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मौत को हमेशा याद रखो (Hadees)

हुजूर ( स ० ) ने इरशाद फरमाया कि लज्ज़तों ( स्वादों ) को तोड़ने वाली चीज़ ( मौत ) को कसरत से याद किया करो । यानि कि इसको याद रख कर अपनी लज़्ज़तों में कमी किया करो ताकि तुम अल्लाह तआला की तरफ ध्यान लगा सको । हदीस में है कि अगर जानवरों को मौत के बारे में तुम लोगों जितना मालूम हो जाए तो तुमको कभी कोई मोटा जानवर खाने को नहीं मिलेगा । यानि कि मौत के डर से सब जानवर कमज़ोर हो जाएं । 

हदीस में हज़रत आयशा सिद्दिका ( रजि ० ) से रिवायत है कि हुजूर ( स ० ) ने इरशाद फरमाया जो व्यक्ति २० बार दिन में अपनी मौत याद करे तो कियामत के दिन वह शहीदों में उठेगा । एक और हदीस में हैं कि जो व्यक्ति २५ बार " अल्लाहुम्म बारिक्ली फिल् मौति व मा फ्री बादल मौत " इस दुआ को हर रोज़ पढ़ा करे तो वह शहीदों के साथ होगा । ग़र्ज़ इन सब फ़ज़ीलतों ( अच्छी चीज़ों ) का मतलब है मौत को लगातार याद करना , इस धोखे के घर ( दुनिया ) से मोह को कम करना और दिल न लगाना है । फिर आख़िरत के लिए तैयार रहने को हमेशा तैयार रहना ।

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