दिल दर्द से बिस्मिल की तरह लोट रहा है Saif Raza Kanpuri New Naat_New Naat Saif Raza Kanpuri in 2020
Ashqon Ka Meri Aankh Mein Toofaan Utha Ho | Tazmeen of Dil Dard Se Bismil Ki Tarah Lot Raha Ho Lyrics - अश्क़ों का मेरी आँख में तूफ़ान उठा हो | तज़मीन - दिल दर्द से बिस्मिल की तरह लोट रहा हो
'अश्क़ों का मेरी आँख में तूफ़ान उठा हो
और जिस्म तेरे शहर की मिट्टी से अटा हो
ये हाल मेरा सारा जहाँ देख रहा हो
दिल दर्द से बिस्मिल की तरह लोट रहा हो
सीने पे तसल्ली को तेरा हाथ धरा हो
मुजरिम की तरह आप के क़दमों में पड़ा हो
होंटों पे फ़क़त सल्ले 'अला, सल्ले 'अला हो
हो जाए अगर ऐसा तो मत पूछिए क्या हो
गर वक़्त-ए-अजल सर तेरी चौखट पे झुका हो
जितनी हो क़ज़ा एक ही सज्दे में अदा हो
आ'माल ही देने लगें जिस वक़्त गवाही
चेहरे पे गुनाहों के सबब छाए सियाही
मुजरिम की करें आप अगर पुश्त-पनाही
ढूँढा ही करे सद्र-ए-क़यामत के सिपाही
वो किस को मिले जो तेरे दामन में छुपा हो
जो चाँद के टुकड़े करे, सूरज को फिरा दे
जो गालियाँ सुन कर भी हिदायत की दु'आ दे
इक दूध के प्याले में जो सत्तर को पिला दे
मँगता तो है मँगता, कोई शाहों में दिखा दे
जिस को मेरे सरकार से टुकड़ा न मिला हो
महबूब-ए-ख़ुदा, अहमद-ए-मुख़्तार कुछ ऐसा
है ही वो यतीमों का तरफ़दार कुछ ऐसा
या'नी मेरे आक़ा का है रुख़्सार कुछ ऐसा
आता है फ़क़ीरों पे उन्हें प्यार कुछ ऐसा
ख़ुद भीक दें और ख़ुद कहें मँगता का भला हो
तुम जिस से नज़र फेर लो, नाराज़ ख़ुदा हो
दोज़ख़ में जिसे जलना हो वो तुम से जुदा हो
मुम्किन ही नहीं पूरी कभी हम्द-ओ-सना हो
तुम ज़ात-ए-ख़ुदा से न जुदा हो, न ख़ुदा हो
अल्लाह को मा'लूम है, क्या जानिए क्या हो
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