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"राज़ की बात"पैगम्बर ﷺ साहब ने फ़रमाया ,

 "राज़ की बात"पैगम्बर ﷺ साहब ने फ़रमाया ,“ जब कोई आदमी तुमसे बात बयान करे फिर ( उसे राज़ में रखने के लिए ) दाएँ बाएँ मुड़ कर देखे तो वह बात तुम्हारे पास अमानत है । " ( यानि किसी की राज़ की बात अपने पास मेहफूज़ रखे किसी और से बयान न करे । )

"राज़ की बात"
पैगम्बर ﷺ साहब ने फ़रमाया ,
“ जब कोई आदमी तुमसे बात बयान करे फिर ( उसे राज़ में रखने के लिए ) दाएँ बाएँ मुड़ कर देखे तो वह बात तुम्हारे पास अमानत है । "
( यानि किसी की राज़ की बात अपने पास मेहफूज़ रखे किसी और से बयान न करे । ) 
तिर्मिज़ी । हसन हदीष । 1959

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