख़ुदा लेता रहूँअज़ प-एनौसुल वरा मुझ को शरफ ये कर 'अता आब-ए-ज़मज़म भी वहाँ पर खूब में पीता रहूँहो करम मुझ पर खुदा बहर-ए-जनाब-ए-मुस्तफ़ा हज पर बुला, मौला, काबा दिखा, मौला
हज़ पर बुला मौला काबा दिखा, मौलाअब रास्ते खुले, पहुॅचूँ मैं, या ख़ुदा मौला मौला मौला मौला!मौला मौला मौला मौला! क्यूँ न जाए मक्का से तफ़्सीर दरबार-ए-नबीजब कि उन के दर पे बटता है खजाना नूर का
हज पर बुला, मोला, काबा दिखा, मौलाहज पर बुला, मौला, काबा दिखा, मौला अब रास्ते खुलें, पहुँचूँ मैं, या ख़ुदा
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