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MUSLIM BOOK- DUA | HADEES | ALL NAMAZ IN HINDI ENGLISH URDU ARABIC

aContents 1.	Safar ki Dua 2.	Dua in Hindi Meaning 3.	Safar ki Dua in Urdu 4.	Safar ki Dua in English 5.	सफ़र का इरादा करे, तो यह दुआ पढ़ें 6.	इस्लाम में कितनी दुरी को सफर माना जाता है 7.	Safar ki Dua for Car 8.	Safar Se Wapas Aane ki Dua 9.	Safar se Wapsi ki Dua Hindi Translation : 10.	Safar se Wapsi ki Chota (Short) Dua 11.	Quran Padhne ka Tarika 12.	कुरान शरीफ में कोरोना का इलाज 13.	Quran Sharif ka zikr karne ki Fazilat 14.	Quran ki Taleem Hasil karne ki Fazilat 15.	Quran Sharif me Nabiyon ke Naam 16.	Khwab mein Quran Padhne ka Tarika Bayan 17.	Quran Paak ki Hadees (बयान) 18.	Kya Quran Padhne ke liye wazoo zaroori hai 19.	Kya Gair Muslim Ko Wazu Karwakr Usko Quran De Sakte Hai 20.	Quran Padhne ka Tarika Related Questions 21.	Namaz ka Tarika in Hindi (2021) | नमाज़ पढ़ने का तरीका         22.	नमाज़ क्या है (What is Namaz) 23.	Namaz Time 24.	Namaz ka Tarika (नमाज़ का तरीका) 25.	Namaz ki Niyat ka Tarika 26.	नमाज़ में पढ़ी जाने वाली कुछ सूरतें 27.	नमाज़ की शर्त 28.	Wazu ka Tarika | वजू का तरीका 29.	Ghusl ki Dua | गुस्ल का तरीका क्या है 30.	नियत का तरीका 31.	अज़ान का तरीका 32.	अज़ान के बाद की दुआ 33.	Fatiha ka Tarika | फातिहा करने का आसान तरीका 34.	Darood e Ibrahim – दरूदे इब्राहिम 35.	Darood e ibrahim in hindi 36.	Darood e ibrahim in english 37.	Darood e ibrahim Tarjuma 38.	Surah kafirun – सुरह काफिरून 39.	surah kafirun in Hindi 40.	surah kafirun in English 41.	surah kafirun Tarjuma 42.	Surah Ikhlas – सूरए इख़्लास 43.	Surah Ikhlas in Hindi 44.	Surah Ikhlas in English 45.	Surah Ikhlas Tarjuma 46.	Surah Falaq – सूरह फ़लक़ 47.	Surah Falaq in Hindi 48.	Surah Falaq in English 49.	Surah Falaq Tarjuma 50.	Surah Naas – सूरह नास 51.	Surah Naas in Hindi 52.	Surah Naas in English 53.	Surah Naas Tarjuma 54.	Surah Fatiha – सूरह फ़ातिहा 55.	Surah Fatiha in Hindi 56.	Surah Fatiha in English 57.	Surah Fatiha Tarjuma 58.	Surah Baqarah – सूरह बक़रह 59.	Surah Baqarah in Hindi (Fatiha ka Tarika) 60.	Surah Baqarah in English 61.	Surah Baqarah Tarjuma 62.	Ayat e Khamsa – आयत ए खामसह 63.	Esal e sawab karne ka tarika – बख़्शने का तरीका 64.	Fatiha ka Tarika Related Questions 65.	फातिहा किसको कहते है? 66.	कब्रिस्तान पर फातिहा पढ़ने का तरीका? 67.	Alhamdulillah Meaning in Hindi 68.	Alhamdulillah का उच्चारण 69.	Alhamdulillah तीन भागों में विभाजित है 70.	Alhamdulillah Translation in Hindi 71.	Alhamdulillah Meaning in English 72.	Alhamdulillah Meaning in Malayalam 73.	Alhamdulillah Meaning in URDU 74.	Alhamdulillah Meaning in Tamil 75.	Alhamdulillah Meaning in Hindi 76.	Alhamdulillah Meaning in Telugu 77.	Alhamdulillah Meaning in Marathi 78.	Alhamdulillah Meaning in Bengali 79.	Alhamdulillah Meaning in Gujarati 80.	Alhamdulillah Meaning in Arabic 81.	Frequently Asked Questions 82.	Alhamdulillah कब बोला जाता है? 83.	Alhamdulillah का क्या महत्व है? 84.	मुसलमान Alhamdulillah क्यों कहते हैं? 85.	Alhamdulillah कहने के क्या फायदे हैं? 86.	Alhamdulillah दिन में कितनी बार बोला जाता है? 87.	Conclusion Alhamdulillah Meaning in Hindi 88.	Alhamdulillah Meaning in Hindi 89.	Alhamdulillah Meaning In Hindi 90.	Alhamdulilla Meaning in Hindi             91.	Mashallah Meaning in Hindi 92.	जब कोई आपकी तारीफ करे तो क्या करें ? 93.	Mashallah Meaning in Hindi Related Question 94.	सुभान अल्लाह ,माशा अल्लाह ,इंशा अल्लाह का क्या अर्थ है? 95.	क्या क़ुरान में लिखा है कि भगवान राम अल्लाह के नबी थे? 96.	Mashallah Meaning in Hindi 97.	Mashallah Meaning 98.	Mashallah Meaning in Hindi 99.	Azan ke Baad ki Dua (अज़ान के बाद की दुआ) 100.	Azan ke Baad ki Dua Roman English 101.	Azan ke Baad ki Dua in URDU 102.	Azan ke Baad ki Dua in Hindi 103.	Azan ke Baad ki Dua in Image 104.	Azan ke Baad ki Dua Meaning English 105.	Azan ke Baad ki Dua Meaning Roman English 106.	Azan ke Baad ki Dua Meaning in Hindi 107.	अज़ान कहना फर्ज है या सुन्नत 108.	अज़ान का सवाब 109.	अज़ान किस वक्त कहना चाहिए	110.	नमाज़ के अलावा अज़ान कही जाती है क्या ? 111.	अज़ान का बेहतर तरीका क्या है 112.	अज़ान का जवाब कैसे देना चाहिए 113.	खुतबा के अज़ान का जवाब देना कैसा है 114.	क्या अज़ान कहने वाला ही अकामत कहे दूसरा नहीं कहे 115.	अकामत के वक्त लोगो का खड़ा रहना कैसा है 116.	अज़ान व् अकामत के दरमियान सलात पढना कैसा है 117.	किन नमाजो के लिए अज़ान कही जाए. 118.	किस नमाज़ में अज़ान नहीं है 119.	औरत के अज़ान का हुक्म 120.	बच्चे अंधे बे वजू की अज़ान का हुक्म 121.	अज़ान कौन कहे 122.	अज़ान के दरमियान बात करने का हुक्म 123.	अज़ान होते वक्त तमाम मसगुल बंद कर दिए जाए 124.	सोने से पहले तिन बार सूरए इख़्लास पढ़े 125.	फिर एक बार सूरह फ़लक़ पढ़े 126.	फिर एक बार सुरह अल नास पढ़े 127.	फिर एक बार सुरह फातिहा पढ़े 128.	Sone ki dua hindi urdu mein (सोने की दुआ) 129.	तीसरा कलमा तमजीद (Teesra Kalma Tamjeed) 130.	तीसरा कलमा तमजीद तर्जुमा (Teesra Kalma Tamjeed Hindi Translation) 131.	तीसरा कलमा क्या है? (Teesra Kalma kya hai) 132.	तीसरा कलमा की फजीलत 133.	तीसरा कलमा कैसे पढ़ें? 134.	तीसरा कलमा क्यों पढ़ा जाता है   135.	पहला कलमा तय्यब (Pehla Kalma Tayyab) 136.	Pehla Kalma in URDU 137.	Pehla Kalma in Hindi 138.	Pehla Kalma in English 139.	Pehla Kalma in Hindi Meaning 140.	Pehla Kalma in Roman English Meaing 141.	Pehla Kalma in English Meaning 142.	दूसरा कलमा शहादत (Dusra Kalma Shahadat) 143.	Dusra Kalma in URDU 144.	Dusra Kalma in Hindi 145.	Dusra Kalma in English 146.	Dusra Kalma in Hindi Meaning 147.	Dusra Kalma in Roman English Meaing 148.	Dusra Kalma in English Meaning 149.	तीसरा कलमा तमजीद (Teesra Kalma Tamjeed) 150.	Teesra Kalma in URDU 151.	Teesra Kalma in Hindi 152.	Teesra Kalma in English 153.	Teesra Kalma in Hindi Meaning 154.	Teesra Kalma in Roman English Meaing 155.	Teesra Kalma in English Meaning 156.	Teesra Kalma MP3 Free Download 157.	चौथा कलमा तौहीद (4th Kalma Tauheed) 158.	Chautha Kalma in URDU 159.	Chautha Kalma in Hindi 160.	Chautha Kalma in English 161.	Chautha Kalma in Hindi Meaning 162.	Chautha Kalma in Roman English Meaing 163.	Chautha Kalma in English Meaning 164.	पांचवाँ कलमा इस्तिग़फ़ार (5 Kalma Astaghfar)  165.	Panchwa Kalma in URDU 166.	Panchwa Kalma in Hindi 167.	Panchwa Kalma in English 168.	Panchwa Kalma in Hindi Meaning 169.	Panchwa Kalma in Roman English Meaing 170.	Panchwa Kalma in English Meaning 171.	छठवां कलमा रद्दे कुफ्र (6 Kalma Radde Kufr) 172.	Six Kalma in URDU 173.	Six Kalma in Hindi 174.	Six Kalma in English 175.	Six Kalma in Hindi Meaning 176.	Six Kalma in Roman English Meaing 177.	Six Kalma in English Meaning 178.	जब किसी के इंतकाल की खबर मिले तो क्या पढ़ें ? 179.	इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजिउन की फजीलत 180.	Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon कब पढ़ा जाता है 181.	Innalillahiwainnailaihirojiun Meaning 182.	Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon in Arabic Text 183.	Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon Full Dua 184.	Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon Video 185.	Nazar ki Dua | नजर उतारने की दुआ 186.	Nazar ki Dua in Arabic 187.	Nazar ki Dua in English 188.	Nazar ki Dua in Hindi 189.	Nazar ki Dua in Meaning 190.	Nazar ki Dua for Babies 191.	Nazar ki Dua for Babies in English 192.	Nazar ki Dua Related Questions 193.	नजर लग जाए तो कौन सी दुआ पढ़नी चाहिए? 194.	nazar ki dua with meaning           195.	दुआ ए मासुरा क्या है ? (What is Dua e Masura) 196.	दुआ इ मासुरा Arabic में (Dua e Masura in Arabic Text) 197.	दुआ इ मासुरा हिंदी में (Dua e Masura in Hindi) 198.	दुआ इ मासुरा English में (Dua e Masura in Roman English) 199.	दुआ ए मासुरा तर्जुमा – Dua e Masura With Meaning 200.	दुआ ए मासुरा की फायदे (Dua e Masura Benefits) 201.	Allahumma Inni Zalamtu Nafsi Dua क्या है? 202.	Dua e Masura ki Hadees 203.	Frequently Asked Questions (FAQs) 204.	नमाज़ में दुआ ए मासुरा कब पढ़ी जाती है? 205.	दुआ ए मसुरा कैसे पढ़ा जाता है?  206.	क्या बिना दुआ ए मासुरा पढ़े नमाज़ पूरी नहीं होगी?   Safar Ki Dua In Hindi (2021) | सफर की दुआ क्या आप जानते हैं इस्लाम में सफर करना भी एक इबादत है इस्लाम में जिंदगी के हर एक मसले में रहनुमाई की गई है, जिसमें सफर भी एक है  आज हम आप को Safar Ki Dua बताएंगे जिसको पढ़ कर आपको अपना सफर शुरू करना चाहिए  साथ ही हम आपको सफर के दौरान और सफर की तैयारी के दौरान शरीयत के हिसाब से जो तरीका होना चाहिए उसके बारे में भी बताएंगे  वैसे तो बहुत सारी दुआ है जिसको हम सफर करने के दौरान पढ़ सकते हैं लेकिन यहां हमने वह खास दुआ बताइ है जो हम खुद सफर के दौरान पढ़ते हैं  इस दुआ को पढ़ने से पहले बिस्मिल्लाहहिर्रहरामनिर्रहीम और तीन-तीन बार दुरूद शरीफ पढ़ कर आसमान की तरफ अपना मुँह करके फूंक मार दे.इस दुआ का इतना असर हैं की, इस दुआ से सफर में आपकी हिफाजत होगी,आप पर रहमत होगी,आपकी सफर की मुराद पूरी होगी,आपको गैबी मदद भी हासिल होगी.  वो पाक है जिसने इसको हमारे काबू में कर दिया और हम में ताकत न थी कि इसको काबू में कर लेते और हमको अपने रब की तरफ़ ही लौट कर जाना है.  Safar Ki Dua In Urdu  سُبْحَانَ الَّذِي سَخَّرَ لَنَا هَـٰذَا وَمَا كُنَّا لَهُ مُقْرِنِينَ وَإِنَّا إِلَىٰ رَبِّنَا لَمُنقَلِبُونَ-  Safar Ki Dua In English Subhanallazi Sakhkhara Lana Haaza Wama Kunna, Lahoo Muqrineen, Wa Inna Ila Rabbina Lamunqalibun  सफर की दुआ पढ़ने के बाद तीन बार अल्हम्दु लिल्लाह और तीन बार अल्लाह हु अकबर कहें उसके बाद यह दुआ पढ़ें कैसा भी सफर हो चाहे आप बाइक बस रेल हवाई जहाज़ या पानी के जहाज़ में! हमेशा Safar Ki Dua पढ़कर ही सफर शुरू करना चाहिए !   इस्लाम जैसे खूबसूरत मज़हब में पैदा होना ! और हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम की उम्मत में पैदा होना! हम सब के लिए फ़क़्र की बात है !हमारे प्यारे आका हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम ने हमें ! हर छोटे बड़े काम को करने के लिए बेहतरीन तरीके बताये है!  हमें चाहिए ! की हम हुजूर सल्ललाहो अलैहि व सल्लम के बताये हुए ! रास्ते पर चलते हुए अपनी जिंदगी गुजारे ! लिहाज़ा आप जब भी घर से बाहर निकले तो घर से बाहर जाते वक़्त की दुआ पढ़कर निकला करे और जब भी कही बाहर का सफर करे तो Safar Ki Dua भी जरूर पढ़ लिया करे|   ऊपर हमने सफर की दुआ हिंदी में बताई है ! आप की सुविधा के हिसाब से हमने सफर की दुआ हिंदी में लिखकर एक इमेज बनाकर अपलोड की है ! जिसे आप आसानी से अपने मोबाइल वगैरह में डाउनलोड कर सकते है ! और याद कर सकते है इससे पुरे सफर में आपकी हिफाज़त रहती है| और दौराने सफर में आने वाली परेशानी से भी इंसान बचा रहता है|   اللَّهُمَّ بَكَ أَصُولُ وَبِكَ أَجُولُ وَبِكَ أَسِيرُ  अल्लाहुम-म बि-क असूलु व बि-क अहूलु व बि-क असीरु०  तर्जुमा – अल्लाह मैं तेरी मदद से ही हमला करता हूं, तेरी ही मदद से उनको दूर करने की तद्-बीर करता हूं तथा तेरी ही मदद से चलता हूं।  इस्लाम में किसे सफर माना जाए आज भी लोगों की अलग अलग राय है. बहुत से लोगों का यह कहना है कि, अगर मेरा सफर 90 किलोमीटर से ज्यादा हैं तो उसे सफर मान लिया जाए |  चाहे उस सफ़र को पूरा करने के लिए हवाई जहाज या ट्रेन या बस का प्रयोग किया हो कुछ लोगों का यह कहना है कि अगर सफर में 2 दिन का समय लगे तो उसे सफर माना जाएगा।  सफर को लेकर इस्लाम से जुड़े लोगों की अलग अलग राय है. अल्लाह तल्लाह आपकी नियत को देखता है आप Safar Ki Dua पढ़ कर ही अपना सफर शुरू करे |  और कोशिश हो की घर से वुजू करके निकले वजू भी एक मुस्तकिल इबादत है, क्या पता दुनिया में किया कौन सा काम अल्लाह तल्लाह को पसंद आ जाये और हमारी बक्शीश का बाइस बन जाए। इस्लाम में अच्छी बाते फैलाना भी सदका- ए – जरिया है |  ट्रेन में चढ़ते समय सफर की दुआ पढ़कर अपनी सीट पर जाकर बैठ जाएं हमेशा ट्रेन छूटने से 10 से 15 मिनट पहले स्टेशन पर आएं। अपने ही साथ सफर कर रहे, और दूसरे छोटे और बूढ़े लोगों का ख्याल रखें अगर आप कार (Car) से सफर कर रहे है तो आप निचे दिए हुए Safar Ki Dua को पढ़े  Subha Nal Lazi Sakhkharlana Haaza Wamaa Kunna Lahu Muqrineen Wa Inna Ilaa Rabbina Lamun Qaliboon  सुब्हानल्लज़ी सखरलना हाज़ा वमा कून्ना लहुल मुकरिनीन’ व इन्ना _ ईला रब्बेना मुनकलेबून  जब सफ़र से वापस आ गए अल्लाह ने आपकी हिफाज़त की तो अब आप पर ज़रूरी है कि उसकी हम्दो सना और तारीफ में ये चंद अलफ़ाज़ ज़रूर कहें जिसको नबी स.अ. सफ़र से वापसी पर पढ़ा करते थे    Safar Se Wapsi Ki Dua Hindi Translation :  अल्लाह के अलावा कोई इबादत के लाइक नहीं वो अकेला है उसका कोई शरीक नहीं, उसी की बादशाहत है, और उसी की हम्द है, और वो हर चीज़ पर कादिर है, हम वापस लौटने वाले, तौबा करने वाले, इबादत करने वाले, सिर्फ़ अपने रब की हम्द करने वाले हैं, अल्लाह ने अपना वादा सच कर दिया और अपने बन्दे की मदद की और अकेले ही लश्करों को शिकस्त दी |  Safar Se Wapsi Ki Chota (Short) Dua  اٰ ئِبُوْنَ تَآئِبُوْنَ عَابِدُوْنَ سَاجِدُوْنَ لِرَبِّنَاحَامِدُوْنَ ۔  English Meaning: We Return, Repent, Worship And Praise Our Lord. Hindi Translation: हम सफर से आने वाले है, तौबा करने वाले है, इबादत करने वाले है, सजदा करने वाले है और अपने खुदा की हम्द करने वाले है.      99 Names Of Allah In Hindi (2021) | अल्लाह के 99 नाम  99 Names Of Allah के नामों के बारे में बुज़ुर्गों ने कहा है कि अल्लाह-तआला के तीन हज़ार नाम हैं । एक हज़ार अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता और एक हज़ार वह जो फरिश्तों के अलावा कोई नहीं जानता और एक हज़ार वे हैं जो पैगम्बरों से हम तक पहुंचे हैं जिनमे से तीन सौ तौरेत में, तीन सौ ज़बूर में, तीन सौ इंजील में और एक सौ क़ुरआन में दिए गए है ।  मशहूर है कि क़ुरआन में 99 Names ऐसे है जो सब पर ज़ाहिर है और एक नाम ऐसा है जो रहस्य रखा है जो ‘Ism-E-Azam’ है । मुख़्तलिफ़ साहब-ए-कराम ने इस ‘Ism-E-Azam’ के जो संकेत दिए है वह किसी एक नाम से नहीं है । भिन्न भिन्न नामों को Ism-E-Azam बताया गया है जिससे इस निर्णय पर पहुचना सरल है की हर नाम ‘Ism-E-Azam’ है और हर नाम किसी की ज़ात से सम्बन्ध होकर वह नाम उसके लिए ‘Ism-E-Azam’ का काम देता है ।  इस्लाम में ईमान (विश्वास) का पहला आधार अल्लाह में विश्वास है। मुसलमानों के रूप में, हम अल्लाह में उसके सुंदर नामों और विशेषताओं के अनुसार विश्वास करते हैं। अल्लाह ने पवित्र कुरान में अपने नाम बार-बार ज़ाहिर किए हैं, मुख्य रूप से हमें यह समझने के लिए कि वह कौन है। अल्लाह के नाम सीखने और याद रखने से हमें उस पर विश्वास करने के सही तरीके की पहचान करने में मदद मिलेगी। अल्लाह के नामों को समझने और उनके अनुसार जीने से ज्यादा पवित्र और सौभाग्यशाली कुछ भी नहीं है। हम अपने अल्लाह, सर्वशक्तिमान अल्लाह की इबादत, प्यार, डर और भरोसा करने की उम्मीद कैसे करते हैं, अगर हम नहीं जानते कि वह कौन है?  कुराने मजीद में अल्लाह तआला के नामों ( 99 Names Of Allah ) को अस्माए हुसना यानी सबसे अच्छे नाम कहा गया है इन नामों के शुरू में अब्द ,उबैद अता ,या आखिर में मुनासिब लफ़ज़ को जोड़ देना चाहिए जैसे अब्दुल्लाह, उबैदुर्रहमान, अताऊल बारी वगैरह  इसलिए जब भी किसी बच्चे का नाम रखने की बारी आए तो सब से पहले अल्लाह के इन अच्छे नामों पर ध्यान दें और ऐसे ही नाम रखें ताकि इन के असरात भी बच्चे पर अच्छे पड़ें और हदीस में इन नामों के याद करने पर जन्नत का वादा भी बताया गया है  हर मर्ज की दवा Asma Ul Husna अल्लाह ताला का कितना नाम है? अल्लाह का पूरा नाम क्या है? #	Name	Transliteration	Meaning 1	ٱلْرَّحْمَـانُ	Ar-Rahmaan	बहुत महेरबान 2	ٱلْرَّحِيْمُ	Ar-Raheem	निहायत रहम वाला 3	ٱلْمَلِكُ	Al-Malik	बादशाह 4	ٱلْقُدُّوسُ	Al-Quddus	पाक ज़ात 5	ٱلْسَّلَامُ	As-Salam	सलामती वाला 6	ٱلْمُؤْمِنُ	Al-Mu’min	अमन देने वाला 7	ٱلْمُهَيْمِنُ	Al-Muhaymin	निगरानी करने वाला 8	ٱلْعَزِيزُ	Al-Azeez	ग़ालिब 9	ٱلْجَبَّارُ	Al-Jabbar	ज़बरदस्त 10	ٱلْمُتَكَبِّرُ	Al-Mutakabbir	बड़ाई वाला 11	ٱلْخَالِقُ	Al-Khaaliq	पैदा करने वाला 12	ٱلْبَارِئُ	Al-Baari’	जान डालने वाला 13	ٱلْمُصَوِّرُ	Al-Musawwir	सूरतें बनाने वाला 14	ٱلْغَفَّارُ	Al-Ghaffar	बख्शने वाला 15	ٱلْقَهَّارُ	Al-Qahhar	सब को अपने काबू में रखने वाला 16	ٱلْوَهَّابُ	Al-Wahhaab	बहुत अता करने वाला 17	ٱلْرَّزَّاقُ	Ar-Razzaaq	रिजक देने वाला 18	ٱلْفَتَّاحُ	Al-Fattaah	खोलने वाला 19	ٱلْعَلِيمُ	Al-‘Aleem	खूब जानने वाला 20	ٱلْقَابِضُ	Al-Qaabid	नपी तुली रोज़ी देने वाला 21	ٱلْبَاسِطُ	Al-Baasit	रोज़ी को फराख देने वाला 22	ٱلْخَافِضُ	Al-Khaafidh	पस्त करने वाला 23	ٱلْرَّافِعُ	Ar-Raafi’	बलंद करने वाला 24	ٱلْمُعِزُّ	Al-Mu’izz	इज्ज़त देने वाला 25	ٱلْمُذِلُّ	Al-Muzil	ज़िल्लत देने वाला 26	ٱلْسَّمِيعُ	As-Samee’	सब कुछ सुनने वाला 27	ٱلْبَصِيرُ	Al-Baseer	सब कुछ देखने वाला 28	ٱلْحَكَمُ	Al-Hakam	फैसला करने वाला 29	ٱلْعَدْلُ	Al-‘Adl	अदल करने वाला 30	ٱلْلَّطِيفُ	Al-Lateef	बारीक बीं 31	ٱلْخَبِيرُ	Al-Khabeer	सब से बाखबर 32	ٱلْحَلِيمُ	Al-Haleem	निहायत बुरदबार 33	ٱلْعَظِيمُ	Al-‘Atheem	बुज़ुर्ग 34	ٱلْغَفُورُ	Al-Ghafoor	गुनाहों को बख्शने वाला 35	ٱلْشَّكُورُ	Ash-Shakoor	कदरदान 36	ٱلْعَلِيُّ	Al-‘Alee	बहुत बलंद बरतर 37	ٱلْكَبِيرُ	Al-Kabeer	बहुत बड़ा 38	ٱلْحَفِيظُ	Al-Hafeedh	निगेहबान 39	ٱلْمُقِيتُ	Al-Muqeet	सब को रोज़ी व तवानाई देने वाला 40	ٱلْحَسِيبُ	Al-Haseeb	काफी 41	ٱلْجَلِيلُ	Al-Jaleel	बुज़ुर्ग 42	ٱلْكَرِيمُ	Al-Kareem	बेइंतिहा करम करने वाला 43	ٱلْرَّقِيبُ	Ar-Raqeeb	निगेहबान 44	ٱلْمُجِيبُ	Al-Mujeeb	दुआएं सुनने और कुबूल करने वाला 45	ٱلْوَاسِعُ	Al-Waasi’	फराखी देने वाला 46	ٱلْحَكِيمُ	Al-Hakeem	हिकमत वाला 47	ٱلْوَدُودُ	Al-Wadood	मुहब्बत करने वाला 48	ٱلْمَجِيدُ	Al-Majeed	बड़ी शान वाला 49	ٱلْبَاعِثُ	Al-Ba’ith	उठाने वाला 50	ٱلْشَّهِيدُ	Ash-Shaheed	हाज़िर 51	ٱلْحَقُّ	Al-Haqq	सच्चा मालिक 52	ٱلْوَكِيلُ	Al-Wakeel	काम बनाने वाला 53	ٱلْقَوِيُّ	Al-Qawiyy	जोर आवर 54	ٱلْمَتِينُ	Al-Mateen	कुव्वत वाला 55	ٱلْوَلِيُّ	Al-Waliyy	हिमायत करने वाला 56	ٱلْحَمِيدُ	Al-Hameed	खूबियों वाला 57	ٱلْمُحْصِيُ	Al-Muhsee	गिनने वाला 58	ٱلْمُبْدِئُ	Al-Mubdi	पहली बार पैदा करने वाला 59	ٱلْمُعِيدُ	Al-Mu’id	दोबारा पैदा करने वाला 60	ٱلْمُحْيِى	Al-Muhyee	जिंदा करने वाला 61	ٱلْمُمِيتُ	Al-Mumeet	मारने वाला 62	ٱلْحَىُّ	Al-Hayy	जिंदा 63	ٱلْقَيُّومُ	Al-Qayyoom	सब को कायम रखने और निभाने वाला 64	ٱلْوَاجِدُ	Al-Waajid	हर चीज़ को पाने वाला 65	ٱلْمَاجِدُ	Al-Maajid	बुज़ुर्गी और बड़ाई वाला 66	ٱلْوَاحِدُ	Al-Waahid	एक अकेला 67	ٱلْأَحَد	Al-Ahad	एक अकेला 68	ٱلْصَّمَدُ	As-Samad	बे नियाज़ 69	ٱلْقَادِرُ	Al-Qadir	कुदरत रखने वाला 70	ٱلْمُقْتَدِرُ	Al-Muqtadir	पूरी कुदरत रखने वाला 71	ٱلْمُقَدِّمُ	Al-Muqaddim	आगे करने वाला 72	ٱلْمُؤَخِّرُ	Al-Mu’akhkhir	पीछे और बाद में रखने वाला 73	ٱلأَوَّلُ	Al-Awwal	सब से पहले 74	ٱلْآخِرُ	Al-Aakhir	सब के बाद 75	ٱلْظَّاهِرُ	Az-Dhaahir	ज़ाहिर व आशकार 76	ٱلْبَاطِنُ	Al-Baatin	पोशीदा व पिन्हा 77	ٱلْوَالِي	Al-Waali	मुतवल्ली 78	ٱلْمُتَعَالِي	Al-Muta’ali	सब से बलंद व बरतर 79	ٱلْبَرُّ	Al-Barr	बड़ा अच्चा सुलूक करने वाला 80	ٱلْتَّوَّابُ	At-Tawwab	सब से ज्यादा कुबूल करने वाला 81	ٱلْمُنْتَقِمُ	Al-Muntaqim	बदला लेने वाला 82	ٱلْعَفُوُّ	Al-‘Afuww	बहुत ज्यादा माफ़ करने वाला 83	ٱلْرَّؤُفُ	Ar-Ra’oof	बहुत बड़ा मुश्फिक 84	مَالِكُ ٱلْمُلْكُ	Maalik-Ul-Mulk	मुल्कों का मालिक 85	ذُو ٱلْجَلَالِ وَٱلْإِكْرَامُ	Dhul-Jalaali Wal-Ikraam	अजमतो जलाल और इकराम वाला 86	ٱلْمُقْسِطُ	Al-Muqsit	अदलो इन्साफ कायम करने वाला 87	ٱلْجَامِعُ	Al-Jaami’	सब को जमा करने वाला 88	ٱلْغَنيُّ	Al-Ghaniyy	बड़ा बेनियाज़ व बेपरवा 89	ٱلْمُغْنِيُّ	Al-Mughni	बेनियाज़ व गनी बना देने वाला 90	ٱلْمَانِعُ	Al-Mani’	रोक देने वाला 91	ٱلْضَّارُ	Ad-Dharr	ज़रर पहुँचाने वाला 92	ٱلْنَّافِعُ	An-Nafi’	नफा पहुँचाने वाला 93	ٱلْنُّورُ	An-Nur	सर से पैर तक नूर बख्शने वाला 94	ٱلْهَادِي	Al-Haadi	सीधा रास्ता दिखाने और चलाने वाला 95	ٱلْبَدِيعُ	Al-Badee’	बेमिसाल चीज़ को इजाद करने वाला 96	ٱلْبَاقِي	Al-Baaqi	हमेशा रहने वाला 97	ٱلْوَارِثُ	Al-Waarith	सब के बाद मौजूद रहने वाला 98	ٱلْرَّشِيدُ	Ar-Rasheed	बहुत रहनुमाई करने वाला 99	ٱلْصَّبُورُ	As-Saboor	बड़े तहम्मुल वाला      Quran Padhne Ka Tarika (2021) | कुरान पढ़ने का सही तरीका  आज हम जानेंगे कि Quran Padhne Ka Tarika क्या है और क़ुरान शरीफ का अदब कैसे करे हम इस पर विस्तार से चर्चा करेंगे, और इसे समझने का प्रयास करेंगे  Hello दोस्तों मैं आपका Namazquran में Welcome करता हूं आज हम क़ुरान शरीफ के तरीके और अदब के बारे में चर्चा करने वाले हैं, हम Quran Padhne Ka Tarika? यह जानेंगे इसके साथ साथ हम इससे जुड़े और कई तथ्यों को भी जानेंगे जैसे –  कुरान शरीफ के अदब कुरान शरीफ में कोरोना का इलाज कुरान शरीफ का ज़िक्र करने की फ़ज़ीलत कुरान शरीफ में नबियों के नाम क़ुरआन की तालीम हासिल करने की फ़ज़ीलत ख्वाब में क़ुरआन पढ़ना नाजरीन रोज़ाना क़ुरआन शरीफ (Quran Sharif) की तिलावत क्या करो क्योंकी रोज़ाना घरो में कुरान (Quran) की तिलावत करने से उस घर में अल्लाह तआला की रहमत बरसती है और जिस घर में अल्लाह की रहमतों का बरसात हो जाए उस घर में कुछ भी गलत हो ही नहीं सकता है |  एक हदीस शरीफ में आया है की नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम ने फ़रमाया है की रोज़ाना अपने घरो में क़ुरआन (Quran Sharif) की तिलावत करो और अपने घर वालो से भी करवाओ वो इस लिए की यही वो क़ुरान है जो क़यामत के दिन पढ़ने वालों को शफ़ाअत करने के लिए आएगी  कुरान शरीफ अच्छी आवाज़ से पढ़ना चाहिए- लेकिन गाने की तरह नहीं पढ़ना चाहिए क्युकी इस तरह पढ़ना नाजाइज है.  कुरान शरीफ देखकर पढ़ना बिना देखे पढ़ने से बेहतर है अच्छा ये है के वजू करके किबला रुख अच्छे कपड़े पहनकर तिलावत करे और तिलावत के शुरू में अउजो बिल्लाहे पढ़ना वाजिब है और सुरह के शुरू में बिस्मिल्लाह पढ़ना सुन्नत है. Quran Sharif Padhne के बिच में कोई दुनयावी काम करे तो फिर से बिस्मिल्लाह पढ़ ले और दिनी काम किया जैसे सलाम का जवाब दिया, या अज़ान का जवाब दिया या सुभानअल्लाह कहा या कलमा वगैरा पढ़ा तो अउजो बिल्लाहे पढ़ना जरुरी नहीं है.  Quran Sharif Ke अदब (Adab) तिन दिन के अंदर में कुरान शरीफ ख़तम करना बेहतर नहीं. जब Quran Majeed ख़तम हो जाए तो Kul Huwal La Hu Ahad पढ़ना बेहतर है. लेट कर कुरान मजीद पढ़ने में हर्ज़ नहीं जबके पाओ (Knee) सिमटे हो और मुंह खुला हो गुसल खाना और नजासत (Toilet) की जगह में Quran Ki Tilawat करना नाजाइज (Wrong) है. जो सख्स Quran Ki Tilawat गलत पढता हो तो सुनने वाले पर वाजिब है की उसे बता दे. अगर कोई व्यक्ति Quran Sharif पढ़ रहा है, वह बादशाह इस्लाम या अलीमे दीन या पीर या उस्ताद या पिता की बात आने पर उसके ताजीम तक खड़ा हो सकता है। Market या जहाँ लोग काम मे लगे हो वहा जोर से Quran Padhne Ka Tarika (Quran Padhna) नाजाइज है अगर लोग ना सुनेगे तो गुनाह पढ़ने वाले पर होगा। अक्सर अर्स व फातिहा के मौका पर सब लोग जोर से पढ़ते है ये हराम है अगर चंद आदमी पढ़ने वाले हो तो हुक्म है के आहिस्ता पढ़े. Quran Sharif जोर से पढ़ना अफज़ल है जबकी किसी नमाजी या बीमार या सोने वाले को तकलीफ ना पहुंचे. दीवारों और मेहराबो पर कुरान मजीद की आयत लिखना अच्छा नहीं. कुरान शरीफ पढ़ कर भूला जाना गुनाह है कुरान मजीद जिस संदूक में हो उसपर कपड़ा वगैरा नहीं रखा जाए. पुराने कुरान शरीफ जो पढ़ने के काबिल नहीं रहा उसे जलाया नहीं जाए बलके दफ़न किया जाए. कुरान शरीफ की तरफ पीठ ना की जाए ना पाओ फैलाया जाए ना पाओ उससे ऊँचा रखे और कुरान शरीफ निचे है और आप ऊपर बैठे है ये सब गुनाह है.  कुरान शरीफ में कोरोना का इलाज क्या क़ुरान शरीफ में कोरोना वायरस (Corona Virus In Quran) का ज़िक्र किया गया है या कोरोना वायरस का इलाज क़ुरान मज़ीद में है अगर जानना चाहते है तो निचे इस वीडियो को जरूर देखे.   Quran Sharif Ka Zikr Karne Ki Fazilat आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया : जो लोग अल्लाह के घर या किसी घर में जमा होकर अल्लाह की किताब की तिलावत करते और आपस मे उसका Zikar करते हैं, तो उन पर सकीनत नाज़िल होती है, रहमत इलाही उन्हें ढाँप लेती है, फरिश्ते उन्हें घेर लेते हैं और अल्लाह तआला अपने पास मौजुद फरिश्तों में उनका तजकिरह करते हैं।  Quran Ki Taleem Hasil Karne Ki Fazilat हमारे नबी सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया है : जिस ने Quran Padhne Ka Tarika Aur Talim Hasil की और उस पर अमल किया, उसके वालीदेन ( माँ – बाप ) को क़यामत के दिन नुर का ताज पहनाया जाएगा। जिस की रोशनी सुरज की रोशनी की मानन्द होगी, नेज़ उसके वालीदेन को ऐसा जोड़ा पहनाया जाएगा जिसके सामने पुरी दुनियाँ भी हीच होगी, वह दोनों कहेंगे : हमें यह किस सिले मे पहनाया गया है ? तुम दोनों के बच्चे के कुरान सीखने के सिले में।  Quran Sharif Me Nabiyon Ke Naam जिस इंसान को अल्लाह ने मखलूक की हिदायत के लिए भेजा हो उसे नबी कहते है और उन नबियों में से जो अल्लाह की तरफ से कोई नयी आसमानी किताब और नयी शरीयत ले कर आयी उसे रसूल कहते है.  सब नबी मर्द थे न कोई जीन नबी हुआ, न कोई औरत नबी हुआ  सबसे पहले पैगम्बर हज़रते सय्यिदना आदम अलैहे सलाम है और सबसे आखिरी पैगम्बर हज़रते सय्यदना मोहम्मद मुस्तफा अलैहे सलाम है और बाकी तमाम नबी और रसूल इन दोनों के बिच आए है.  Quran Sharif Me Kitne Nabiyon Ke Naam Hai क़ुरान मज़ीद में 26 Nabiyon Ke Naam आया है  Sr. No.	           Name                       	Number 1	हज़रत आदम अलैहे सलाम	25 बार 2	हज़रत नूह अलैहे सलाम	43 बार 3	हज़रत इब्राहिम अलैहे सलाम	69 बार 4	हज़रत इस्माइल अलैहे सलाम	12 बार 5	हज़रत इशहाक अलैहे सलाम	17 बार 6	हज़रत याक़ूब अलैहे सलाम	16 बार 7	हज़रत यूसुफ अलैहे सलाम	27 बार 8	हज़रत दाऊद अलैहे सलाम	16 बार 9	हज़रत सुलेमान अलैहे सलाम	17 बार 10	हज़रत अयूब अलैहे सलाम	4 बार 11	हज़रत मूसा अलैहे सलाम	136 बार 12	हज़रत हारून अलैहे सलाम	20 बार 13	हज़रत जकारिया अलैहे सलाम	7 बार 14	हज़रत याह्या अलैहे सलाम	5 बार 15	हज़रत ईसा अलैहे सलाम	25 बार 16	हज़रत ऐलियास अलैहे सलाम	3 बार 17	हज़रत अयूब अलैहे सलाम	2 बार 18	हज़रत Dhul-Kifl अलैहे सलाम	2 बार 19	हज़रत यूनुस अलैहे सलाम	4 बार 20	हज़रत लूत अलैहे सलाम	27 बार 21	हज़रत इदरिस अलैहे सलाम	2 बार 22	हज़रत सालेह अलैहे सलाम	9 बार 23	हज़रत हूद अलैहे सलाम	7 बार 24	हज़रत शुऐब अलैहे सलाम	11 बार 25	हज़रत उजैर अलैहे सलाम	1 बार 26	हज़रत मुहम्मद अलैहे सलाम	4 बार  Khwab Mein Quran Padhne Ka Tarika Bayan अगर ख़्वाब में देखे की आधा क़ुरान शरीफ पढ़ा है तो दलील है के उसकी आधी उम्र (Age) गुजर चुकी है. हाफिज क़ुरान हो गया है तो दलील है के अमानत को निकाह में रखेगा। क़ुरान मजीद की आवाज सुनी तो दलील है के उसका काम राहे दीन में नेक है. ख़्वाब में क़ुरान मजीद देखने के बारे ज्यादा जानना चाहते है तो इस वीडियो को देखे.  Quran Paak Ki Hadees (बयान) रसूलुल्लाह सल्लल्लाहो अलैहे व सल्लम ने फ़रमाया क़ुरान शरीफ पढ़ो इसलिए कि वो क़यामत के दिन अपने पढ़ने वाले की सिफ़ारिश बनकर आएगा और उसकी शिफ़ादत कुबूल होगी और इमामे बुख़ारी ने रिवायत की है प्यारे नबी सल्ललाहो अलैह व सल्लम ने फ़रमाया कि बेशक तुम में सबसे ज्यादा फ़जीलत वाला वो है, जिसने कुरान सीखा या सिखाया (बुख़ारी शरीफ़ जिल्द 2, सफ़ा 752)।  क़ुरान पाक ज़रूरत के मुताबिक 23 साल में थोड़ा-थोड़ा करके माहे मज़ान के शबे क़दर में नाज़िल हुआ।  क़ुरान शरीफ देखकर पढ़ना ज्यादा सवाब रखता है, बग़ैर देखकर पढ़ने से, क्योंकि क़ुरान का देखना उसका छूना, उसको पास रखना भी सवाब है।  क़ुरआन पाक में 30 पारे हैं 32,3760 हरुफ़ हैं 114 सूरते हैं 540 रुकु हैं 14 सजदे हैं 6666 आयते हैं 5320 ज़बर हैं 39582 ज़ेरा हैं 8804 पेश हैं 105684 नुक़ते हैं Quran Sharif की किसी आयत को ऐब लगाना या उसकी तौहीन करना या उसके साथ मज़ाक या दिल्लगी करना या आयते क़ुरान को बेमौके महल पढ़ देना के लोग सुनकर हँसें ये क्रुफ है।  क़ुरान की कसम भी कसम है, अगर उसके ख़िलाफ होगा कफ्फ़ारा लाज़िम आएगा।  जब बुलंद आवाज़ से क़ुरान पाक पढ़ा जाए तो तमाम हाज़रीन पर सुनना फ़र्ज़ है, जबकि वो मजमा सुनने के लिए ही हो, वरना एक का सुनना काफी है।   Namaz Ka Tarika In Hindi (2021) | नमाज़ पढ़ने का तरीका नमाज़ का तरीका (Namaz Ka Tarika) हर मोमिन मर्द औरत पर सीखना फ़र्ज़ हैं और इस्लाम में पांच फर्ज़ो में से एक फ़र्ज़ नमाज़ हैं इस लिए नमाज़ का तरीका (Namaz Ka Tarika) सीखना जरुरी हैं  हुजूर सल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फ़रमाया की नमाज़ (Namaz) मेरी आँखों की ठंडक है  दुनिया में हर मुसलमान मर्द औरत पर कुरान में नमाज़ फ़र्ज़ की गयी है, नमाज़ को जो भी मुसलमान नहीं पढता है वो अल्लाह की नजर में सबसे निचे है। इसलिए सभी को 5 वक़्त की नमाज़ अदा करनी चाहिए। लेकिन बहुत से लोगों को नमाज़ पढ़ने का तरीका नहीं पता है इस पोस्ट में आपको नमाज़ का तरीका बताऊंगा वो भी हिंदी में।  नमाज़ क्या है (What Is Namaz) नमाज़ शब्द “सलात” (Salah) का उर्दू प्रयाय है और “सलात” अरबी शब्द है कुरान शरीफ में बार बार इस शब्द का इस्तेमाल हुआ है। नमाज़ हर वो आदमी जिसने कलमा पढ़ा है और उसकी उम्र 7 साल से ज्यादा है उसपर पर फ़र्ज़ है। अगर कोई भी मुसलमान नमाज़ को दुनिया के कामों के लिए छोड़ता है तो वो अल्लाह की नजर में गुनेहगार है।  Namaz Time Namaz Ka Tarika  सभी मुसलमान मर्द औरत पर 5 वक़्त (टाइम) की नमाज़ फ़र्ज़ की गयी है जो की इस प्रकार है :-  1.	फज़र (Fajr) :- यह नमाज़ सुबह (Morning) सूरज निकलने से पहले पढ़ी जाती है। 2.	दुहर (Duhur) :- यह दोपहर (Afternoon) को अदा की जाती है। 3.	असर (Asr) :- यह दोपहर (Afternoon) के बाद पढ़ी जाती है। 4.	मगरिब (Maghrib) :- यह शाम (Evening) को सूरज के डूबने के वक़्त पढ़ी जाती है 5.	ईशा (Isha) :- यह देर रात्रि (Night) को सोने से पहले पढ़ी जाती है  इन 5 नमाज़ो के लिए हर देश में अपने अपने Time Zone में Namaz Time निर्धारित किये गए है।  Namaz Ka Tarika (नमाज़ का तरीका) Namaz Ka Tarika बहुत आसान है। नमाज़ या तो 2 रक’आत की होती है, या 3, या 4 रक’आत की। एक रक’आत में एक क़याम, एक रुकू और दो सजदे होते है। नमाज़ का तरीका कुछ इस तरह है –  नमाज़ के लिए क़िबला रुख होकर नमाज़ के इरादे के साथ अल्लाहु अकबर कह कर (तकबीर ) हाथ बांध लीजिए। हाथ बाँधने के बाद सना पढ़िए। आपको जो भी सना आता हो वो सना आप पढ़ सकते है। सना के मशहूर अल्फाज़ इस तरह है “सुबहानका अल्लाहुम्मा व बिहम्दीका व तबारका इस्मुका व त’आला जद्दुका वाला इलाहा गैरुका”  इसके बाद त’अव्वुज पढ़े। त’अव्वुज के अल्फाज़ यह है “अउजू बिल्लाहि मिनश शैतान निर्रजिम. बिस्मिल्लाही र्रहमानिर रहीम।” इसके बाद सुरे फातिहा पढ़े। सुरे फ़ातिहा के बाद कोई एक सूरा और पढ़े। इसके बाद अल्लाहु अकबर (तकबीर) कह कर रुकू में जायें। रुकू में जाने के बाद अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है, “सुबहान रब्बी अल अज़ीम” इसके बाद ‘समीअल्लाहु लिमन हमीदा’ कहते हुवे रुकू से खड़े हो जाये। खड़े होने के बाद ‘रब्बना व लकल हम्द , हम्दन कसीरन मुबारकन फिही’ जरुर कहें। इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए। सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह बयान करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। तस्बीह के मशहूर अल्फाज़ यह है “सुबहान रब्बी अल आला” इसके बाद अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे से उठकर बैठे। फिर दोबारा अल्लाहु अकबर कहते हुए सज्दे में जाए। सज्दे में फिर से अल्लाह की तस्बीह करे। आप जो अल्फाज़ में चाहे अल्लाह की तस्बीह बयान कर सकते हैं। या फिर वही कहें जो आम तौर पर सभी कहते हें, ‘सुबहान रब्बी अल आला’ तशहुद में बैठ कर सबसे पहले अत्तहिय्यात पढ़िए। इसके बाद दरूद पढ़े। इसके बाद दुआ ए मसुरा पढ़े। मतलब कोई भी ऐसी दुआ जो कुर’आनी सुरों से हट कर हो। वो दुआ कुर’आन में से ना हो। साफ साफ अल्फाज़ में आपको अपने लिए जो चाहिए वो मांग लीजिये। दुआ के अल्फाज़ मगर अरबी ही होने चाहिए। इस तरह से दो रक’अत नमाज़ पढ़ कर आप सलाम फेर सकते हैं। ‘अस्सलामु अलैकुम व रहमतुल्लाह’ कहकर आप सीधे और उलटे जानिब सलाम फेरें। Namaz Ki Niyat Ka Tarika Namaz Ka Tarika सीखना हर मुसलमान पर फ़र्ज़ है.नमाज़ पढ़ने के लिए नियत सबसे अव्वल चीज है जो मुकम्मल होनी चाहिए। नमाज़ में सबसे पहले नियत की जाती है उसके बाद सना पढ़ी जाती है फिर सुर : फातिहा कोई आयत और फिर रुकू में चले जाते हैं। नियत बहुत ही आसान है क्योंकि यह सभी नमाज़ में एक जैसी होती है कुछ जयादा अंतर नहीं होता है।  Fajar Ki Namaz Ki Niyat फज्र की दो रकअत सुन्नत नियत की मैंने दो रकत नमाज़ फज्र की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  फज्र की दो रकअत फ़र्ज़ नियत की मैंने दो रकत नमाज़ फज्र की फज्र के अल्लाह तआला के वास्ते मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  फज़र में कुल 4 रकअत होती है.  Zohar Ki Namaz Ki Niyat जोहर की चार रकात सुन्नत नियत की मैंने चार रकत नमाज़ जुहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  जोहर की चार रकात फर्ज नियत की मैंने चार रकत नमाज़ जुहर की फज्र वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  जुहर की दो रकात सुन्नत नियत की मैंने दो रकत नमाज़ जुहर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  जुहर की दो रकात नफिल नियत की मैंने दो रकत नमाज़ जुहर की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.   जोहर में कुल 12 रकअत होती है.  Asar Ki Namaz Ki Niyat असर की चार रकात सुन्नत नियत की मैंने चार रकत नमाज़ असर की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  असर की चार रकात फर्ज नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ असर की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  असर में कुल 8 रकअत होती है.  Magrib Ki Namaz Ki Niyat मगरिब की तीन रकात फर्ज नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ मगरिब की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  मगरिब की दो रकअत सुन्नत नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ मगरिब की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  मगरिब की दो रकात नफिल नियत की मैंने दो रकत नमाज़ मगरिब की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.   मग़रिब में कुल 7 रकअत होती है.  Isha Ki Namaz Ki Niyat ईशा की चार रकअत सुन्नत नियत की मैंने चार रकत नमाज़ ईशा की सुन्नत रसूलपाक के फर्ज से पहले वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  ईशा की चार रकअत फर्ज नियत की मैंने चार रकत नमाज़ ईशा की फर्ज वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  ईशा की दो रकअत सुन्नत नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ ईशा की सुन्नत रसूलपाक के फर्ज के बाद वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  ईशा की दो रकात नफिल नियत की मैंने दो रकत नमाज़ ईशा की नफिल वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.   वित्र की तीन रकअत वाजिब नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ वित्र की वाजिब वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  मस्जिद में दाखिल होने की दो रकात सुन्नत नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ मस्जिद में दाखिल होने की सुन्नत रसूलपाक के वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काअबा शरीफ के तरफ अल्लाहु अकबर.  ईशा में कुल 17 रकअत होती है.  Jumma Ki Namaz Ki Niyat जुमे की नमाज़ ( Jumma Ki Namaz ) में 14 रकअत होती है  4 रकअत सुन्नत 2 रकअत फ़र्ज़ 4 रकअत सुन्नत 2 रकअत सुन्नत 2 रकअत नफ़्ल आम दिनों में हम ज़ुहर के वक़्त 4 फ़र्ज़ की नियत करते है. मगर जुमे के दिन 4 सुन्नत की नियत करेंगे! 2 रकअत फ़र्ज़ इमाम साहब के पीछे पढ़ेंगे! बाकी नमाज़ खुद पढ़ेंगे!  जुमे की चार रकअत सुन्नत नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ जुमा से पहले सुन्नत रसूलपाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाह हुअक्बर  जुमे की दो रकअत फ़र्ज़ नियत की मैंने दो रकअत नमाज़े जुमा के फ़र्ज़ वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाह हुअक्बर  जुमे की चार रकअत सुन्नत नियत की मैंने चार रकअत नमाज़ जुमा से बाद सुन्नत रसूलपाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाह हुअक्बर     जुमे की दो रकात सुन्नत नियत की मैंने दो रकअत नमाज़े बाद जुमा सुन्नत रसूलपाक की वास्ते अल्लाह तआला के मुंह मेरा काबा शरीफ़ की तरफ अल्लाह हुअक्बर  जुमे की दो रकात नफिल नियत की मैंने दो रकअत नमाज़ नफ़्ल की, वास्ते अल्लाह तआला के, वक्त ज़ुमा का, मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़, अल्लाहु-अकबर  जुम्मा में कुल 14 रकअत होती है.  नमाज़ में पढ़ी जाने वाली कुछ सूरतें  Surah Kafirun – सुरह काफिरून 1.	कुल या अय्युहल काफिरून 2.	ला अ अबुदु मा तअ’बुदून 3.	वला अन्तुम आ बिदूना मा अ’अबुद 4.	वला अना आबिदुम मा अबत तुम 5.	वला अन्तुम आबिदूना मा अअ’बुद 6.	लकुम दीनुकुम वलिय दीन  Surah Ikhlas – सूरए इख़्लास 1.	कुल हुवल्लाहु अहद 2.	अल्लाहुस्समद 3.	लम यलिद वलम यूलद 4.	वलम यकूल लहू कुफुवन अहद  Surah Falaq – सूरह फ़लक़ 1.	कुल आ ऊजू बिरब्बिल फलक 2.	मिन शर्री मा खलक़ 3.	वा मिन शर्री गासिकिन इजा वकब 4.	वा मिन शर्रीन नाफ्फासाती फिल उकद 5.	वा मिन शर्री हसिदिन इज़ा हसद  Surah Naas – सूरह नास 1.	कुल आउज़ू बी रब्बिन्नास 2.	मलिकिन- नास 3.	इलाहिन- नास 4.	मिन शर्रिल वास्वसिल खन्नास 5.	अल- लजी युवास्विसू फी सुदुरिन्नास 6.	मीनल जिन्नती वन्नास    Surah Fatiha – सूरह फ़ातिहा 1.	अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन 2.	अर रहमा निर रहीम 3.	मालिकि यौमिद्दीन 4.	इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन 5.	इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम 6.	सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम 7.	गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन (अमीन)  नमाज़ की शर्ते नमाज़ की कुछ शर्ते हैं। जिनका पूरा किये बिना नमाज़ नहीं हो सकती या सही नहीं मानी जा सकती। कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए होना ज़रूरी है, तो कुछ शर्तो का नमाज़ के लिए पूरा किया जाना ज़रूरी है। तो कुछ शर्तो का नमाज़ पढ़ते वक्त होना ज़रूरी है, नमाज़ की कुल शर्ते कुछ इस तरह से है।  1.	बदन का पाक होना 2.	कपड़ो का पाक होना 3.	नमाज़ पढने की जगह का पाक होना 4.	बदन के सतर का छुपा हुआ होना 5.	नमाज़ का वक्त होना 6.	किबले की तरफ मुह होना 7.	नमाज़ की नियत यानि इरादा करना ख़याल रहे की पाक होना और साफ होना दोनों अलग अलग चीज़े है। पाक होना शर्त है, साफ होना शर्त नहीं है। जैसे बदन, कपडा या जमीन नापाक चीजों से भरी हुवी ना हो. धुल मिट्टी की वजह से कहा जा सकता है की साफ़ नहीं है, लेकिन पाक तो बहरहाल है।  1. बदन का पाक होना नमाज़ पढने के लिए बदन पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। बदन पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. बदन पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो वजू या गुस्ल कर के नमाज़ पढनी चाहिए।  2. कपड़ो का पाक होना नमाज़ पढने के लिए बदन पर पहना हुआ कपडा पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। कपडे पर कोई नापाकी लगी नहीं होनी चाहिए. कपडे पर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो कपडा धो लेना चाहिए या दूसरा कपडा पहन कर नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।  3. नमाज़ पढने की जगह का पाक होना नमाज़ पढने के लिए जिस जगह पर नमाज पढ़ी जा रही हो वो जगह पूरी तरह से पाक होना ज़रूरी है। जगह पर अगर कोई गंदगी लगी हो या नापाकी लगी हो तो जगहधो लेनी चाहिए या दूसरी जगह नमाज़ पढ़ लेनी चाहिए।  4. बदन के सतर का छुपा हुआ होना नाफ़ के निचे से लेकर घुटनों तक के हिस्से को मर्द का सतर कहा जाता है। नमाज़ में मर्द का यह हिस्सा अगर दिख जाये तो नमाज़ सही नहीं मानी जा सकती.  5. नमाज़ का वक्त होना कोई भी नमाज़ पढने के लिए नमाज़ का वक़्त होना ज़रूरी है. वक्त से पहले कोई भी नमाज़ नहीं पढ़ी जा सकती और वक़्त के बाद पढ़ी गयी नमाज़ कज़ा नमाज़ मानी जाएगी।  6. किबले की तरफ मुह होना नमाज़ क़िबला रुख होकर पढ़नी चाहिए। मस्जिद में तो इस बारे में फिकर करने की कोई बात नहीं होती, लेकिन अगर कहीं अकेले नमाज़ पढ़ रहे हो तो क़िबले की तरफ मुह करना याद रखे  7. नमाज़ की नियत यानि इरादा करना  नमाज पढ़ते वक़्त नमाज़ पढ़ें का इरादा करना चाहिए।  Wazu Ka Tarika | वजू का तरीका नमाज़ के लिए वजू शर्त है। वजू के बिना आप नमाज़ नहीं पढ़ सकते। अगर पढेंगे तो वो सही नहीं मानी जाएगी। वजू का तरीका यह है की आप नमाज़ की लिए वजू का इरादा करे। और वजू शुरू करने से पहले बिस्मिल्लाह कहें. और इस तरह से वजू करे।  1)	कलाहियों तक हाथ धोंये 2)	कुल्ली करे 3)	नाक में पानी चढ़ाये 4)	चेहरा धोंये 5)	दाढ़ी में खिलाल करें 6)	दोनों हाथ कुहनियों तक धोंये 7)	एक बार सर का और कानों का मसाह करें 8)	(मसह का तरीका यह है की आप अपने हाथों को गिला कर के एक बार सर और दोनों कानों पर फेर लें। कानों को अंदर बाहर से अच्छी तरह साफ़ करे।) 9)	दोनों पांव टखनों तक धोंये। यह वजू का तरीका है। इस तरीके से वजू करते वक्त हर हिस्सा कम से कम एक बार या ज़्यादा से ज़्यादा तीन बार धोया जा सकता है। लेकिन मसाह सिर्फ एक ही बार करना है। इस से ज़्यादा बार किसी अज़ाको धोने की इजाज़त नहीं है, क्योंकि वह पानी की बर्बादी मानी जाएगी और पानी की बर्बादी करने से अल्लाह के रसूल ने मना किया है।  वज़ू में धोने का मतलब क्या है  धोने का मतलब ये है के जिस जगह को धोए उस के हर हिस्सा पर पानी बह जाए.  Wazu Ki Dua वज़ू करने के बाद आप ये दुआ पढ़े   Allahummaj’alni Minat Tawwabeen Waj’alnee Mina-Al Mutahhareena     Ghusl Ki Dua | गुस्ल का तरीका क्या है “ऐ ईमान वालो नशे की हालत में नमाज़ के करीब न जाओ यहाँ तक की समझने लगो जो कहते हो और न जनाबत की हालत में जब तक ग़ुस्ल न कर लो मगर सफर की हालत में कि वहाँ पानी न मिले तो ग़ुस्ल की जगह तयम्मुम है|” ( कुरान मज़ीद )  अगर आपने अपने बीवी से सोहबत की है, या फिर रात में आपको अहेतलाम हुआ है, या आपने लम्बे अरसे से नहाया नहीं है तो आप को गुस्ल करना ज़रूरी है। ऐसी हालत में गुस्ल के बिना वजू नहीं किया सकता. गुस्ल का तरीका कुछ इस तरह है।  दोनों हाथ कलाहियो तक धो लीजिये शर्मगाह पर पानी डाल कर धो लीजिये ठीक उसी तरह सारी चीज़ें कीजिये जैसे वजू में करते हैं कुल्ली कीजिये नाक में पानी डालिए और पुरे बदन पर सीधे और उलटे जानिब पानी डालिए सर धो लीजिये हाथ पांव धो लीजिये। यह गुस्ल का तरीका है। याद रहे ठीक वजू की तरह गुस्ल में भी बदन के किसी भी हिस्से को ज़्यादा से ज़्यादा 3 ही बार धोया जा सकता है। क्योंकि पानी का ज़रूरत से ज़्यादा इस्तेमाल इस्लाम में गैर पसंदीदा अमल माना गया है।  Ghusl Ki Dua Ghusl Ki Dua Transliteration  Allahummaj-Alni Minat-Taw-Waabeena Waja-Alni Minal Muta Tah-Hireen.  ग़ुस्ल के 3 फ़र्ज़ है कुल्ली इस तरह करना की होंट से हलक़ तक दांतो की सारी जड़ में पानी पहुंच जाए नाक की नर्म हड्डी तक पानी चढ़ाना सर से लेकर पैर तक ऐसा पानी बहाना कि 1 बाल बराबर जगह भी सुखी न रहे,इन तीनो में से कुछ भी छूटा तो हरगिज़ ग़ुस्ल नहीं होगा और जब गुस्ल नहीं हुआ तो वुज़ु नहीं होगा और जब वुज़ु नहीं होगा तो नमाज़ कहां से होगी. क्या गुस्ल के बाद वुजू की ज़रुरत है? अगर आपने ऊपर बता गए सुन्नत तरीके के मुताबिक़ पहले वुजू किया फिर गुस्ल किया या अगर वुजू नहीं किया सिर्फ गुस्ल ही किया तो अब बाद में वुजू की ज़रुरत नहीं है इसलिए कि जिस्म के तमाम हिस्से को पाकी हासिल हो गयी|  गुस्ल खाने में पेशाब करना कैसा है? गुस्ल खाना अगर कच्चा है और उस में पानी जमा हो जाता है तो वहां पेशाब मकरूह तहरीमी ( हराम के क़रीब ) है और हदीस मुबारक में है कि अगर कोई गुस्ल खाने में पेशाब करता है तो उसे भूलने और वस्वसों का मर्ज़ हो सकता है इसलिए इससे बचना चाहिए|  नंगे गुस्ल करना कैसा है? अगर ऐसी जगह गुस्ल कर रहे हैं जहाँ किसी की नज़र नहीं पड़ती है तो नंगे गुस्ल करना दुरुस्त है लेकिन फिर भी बेहतर यही है कि तहबन्द वगैरा बाँध कर ही गुस्ल करे|  Ghusl Ka Tarika नियत का तरीका नमाज़ की नियत का तरीका यह है की बस दिल में नमाज़ पढने का इरादा करे। आपका इरादा ही नमाज़ की नियत है। इस इरादे को खास किसी अल्फाज़ से बयान करना, जबान से पढना ज़रूरी नहीं।  अज़ान का तरीका अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर  अशहदु अल्लाह इलाहा इल्लला अशहदु अल्लाह इलाहा इल्लला  अशहदु अन्न मुहम्मदुर्रसुल अल्लाह अशहदु अन्न मुहम्मदुर्रसुल अल्लाह  हैंय्या अलस सल्लाह हैंय्या अलस सल्लाह  हैंय्या अलल फलाह हैंय्या अलल फलाह  अल्लाहु अकबर अल्लाहु अकबर ला इलाहा इल्ललाह  यह है वो अज़ान जो हम दिन में से पांच मर्तबा हर रोज सुनते है। जब हम यह अज़ान सुनते हैं, तब इसका जवाब देना हमपर लाजिम आता है और यह जवाब कैसे दिया जाए? बस वही बात दोहराई जाये जो अज़ान देने वाला कह रहा है। वो कहें अल्लाहु अकबर तो आप भी कहो अल्लाहु अकबर…. इसी तरह से पूरी अज़ान का जवाब दिया जाए तो बस ‘हैंय्या अलस सल्लाह’ और ‘हैंय्या अलल फलाह’ के जवाब में आप कहें दो ‘ला हौला वाला कुव्वता इल्ला बिल्लाह’  अज़ान के बाद की दुआ Azan Ka Dua “अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़ीहिल दावती-त-ताम्मति वस्सलातिल कायिमति आती मुहम्मद नील वसिलता वल फ़ज़ीलता अब’असहू मक़ामम महमूद निल्ल्जी अ’अत्तहू”  अज़ान की दुआ का तर्जुमा “ऐ अल्लाह! ऐ इस पूरी दावत और खड़े होने वाली नमाज़ के रब! मुहम्मद (स.) को ख़ास नजदीकी और ख़ास फजीलत दे और उन्हें उस मकामे महमूद पर पहुंचा दे जिसका तूने उनसे वादा किया है. यकीनन तू वादा खिलाफी नहीं करता.”     New Fatiha Ka Tarika In Hindi (2021) | फातिहा का तरीका अस्सलामो अलयकुम दोस्तों दोस्तों आज मै आपको फातिहा का तरीका (Fatiha Ka Tarika) के बारे में बताने वाला हूँ की फातिहा किसको कहते है फातिहा कैसे किया जाता है यानि की इसाले सवाब किस तरह किया जाता है ! अगर आप भी सीखना चाहते है तो पूरी पोस्ट को पढ़े तो चलिए शुरू करते है.  कब्रिस्तान पर फातिहा पढ़ने का तरीका?  Fatiha Ka Tarika | फातिहा करने का आसान तरीका Fatiha Ka Tarika: फातिहा देने के लिए सबसे पहले वुजू कर लें। वज़ू करने के बाद क़िब्ला रू (काबा शरीफ के तरफ मुंह करके) बैठ जाएँ जिस चीज़ पर फातिहा देना हो उसको सामने रख ले. सामने रखना सिर्फ मुबाह और जाइज़ है. अगर वह चीज़ ढकी (Pack) है तो उसे खोल (Open) कर ले और लोबान अगरबत्ती सुलगाए (अगर मौजूद हो तो). और फातिहा की चीजों से दूर रखे और मुस्तहब तरीका पर फातिहा (Fatiha) दे सबसे पहले शुरू और आखिर में 3 – 3 मर्तबा दुरुद शरीफ पढ़े !  1)	दरूदे इब्राहिम – Darood E Ibrahim (3 बार पढ़े) 2)	सुरह काफिरून – Surah Kafiroon (1 बार पढ़े) 3)	सूरए इख़्लास – Surah Ikhlas (3 बार पढ़े) 4)	सूरह फ़लक़ – Surah Falaq (1 बार पढ़े) 5)	सूरह नास – Surah Naas (1 बार पढ़े ) 6)	सूरह फ़ातिहा – Surah Fatiha (1 बार पढ़े) 7)	सूरह बक़रह – Surah Baqarah (1 बार पढ़े) 8)	आयत ए खामसह – Aayat-E-Khamsah (1 बार पढ़े) 9)	Darood E Ibrahim – दरूदे इब्राहिम  Darood E Ibrahim In Hindi अल्लाहुम्मा सल्ले अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन कमा सललेता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद अल्लाहुम्मा बारिक अला मुहम्मदिव व अला आलि मुहम्मदिन कमा बारकता अला इब्राहिम व अला आलि इब्राहिम इन्नक हमीदुम मजीद  Darood E Ibrahim In English Allahumma Salli Ala Muhammadiw Wa Ala Aali Muhammadin Kamaa Sallaita Ala Ibrahima Wa Ala Aali Ibrahima Innaka Hamidum Majid. Allahumma Baarik Ala Muhammadiw Wa Ala Aali Muhammadin Kamaa Baarakta Ala Ibrahima Wa Ala Aali Ibrahima Innaka Hamidum Majid  Darood E Ibrahim Tarjuma ए अल्लाह बरकत उतार हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम पर और हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम के घर वालों पर जैसे बरकतें की तूने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम पर और हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के घर वालों पर बेशक तुहि तारीफ़ के लायक बड़ी बुजुर्गी वाला है  Surah Kafirun – सुरह काफिरून 1.	कुल या अय्युहल काफिरून 2.	ला अ अबुदु मा तअ’बुदून 3.	वला अन्तुम आ बिदूना मा अ’अबुद 4.	वला अना आबिदुम मा अबत तुम 5.	वला अन्तुम आबिदूना मा अअ’बुद 6.	लकुम दीनुकुम वलिय दीन  Surah Kafirun In English 1)	Qul Ya Ayyuhal Kaafiroon 2)	La Aa Budu Ma Ta’budoon 3)	Wala Antum Abidoona Ma Aa’bud 4)	Wala Ana Abidum Ma Abattum 5)	Wala Antum Aabidoona Ma Aa’bud 6)	Lakum Deenukum Waliya Deen  Surah Kafirun Tarjuma I.	आप कह दीजिये ए ईमान से इनकार करने वालों II.	न तो मैं उस की इबादत करता हूँ जिस की तुम पूजा करते हो III.	और न तुम उसकी इबादत करते हो जिसकी मैं इबादत करता हूँ IV.	और न मैं उसकी इबादत करूंगा जिसको तुम पूजते हो V.	और न तुम ( मौजूदा सूरते हाल के हिसाब से ) उस खुदा की इबादत करने वाले हो जिसकी मैं इबादत करता हूँ VI.	तो तुम्हारे लिए तुम्हारा दीन और मेरे लिए मेरा दीन  Surah Ikhlas – सूरए इख़्लास 1.	कुल हुवल्लाहु अहद 2.	अल्लाहुस्समद 3.	लम यलिद वलम यूलद 4.	वलम यकूल लहू कुफुवन अहद  Surah Ikhlas In English 1)	Qul Huwal Laahu Ahad 2)	Allahus Samad 3)	Lam Yalid Walam Yoolad 4)	Walam Yakul Lahu Kufuwan Ahad    Surah Ikhlas Tarjuma I.	आप कह दीजिये कि अल्लाह एक है II.	अल्लाह बेनियाज़ है III.	वो न किसी का बाप है न किसी का बेटा IV.	और न कोई उस के बराबर है  Surah Falaq – सूरह फ़लक़ 1.	कुल आ ऊजू बिरब्बिल फलक 2.	मिन शर्री मा खलक़ 3.	वा मिन शर्री गासिकिन इजा वकब 4.	वा मिन शर्रीन नाफ्फासाती फिल उकद 5.	वा मिन शर्री हसिदिन इज़ा हसद  Surah Falaq In English 1)	Qul Aoozu Birabbil Flaq 2)	Min Sharri Ma Khalaq 3)	Wamin Sharri Gasiqin Iza Waqab 4)	Wamin Sharrin Naffasati Fil Uqad 5)	Wamin Sharri Hasidin Iza Hasad  Surah Falaq Tarjuma I.	कह दीजिये मैं सुबह के रब की पनाह मांगता हूँ II.	तमाम मख़लूक़ात के शर से III.	और अँधेरी रात के शर से जब कि उस की तारीकी फ़ैल जाये IV.	और उन औरतों के शर से जो गिरहों में फूंक मारती है V.	और हसद करने वाले के शर से जब वो हसद करने लगे  Surah Naas – सूरह नास 1.	कुल आउज़ू बी रब्बिन्नास 2.	मलिकिन- नास 3.	इलाहिन- नास 4.	मिन शर्रिल वास्वसिल खन्नास 5.	अल- लजी युवास्विसू फी सुदुरिन्नास 6.	मीनल जिन्नती वन्नास  Surah Naas In English 1)	Qul Aoozu Birabbin Naas 2)	Malikin Naas 3)	Ilahin Naas 4)	Min Sharril Waswasil Khannas 5)	Allazi Yuwaswisu Fi Sudoorin Naas 6)	Minal Jinnati Wannas      Surah Naas Tarjuma I.	कह दीजिए की पनाह में आता हूँ तमाम लोगो के परवर दिगार की II.	लोगो के बादशाह की III.	लोगो के माबूद की IV.	वस्वसा डालने वाले खन्नास के शर से V.	जो लोगो के सीनो में वस्वसा डालता है VI.	जिनो और इंसानो में से  Surah Fatiha – सूरह फ़ातिहा 1.	अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन 2.	अर रहमा निर रहीम 3.	मालिकि यौमिद्दीन 4.	इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन 5.	इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम 6.	सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम 7.	गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन (अमीन)  Surah Fatiha In English 1)	Alhamdulillahi Rabbil Aalameen 2)	Arrahmanir Raheem 3)	Maliki Yaumiddeen 4)	Iyyaka Nabudu Waiyyakanastain 5)	Ihdinassiratal Mustaqeem 6)	Siratallazina Anamta Alaihim 7)	Ghairil Maghdubi Alaihim Waladdalleen  Surah Fatiha Tarjuma I.	तमाम तारीफें उस अल्लाह ही के लिये है जो तमाम क़ायनात का II.	जो रहमान और रहीम है। III.	जो सजा के दिन का मालिक है। IV.	हम तेरी ही इबादत करते हैं, और तुझ ही से मदद चाहते हैं V.	हमें सीधा रास्ता दिखा। VI.	उन लोगों का रास्ता जिन पर तूने इनाम फ़रमाया VII.	उन लोगों का रास्ता नहीं जिन पर तेरा गजब नाजिल हुआ और ना उन लोगो का जो राहे हक़ से भटके हुए है	  Surah Baqarah – सूरह बक़रह 1.	अलीफ लाम मीम ज़ालिकाल किताबु ला रै बफ़ीह 2.	हुदल लिल मुत्तकीन 3.	अल्लज़ीना यूमिनूना बिल गैबि व युकिमुनस्सलाता व् मिम्मा रजकनाहुम् युनफिकुन 4.	वल्ल्जीना यूमिनू ना बिमा उन्ज़िला इलैका वमा उन्ज़िला मिन क़ब्लिक व बिल आख़िरति हुम् युकिनून 5.	उलाइका अला हुदम मिर रब्बि हिम व उलाइका हुमुल मुफ़लिहून।     Surah Baqarah In English 1)	Alif-Laaam-Meeem 2)	Zaalikal Kitaabu Laa Raiba Feeh; Hudal Lilmuttaqeen 3)	Allazeena Yu’minoona Bilghaibi Wa Yuqeemoonas Salaata Wa Mimmaa Razaqnaahum Yunfiqoon 4)	Wallazeena Yu’minoona Bimaa Unzila Ilaika Wa Maaa Unzila Min Qablika Wa Bil Aakhirati Hum Yooqinoon 5)	Ulaaa’ika ‘Alaa Hudam Mir Rabbihim Wa Ulaaa’ika Humul Muflihoon  Surah Baqarah Tarjuma I.	अलीफ़॰ लाम॰ मीम॰ II.	वह किताब यही हैं, जिसमें कोई सन्देह नहीं, मार्गदर्शन हैं डर रखनेवालों के लिए, III.	जो अनदेखे ईमान लाते हैं, नमाज़ क़ायम करते हैं और जो कुछ हमने उन्हें दिया हैं उसमें से कुछ खर्च करते हैं; IV.	और जो उस पर ईमान लाते हैं जो तुम पर उतरा और जो तुमसे पहले अवतरित हुआ हैं और आख़िरत पर वही लोग विश्वास रखते हैं; V.	वही लोग हैं जो अपने रब के सीधे मार्ग पर हैं और वही सफलता प्राप्त करनेवाले हैं  Ayat E Khamsa – आयत ए खामसह 1.	व इलाहुकुम इलाहुं वाहिद, लाइलाहा इल्ला हुवर्रहमानुर्रहीम 2.	इन्ना रहमतल्लाहि क़रीबुम मिनल मुहसिनीन 3.	वमा अरसल नाका इल्ला रहमतल लिल आलमीन 4.	मा काना मुहम्मदुन अबा अहादिम मिंर रिजालिकुम वला किर रसूल्लाहि वखा तमन नबीय्यीन व कानल्लाहु बिकुल्लि शैइन अलीमा 5.	इन्नल्लाहा व मलाई क त हू यूसल्लूना अलन्न् बिय्यि या अय्यु हल लज़ीना आ मनू सल्लू अलैहि व सल्लिमू तस्लीमा। 6.	सुबहान रब्बिक रबिल इज्ज़ती अम्मा यासिफून व सलामुन अलल मुरसलीन  वल हम्दो इल्लाही रब्बिल आलेमिन   Esal E Sawab Karne Ka Tarika – बख़्शने का तरीका अब फातिहा पढने वाला हाथ उठाकर बुलंद आवाज़ से “अल-फातिहा” कहे. फिर सब लोग आसिस्ता से आमीन कहे यानि इतनी आवाज़ से कहे की सिर्फ खुद सुने अब सुरह अल फातिहा पढ़े. अब फातिहा पढने वाला इस तरह ऐलान करे मेरे इस्लामी भाइयो! आप ने जो कुछ भी पढ़ा है उसका सवाब मुझे दे दीजिए. तमाम हज़िरिन कह दे “आप को दे दिया” अब फातिहा पढ़ने वाला इसाले सवाब कर दे.  अब दुआ के लिए हाथ उठाए  ए अल्लाह मैंने तेरे बारगाह में कुरान शरीफ की तिलावत की और दरूद शरीफ पढ़ा ए अल्लाह इसे पढ़ने में जो भी गलतिया हुई है इसे अपने फज्लो करम से माफ़ फरमा और इस सिरनि शरीफ और पानी का सबसे पहले इसका सवाब सरकारे दोआलम सल्लाहु अलैहि वसल्लम के मुक़द्दस बारगाह में तोह्फतन हदियातन पेस करते है कबूल फरमा  हज़रत आदम अलैहि वसल्लम से लेकर हज़रते इसा अलैहि वसल्लम तक कमो बेस एक लाख चौबीस हजार अम्बियाए मुर्सलीन के बारगाह में ये सिरनि शरीफ पेस करते है मौला कबूल फरमा हुजूर के शहाबा शहाबिया अहले बैत अतहार अज़्वाजे मोतहरात जुमला शहीदाने कर्बला जुमला शहाबा तबाईन तबे तबाईन आइममे मुजतहइन बुजुर्गाने दिन मुत्तक़ीन सालेहीन मोमेनीन के अरवाहे को पेस करते है कबूल फरमा  इसका सवाब दस्तगीर रौशन जमीर हजरते गौसे आज़म रज़ि अल्लाहो तआला अन्हा और ख्वाजा ए ख्वाजा हिंदल वली अजमेरी चिस्ती के बारगाह में पेश करते है क़ुबूल फ़रमा इस दुनिया से जितनेभी मोमिन व् मोमिनात गुजर चुके है उनकी बखसीस फरमा और उनको जन्नत में आला से आला मकाम अता फरमा ( आमीन सुम्मा आमीन )  बिल ख़ुसुस . . . . . . . . . . . . . . . . को इसका सवाब अता फरमा !  नोट – बिल ख़ुसुस के बाद जिसके नाम की फातिहा हो उसका नाम ले !  नोट – आप जिन जिन का नाम लेते है उनको ख़ुशी मिलती है अगर किसी का भी नाम ना ले सिर्फ इतना ही कह ले की या अल्लाह! इसका सवाब आज तक जितने अहले इमाम हुए उन सब को पहुंचा तब भी हर एक को पहुँच जाएगा.  अब दुआ ख़तम कर दीजिए. (अगर थोड़ा थोड़ा खाना और पानी निकला था तो वो दुसरे खानों और पानी में डाल दीजिए).  फातिहा किसको कहते है? किसी नेक काम का सवाब जो हमको खुदा से मिलने वाला है वह किसी दुसरे को बक्स देना इसी का नाम फातिहा है.  कब्रिस्तान पर फातिहा पढ़ने का तरीका? फातिहा का तरीका सभी जगह एक ही पढ़ा जाता है हमने इस आर्टिकल शुरू से एक एक बात बताया हूँ जिसको सीखकर आप भी कब्रिस्तान पर फातिहा पढ़ सकते है.  हम आपको बता देना चाहते हैं, कुछ लोग समझते हैं, कि सिर्फ आदमी (Men) ही फातिहा दे सकते हैं, पर ऐसा नहीं है। अगर किसी कारण से फातिहा देने के लिए मर्द (Men) नही है, तो औरत(Women) भी फातिहा दे सकती है।  उमीद करता हूँ की Fatiha Ka Tarika आपको समझ में आया होगा Fatiha Ka Tarika ऐसी ही जानकारी पढ़ने के लिए बने रहें हमारे साथ। अगर कोई भी समस्या आए तो कमेंट करके जरुर बताए.     Alhamdulilla Meaning अल्हम्दुलिल्लाह Alhamdulillah Meaning in Hindi: अस्सलाम अलैकुम दोस्तों, हम अपने जीवन में ऐसे बहुत से शब्द सुनते हैं जिनको बार-बार सुनते हैं लेकिन हम उनका सही मतलब नहीं जान पाते। इन्हीं शब्दों में से एक “Alhamdulillah” (अल्हम्दुलिल्लाह) है। आज हम यहां पर अल्हम्दुलिल्लाह का मतलब क्या होता है और इसे कब प्रयोग में लाया जाता है, इसके बारे में बताने जा रहे हैं।  अक्सर मुसलमानो को बात करने के दौरान उनसे यह शब्द जरूर सुना होगा ख़ास कर के तब जब वह Allah का शुक्रिया अदा कर रहे होते हैं।  तो चलिए जानते हैं Alhamdulillah (अल्हम्दुलिल्लाह) का Meaning क्या होता है और इसे अपने बात चीत में कब और कहाँ इस्तेमाल किया जाता है। Alhamdulillah यह एक अरबी भाषा (language) है जिसका हिन्दी मतलब होता है “सारी प्रशंसा अल्लाह के लिए ”.  Alhamdulillah को पवित्र इस्लामी पुस्तक कुरान की पहली आयत (अल-फातिहा) से लिया गया है। हर हाल में (अच्छा या बुरा ) अल्लाह पर पूरी तरह से भरोसा रखने और हमेशा अल्लाह के प्रति आभार रहने का यह एक expression या लफ्ज़ है। हालाँकि, इस शब्द का उपयोग यहूदी और ईसाई भी करते हैं जो अरबी भाषा बोलते हैं।  Alhamdulillah का उच्चारण अल्हम्दुलिल्लाह को अल-हमदु लिल-लाह (अरबी: ٱلْـحَـمْـدَ للهِ‎) कहा जाता है। Phonetically आप इसे इस तरह लिखेंगे – “अल-हम-दो-लिल-लाह”।  Alhamdulillah तीन भागों में विभाजित है अल, जिसका अर्थ है “द” हम्दु, जिसका अर्थ है “स्तुति” ली-लाह, जिसका अर्थ है “अल्लाह”  Alhamdulillah Translation in Hindi जब हम अल्हम्दुलिल्लाह का हिंदी में अनुवाद करते हैं तो इसके के कई अर्थ होते हैं। जो आपको निचे दिख रहा है:  “सभी प्रशंसा अल्लाह के लिए है।” “सभी स्तुति केवल अल्लाह के लिए है।” “सभी प्रशंसा और धन्यवाद अल्लाह के लिए हैं।” “स्तुति अल्लाह के लिए है।” जब हम इन सभी शब्दों को मिलाकर देखते है तो इसका मतबल निकलता है किसी भी वस्तु या चीज के लिए अल्लाह को धन्यवाद देना या फिर उसका श्रेय अल्लाह को देना। इस शब्द का प्रयोग अल्लाह की तारीफ के लिए और उनको याद करने के लिए भी किया जाता है।  हम अक्सर जब किसी मुस्लिम से उनके बारे में पूछते है तो उनके जवाब में सबसे पहला शब्द “अल्हम्दुलिल्लाह” ही होता है। इसका मतलब वो अपने बारे में बताने के साथ ही अल्लाह का धन्यवाद दे रहा है।  उदहारण : आप किसी मुस्लिम से पूछे कि आप कैसे हो ? तो वह आपको जवाब देगा कि “अल्हम्दुलिल्लाह, मै ठीक हु” (अर्थात – ईश्वर की कृपा से, मैं ठीक हूँ)  Alhamdulillah Meaning in English “All Praise is to Allah”  Alhamdulillah Meaning in Malayalam എല്ലാ സ്തുതിയും അല്ലാഹുവിനാണ്  Alhamdulillah Meaning in URDU تمام تعریف اللہ کے لئے ہے  Alhamdulillah Meaning in Tamil அனைத்து புகழ் அல்லாஹ் ஆகும்  Alhamdulillah Meaning in Hindi “सभी प्रशंसा अल्लाह के लिए है।”  Alhamdulillah Meaning in Telugu అన్ని ప్రశంసలు అల్లాహ్ కు  Alhamdulillah Meaning in Marathi सर्व स्तुती अल्लाह आहे  Alhamdulillah Meaning in Bengali সকল প্রশংসা আল্লাহর  Alhamdulillah Meaning in Gujarati બધા સ્તુતિ અલ્લાહ છે  Alhamdulillah Meaning in Arabic الحمد لله  Frequently Asked Questions Alhamdulillah कब बोला जाता है? कई अलग-अलग स्थितियां हैं अल्हम्दुलिल्लाह बोलने का । सबसे आम तोर पर है “dhikr” जिसका का अर्थ है अल्लाह को याद करने और धन्यवाद देने के लिए छोटी प्रार्थना।  जब भी मुसलमान अपने आप को इंतजार करते हुए पाते हैं, अपने फोन के माध्यम से वर्तमान समय को बर्बाद करने के बजाय वह चुपचाप सुभानअल्लाह, अल्हम्दुलिल्लाह और अल्लाहु अकबर बार-बार कहते हैं।  आम तौर पर, जब भी मुसलमान किसी उपलब्धि या उपलब्धि से खुद को फायदा पाते हैं तो अल्हम्दुलिल्लाह कहते रहते हैं ।  Alhamdulillah का क्या महत्व है?  इस्लामी मुहावरा “Alhamdulillah” कई अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है। हर एक मामले में अल्लाह का शुक्रिया अदा करना :  Alhamdulillah को “Allah का शुक्र है” की जगह उपयोग किया जाता है। जैसे की Alhamdulillah! मुझे Chemistry में “A” मिला है!  Alhamdulillah किसी भी उपहार के लिए अल्लाह के प्रति gratitude का बयान हो सकता है, चाहे वह केवल जीवन का उपहार हो या सफलता, स्वास्थ्य, और शक्ति का उपहार हो।  Alhamdulillah का इस्तेमाल नमाज़ में भी किया जाता है। सभी चीजों के मालिक अल्लाह का शुक्रिया अदा करने के लिए।  Alhamdulillah को हमारे सामने रखे गए परीक्षा और कठिनाइयों के लिए स्वीकार की अवधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। दूसरे शब्दों में, किसी भी सभी स्थितियों में “अल्हम्दुलिल्लाह” कह सकता है क्योंकि सभी स्थितियों को अल्लाह के द्वारा बनाया गया है।  मुसलमान Alhamdulillah क्यों कहते हैं? अल्लाह का आभारी रहना मुसलमानों के लिए जिंदगी जीने का एक तरीका है। मुस्लिम विश्वास से हमेशा आशावादी होते हैं। और हमेशा अल्लाह की प्रशंसा और उसके सभी आशीर्वादों के लिए शुक्र अदा करने के तरीकों की तलाश करते हैं। भले ही उनकी जीवन में स्थिति अच्छी या “बुरी” प्रतीत होती हो।  ऐसा इसलिए है क्योंकि एक मुसलमान के लिए उसका यकीन है की सबसे ज्यादा ज्ञान केवल अल्लाह के पास है।और इसलिए अगर कुछ “बुरा” प्रतीत होता तो एक मुसलमान उसे अच्छा समझता है क्योंकि उसे विश्वास होता है अल्लाह सबसे अच्छा जानता है। और अल्लाह अपने ईमान वालों के साथ कभी बुरा नहीं करेगा।  मुसलमान आशीर्वाद और कठिनाइयों के बाद “Alhamdulillah” कहते हैं। जब चीजें ठीक हो जाती हैं, तो बदले में अल्लाह केवल एक ही चीज मांगता है, वह है आपका आभार। साथ ही अपने आपको परेशानी से बचाने के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हैं।  इसलिए मुसलमान Alhamdulillah बोल कर अपने हर प्रस्थिति में अल्लाह की प्रशंसा और उसका शुक्र अदा करते रहते हैं  Alhamdulillah कहने के क्या फायदे हैं? Alhamdulillah अल्लाह की ओर से एक आध्यात्मिक उपहार है जिसका उपयोग हर मुसलमान अपने जीवन और अपने आसपास के अन्य लोगों के जीवन में अच्छाई लाने के लिए करते हैं। वास्तव में जीवन में जो blessings हैं उन्हें बढ़ाने का एक तरीका यह है लगातार Allah की स्तुति और उसका धन्यवाद करें। और यह कुछ ऐसा है जिसे कुरान में याद दिलाया जाता है।  दूसरे शब्दों में, यदि एक मुसलमान उस उपकार से प्यार करता है जो Allah ने उसे दी है। और उन्हें रखना या बढ़ाना चाहता है। फिर वह Alhamdulillah कहकर अल्लाह के प्रति gratitude प्रकट करता है।  जब एक मुसलमान कठिन समय और कठिनाई से गुजर रहा हो । तो वह सब्र करता है और अल्हम्दुलिल्लाह कहकर उसके पास जो कुछ है उसके लिए gratitude प्रकट करता है। और अपनी स्थिति की परवाह किए बिना आभारी होने के लिए कुछ न कुछ वजह को सामने रखता है।  Alhamdulillah दिन में कितनी बार बोला जाता है? मुसलमान अल्लाह की स्तुति और धन्यवाद करने के लिए दिन में कई बार Alhamdulillah कहते हैं। एक मुसलमान को अल्लाह की हमेशा प्रशंसा और gratitude में रहना चाहिए। और इसलिए इस बात पर कोई प्रतिबंध नहीं है कि किसी व्यक्ति को कितनी बार अल्हम्दुलिल्लाह कहना चाहिए। कोई चाहे तो जितनी बार चाहे पढ़ सकता है अगर वे यह समझता है कि उसके पास जो कुछ भी है वह अल्लाह की ओर से है।    Conclusion Alhamdulillah Meaning in Hindi इस आर्टिकल में Alhamdulillah Meaning क्या है इसे कब , कहा और क्यों बोला जाता है और मुस्लिम अपने बात में हमेशा Alhamdulillah क्यों बोलते हैं इसकी जानकारी दी गयी है। उम्मीद है की आप अच्छे से समझ गए होंगे की हिंदी में अल्हम्दुलिल्लाह का मतलब क्या है।  उम्मीद करते है आपको यह पोस्ट Alhamdulillah Meaning in Hindi अच्छा लगा होगा। *********     Mashallah Meaning in Hindi 2021 | माशाअल्लाह का मतलब अस्सलाम अलैकुम दोस्तों, आज की इस पोस्ट आपको सिखने को मिलेगा की माशाल्लाह का मीनिंग (Mashallah Meaning in Hindi) क्या है। और माशाल्लाह कब और किस लिए बोलते है। जब कोई आपको तारीफ़ करे तो क्या कहे।  Mashallah एक अरबी भाषा है जिसका मतलब “बहुत अच्छा है”, या “क्या कहना है”. माशाअल्लाह का प्रयोग दो प्रकार से होता है| एक तो किसी अच्छी चीज को देखकर उसकी प्रशंसा के लिये। और दूसरे किसी अच्छी चीज का जिक्र करते हुए यह भाव प्रकट करने के लिए।  जब आप किसी को कोई अच्छा काम करते हुए देखते हैं या उसके मालो दौलत या इल्म को देखते हैं और उसकी तारीफ़ करना चाहते हैं या किसी को उसके नेक काम पर उसकी हौसला अफज़ाई करने के लिए माशा अल्लाह कहते हैं। ऐसे में सिर्फ इतना कहना चाहिए  Hindi: माशा अल्लाह Mashallah Translation: जैसा अल्लाह ने चाहा इसका फायदा ये है कि तारीफ़ करने वाले की नज़र का असर नहीं होता है  जब कोई आपकी तारीफ करे तो क्या करें ? अपनी तारीफ़ किस को अच्छी नहीं लगती लेकिन जब भी कोई आप के मुंह पर आपकी तारीफ़ करे तो हमें वो करना चाहिए जो इमाम औज़ाई र.अ. ने बताया इमाम औज़ाई र.अ. से मन्कूल है कि जब कोई उनकी तारीफ़ करता तो वो दिल ही दिल में वो अल्लाह से ये दुआ किया करते थे कि  ए अल्लाह आपका फजल है कि आपने इन लोगों पर सिर्फ मेरी अच्छाईयां ही ज़ाहिर फरमाई हैं और ये लोग मेरी तारीफ़ इसलिए कर रहे हैं क्यूंकि ये मेरी बुराइयों से बेखबर हैं लेकिन आप तो अच्छाइयों और बुराइयों को जानते हैं तो ए अल्लाह जो बातें ये नहीं जानते हैं मैं आपसे उनकी मगफिरत मांगता हूँ और तारीफ में जो जो बातें इन्होने कही हैं ए अल्लाह मैं चाहता हूँ उन बातों को मेरे हक़ में सच्चा कर दे  सुभान अल्लाह ,माशा अल्लाह ,इंशा अल्लाह का क्या अर्थ है? माशा अल्लाह (जैसा अल्लाह ने चाहा): जब किसी अच्छी चीज़ को देखते हैं तब माशा अल्लाह कहते हैं। इसका अर्थ यह हुआ के इस अच्छी बात का वास्तविक श्रेय तो अल्लाह को जाता है।  इंशा अल्लाह (अगर अल्लाह ने चाहा): जब कोई काम करने का इरादा करते हैं तब यह बोलते हैं। हम ने इरादा तो किया है। पर कोई काम साकार तभी होता है जब अल्लाह की आज्ञा उसके साथ हो।  सुभान अल्लाह: अल्लाह धन्य है। सिर्फ अल्लाह की महानता का उल्लेख है । तारीफ के लिए भी प्रयोग में लाया जाता है  क्या क़ुरान में लिखा है कि भगवान राम अल्लाह के नबी थे? बिलकुल भी नही क़ुरान शरीफ में ऐसा कुछ भी कही भी नही लिखा है। क़ुरान मजीद में लिखा है कि दुनिया मे लगभग अल्लाह तआला 124000 पैगम्बर भेजे हैं लेकिन इनमें से सिर्फ 20 या 21 पैगम्बर का जिक्र हुआ है और नाम के साथ किया गया है , जिनमे राम का नाम कही भी नही है। बाकी का नाम नही दिया गया।      5 वक़्तों में Namaz ki Rakat कितनी होती है | किस नमाज़ में कितनी रकात होती है July 19, 2021admin  Post Views: 22 अस्सलाम अलैकुम दोस्तों, NamazQuran.com में आप सब का Welcome है और इस पोस्ट में हम जानेंगे की फज़र,जोहर ,असर,मगरिब ईशा की Namaz ki Rakat के बारे में जानेंगे। अगर आप नमाज़ पढ़ते हैं और आपको नमाज़ की रकात के बारे में नहीं पता तो यह मुनासिब नहीं है आपको नमाज़ की rakat को सीखना चाहिए  हर एक मुसलमान पर नमाज फ़र्ज़ है और नमाज मोमिन का मेराज है। नमाज बुराई से रोकती है। जो इसे छोड़ेगा वह गुनहगार होगा नमाज किसी भी सूरत में माफ नहीं है। हर मुसलमान को पांच वक्त की नमाज रोजाना पढ़ना फर्ज है।नमाज हमारे प्यारे नबी मुहम्मद सल्ललाहु अलैहि वसल्लम के आँखों की ठंढक है। क़यामत के दिन सबसे पहले नमाज का ही हिसाब होगा।  नमाज जब इतनी अहम है तो इसकी अदायगी भी बहुत एहतियात के साथ करनी चाहिए। ताकि अल्लाह के बारगाह में हमारी नमाज कुबूल होने लायक हो, उसका अज्र और सवाब आपको हासिल हो सके। अगर आप जानना चाहते हैं कि किस नमाज में कितनी रकात पढ़ी जाती है तो इस पोस्ट को पूरा पढ़ें। अगर आपने भी कभी सर्च किया है की नामा की रकत कितनी होती है और नमाज़ कैसे पढ़े तो यकीन मानिये आप सही ब्लॉग पढ़ रहे हैं।  Table of Contents	 5 वक़्तों के नमाज़ का नाम 5 Waqt Namaz ki Rakat Fajar ki Namaz ki Rakat कितनी होती है Johar ki Namaz ki Rakat कितनी होती है Asar ki Namaz ki Rakat कितनी होती है Maghrib ki Namaz ki Rakat कितनी होती है Isha ki Namaz ki Rakat कितनी होती है Namaz ki Rakat ka Importance FAQ (Frequently Asked Questions) ईशा की नमाज़ कब पढ़ी जाती है? ईशा की नमाज़ में कितनी रकअत होती हैं? ईशा की नमाज़ में कितने फ़र्ज़ हैं? क्या ईशा की नमाज़ 12 P.M. के बाद पढ़ी जा सकती है? जोहर की नमाज में कितनी रकात होती है 5 Waqt ki Namaz me Kitni Rakat hoti hai ? Magrib ki Namaz Kitni Rakat hoti Hai ? Asar ki Namaz mein Kitni Rakat Hoti Hai ? Fajar ki Namaz me Kitni Rakat Hoti Hai ? फजर की नमाज़ में फ़र्ज़ कितने रकात है ? 5 वक़्तों के नमाज़ का नाम फजर (Fajr) ज़ोहर (Duhur) अस्र (Asr) मग़रिब (Maghrib) ईशा (Isha) 5 Waqt Namaz ki Rakat Namaz ki Rakat Namaz ki Rakat Fajar ki Namaz ki Rakat कितनी होती है 2 रकात सुन्नत 2 रकात फ़र्ज़ (कुल = 4 रकात) Johar ki Namaz ki Rakat कितनी होती है 4 रकात सुन्नत 4 रकात फ़र्ज़ 2 रकात सुन्नत 2 रकात नफिल (कुल = 12 रकात) Asar ki Namaz ki Rakat कितनी होती है 4 रकात सुन्नत 4 रकात फ़र्ज़ (कुल = 8 रकात) Maghrib ki Namaz ki Rakat कितनी होती है 3 रकात फ़र्ज़ 2 रकात सुन्नत 2 रकात नफिल (कुल = 7 रकात) Isha ki Namaz ki Rakat कितनी होती है 4 रकात सुन्नत 4 रकात फ़र्ज़ 2 रकात सुन्नत 2 रकात नफिल 3 रकात वित्र 2 रकात नफिल (कुल = 17 रकात) Namaz ki Rakat ka Importance हर नमाज़ में फ़र्ज़, सुन्नत, वाजिब, नफ्ल और कुछ मुअक्किदा व कुछ गैर मुअक्किदा होती हैं तो सबसे पहले हम इनका मतलब समझ लेते है की कौन सबसे ज्यादा जरुरी (Importance) है.  फ़र्ज़: इस का पढ़ना ज़रूरी है और छोड़ना हराम है और इसके छोड़ने पर अज़ाब होगा | फ़र्ज़ नमाज़ें वो हैं जिन्हें हर हाल में अदा करना ज़रूरी है वो किसी भी वक़्त में माफ़ नहीं होतीं लेकिन अगर किसी शदीद मजबूरी में छूट जाये तो मजबूरी ख़त्म होने के फ़ौरन बाद पढ़ना ज़रूरी है | मर्दों को मस्जिद में जाकर इमाम के पीछे जमात के साथ अदा करनी होती है लेकिन अगर किसी मजबूरी की वजह से जमात में शामिल न हो सके तो अकेले पढ़ सकता है | वाजिब: जिसको जान बूझ कर अगर छोड़ा तो गुनाहगार होगा नफ्ल: ( Nafl ) इसके पढने से सवाब होगा लेकिन न पढने से कुछ अज़ाब न होगा फिर भी जहाँ तक हो सके ज़रूर पढ़े | सुन्नते मुअक्किदा: जो फ़र्ज़ नमाज़ों की तरह ज़रूरी तो नहीं होती लेकिन बगैर किसी मजबूरी की वजह के सिर्फ़ सुस्ती की वजह से छोड़ना जाएज़ नहीं इसलिए इन्हें भी अदा करना ज़रूरी होता है लेकिन वक़्त निकल जाने के बाद इनकी क़ज़ा नहीं पढनी होती है | सुन्नते गैर मुअक्किदा: जिसकी ज्यादा ताकीद न हो इसका हुक्म ये है कि करने वाला सवाब हासिल करेगा लेकिन न करने वाला गुनाहगार नहीं होगा | FAQ (Frequently Asked Questions) ईशा की नमाज़ कब पढ़ी जाती है? ईशा की नमाज़ रात को पढ़ी जाती है यह मगरिब की नमाज़ के बाद वाली नमाज़ होती है।  ईशा की नमाज़ में कितनी रकअत होती हैं? ईशा की नमाज़ में कुल 17 रकात होती हैं जिनमे 6 सुन्नत ,4 फ़र्ज़ ,3 वित्र और 4 नफ़्ल होती हैं।  ईशा की नमाज़ में कितने फ़र्ज़ हैं? ईशा की नमाज़ में 4 फ़र्ज़ रकात होती हैं।  क्या ईशा की नमाज़ 12 P.M. के बाद पढ़ी जा सकती है? नहीं ईशा की नमाज़ का वक़्त 12 बजे के बाद नहीं होता है हालाँकि बेहतर है की 11:30 से पहले ही नमाज़ पढ़ लें।  जोहर की नमाज में कितनी रकात होती है Johar की Namaz फज़्र की नमाज के बाद वाली नमाज़ होती है। यह लगभग दोपहर मे अदा की जाती है। Zohar ki Namaz में कुल मिलकर 12 RAKAT होती हैं।  5 Waqt ki Namaz me Kitni Rakat hoti hai ? फजर (Fajr) ज़ोहर (Zuhr) अस्र (Asr) मग़रिब (Maghrib) ईशा (Isha) को मिलाकर ५ वक़्तों की नमाज़ 48 रकात होती है।  Magrib ki Namaz Kitni Rakat hoti Hai ? MAGRIB की नमाज़ में 7 रकात नमाज़ पढ़ी जाती है। सबसे पहले तीन RAKAT फ़र्ज़ अदा किये जाते हैं उसके बाद 2 RAKAT सुन्नत पढ़ी जाती हैं और इन सबके बाद में 2 RAKAT नफ़्ल पढ़ी जाती हैं।  Asar ki Namaz mein Kitni Rakat Hoti Hai ? असर की नमाज़ में कुल 8 रकात होती है। जिनमे 4 रकात सुन्नत और 4 रकात फ़र्ज़ होती हैं, इसमें पढ़ी जाने वाली 4 RAKAT सुन्नत गैर मोकीदा होती हैं मतलब है की अगर आपके पास वक़्त है तो पढ़ ले और अगर नहीं भी पड़ते हैं तो आपकी नमाज़ हो जाती है।  Fajar ki Namaz me Kitni Rakat Hoti Hai ? फज्र की नमाज सुबह होने से पहले पढ़ी जाती है। इस नमाज मैं कुल मिलाकर 4 RAKAT होती है। जिनमे 2 RAKAT सुन्नत और 2 रकत फ़र्ज़ होती हैं।  फजर की नमाज़ में फ़र्ज़ कितने रकात है ? फजर की नमाज़ में 2 रकात नमाज़ फ़र्ज़ होती है।            Subhanallah Meaning In Hindi | सुभानल्लाह का अर्थ क्या है July 21, 2021admin  Post Views: 11 Subhanallah Meaning in Hindi: अस्सलाम अलैकुम दोस्तों, हम अपने जीवन में ऐसे बहुत से शब्द सुनते हैं जिनको बार-बार सुनते हैं लेकिन हम उनका सही मतलब नहीं जान पाते। इन्हीं शब्दों में से एक “Subhanallah” (सुभानल्लाह) है। आज हम यहां पर सुभानल्लाह का मतलब क्या होता है और इसे कब प्रयोग में लाया जाता है, इसके बारे में बताने जा रहे हैं।  हज़रत इब्ने अब्बास रजि . फरमाते हैं कि सुब्हानल्लाह (Subhanallah) के मायने अल्लाह तआला की पाकीज़गी के हैं वह हर बुराई से पाक और बरी है ।  हज़रत उमर रजि . ने हज़रत अली और अपने पास के दूसरे सहाबा से एक मर्तबा सवाल किया कि “ला – इला – ह इल्लल्लाहु ” तो हम जानते हैं लेकिन सुब्हानल्लाह (Subhanallah) क्या कलिमा है ? तो हज़रत अली रजि . ने जवाब दिया कि इस कलिमे को बारी तआला ने अपने लिये पसन्द फ़रमाया है , वह इससे खुश होता है और इसका कहना उसे महबूब है ।  हज़रत मैमून बिन मेहरान फरमाते हैं कि इसमें अल्लाह तआला की ताज़ीम है और तमाम बुराईयों से पाकीज़गी का बयान है । हज़रत आदम अलैहिस्सलाम ने नाम बता दिये कि तुम्हारा नाम जिब्राईल है और तुम्हारा नाम मीकाईल है , तुम इस्राफील हो यहाँ तक कि चील कौए वगैरह सबके नाम जब उनसे पूछे गये तो उन्होंने बता दिये ।  जब हज़रत आदम अलैहिस्सलाम की यह फजीलत फरिश्तों को मालूम हुई तो अल्लाह तबारक व तआला ने फरमाया- देखो मैंने तुमसे पहले ही न कहा था कि मैं हर खुले – छुपे का जानने वाला हूँ । जैसे और जगह है :तुम बुलन्द आवाज़ से कहो या न कहो अल्लाह तआला पोशीदा से पोशीदा चीज़ को जानता है ।  क्यों ये लोग उस खुदा को सज्दा नहीं करते जो आसमानों और ज़मीन की छुपी चीज़ों को निकालता है । और जो तुम्हारी हर पोशीदा ( छुपी ) और ज़ाहिर ( बात और मामले ) को जानता है । अल्लाह अकेला ही माबूद है और वही अर्से अज़ीम का रब है । जो तुम ज़ाहिर करते हो और जो छुपाते हो , उसे मैं जानता हूँ । मतलब यह है कि इब्लीस के दिल में जो तकब्बुर और गुरूर था उसे मैं जानता था ।  हज़रत अब्दुर्रहमान बिन जैद बिन असलम रह . फरमाते हैं कि अल्लाह तआला ने फरिश्तों से फरमाया जिस तरह तुम इन चीज़ों के नामों से बेख़बर हो इसी तरह तुम यह भी नहीं जान सकते कि इनमें भले – बुरे हर तरह के होंगे , फरमाँबरदार भी होंगे और नाफरमान भी , और मैं पहले ही लिख चुका हूँ कि मुझे जन्नत और दोज़न दोनों भरनी हैं , लेकिन तुम्हें मैंने इसकी खबर नहीं की ।  Table of Contents	 Meaning of Subhanallah in Hindi (सुभानल्लाह का अर्थ) Subhanallah Meaning in English Subhanallah Meaning in Malayalam Subhanallah Meaning in URDU Subhanallah Meaning in Tamil Subhanallah Meaning in Hindi Subhanallah Meaning in Marathi Subhanallah Meaning in Bengali Subhanallah Meaning in Gujarati Alhamdulillah Meaning in Arabic 10 दुआएं जिनको लोग गलत जगह इस्तेमाल करते हैं #1 जब भी कोई काम शुरू करें तो कहें #2 जब किसी के अन्दर मौजूद किसी ख़ूबी की तारीफ़ करें तो कहे #3 जब किसी काम के करने का वादा या इरादा करें तो कहें #4 जब किसी चीज़ को पसन्दीदा की निगाहों से देखें तो कहें #5 जब कोई दुःख या तकलीफ़ पेश आये तो कहें #6 जब किसी का शुक्रिया अदा करें तो कहें #7 जब नींद से बेदार हों तो कहें #8 जब छींक आये तो कहें #9 जब किसी को छींकता हुआ देखें तो कहें #10 जाने अनजाने में कोई गुनाह हो गया तो कहें Frequently Asked Questions (FAQ) सुभानल्लाह और माशा – अल्लाह में क्या फर्क है ? Meaning of Subhanallah in Hindi (सुभानल्लाह का अर्थ) سبحان اللہ  Subhan Allah	سبحان اللہ Masha Allah	ماشااللہ Bohat Khoob	بہت خوب Wah Wah	واہ واہ Akhaa	اخاہ Subhanallah Meaning in Hindi Subhanallah Meaning in English “Subhan Allah”  Subhanallah Meaning in Malayalam സുഫാൻ അല്ലാഹു  Subhanallah Meaning in URDU سبحان اللہ  Subhanallah Meaning in Tamil சுபான் அல்லாஹ்  Subhanallah Meaning in Hindi “सुबान अल्लाह”  Subhanallah Meaning in Marathi सुभान अल्लाह  Subhanallah Meaning in Bengali সুহান আল্লাহ  Subhanallah Meaning in Gujarati સુભાષ અલ્લાહ  Alhamdulillah Meaning in Arabic سوبان الله  10 दुआएं जिनको लोग गलत जगह इस्तेमाल करते हैं दिन भर में कई बार हमारे सामने ऐसी चीज़ें आती हैं जिनपर आप अलग अलग तरह से रिएक्ट करते हैं कभी किसी को देख कर जुबां से तारीफ के अलफ़ाज़ निकलते हैं कभी किसी का शुक्रिया अदा करने के लिए कुछ अलफ़ाज़ निकलते हैं और कभी कोई गुनाह हो जाने पर अल्लाह से माफ़ी के तलबगार होते हैं |  वैसे ही कुछ दुआए अलफ़ाज़ आज हम आपके सामने पेश करेंगे जिनको आप अपनी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी में शामिल करें और इसलिए इनको ठीक से समझना पड़ेगा क्यूंकि कुछ हमारे साथी इनको ग़लत जगह इस्तेमाल करते हैं तो कब किस जगह इस्तेमाल करना है इसको आप समझ लें |  #1 जब भी कोई काम शुरू करें तो कहें बिस्मिल्लाह  तर्जुमा : अल्लाह के नाम से  अल्लाह के नबी सल्लल लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि “कोई भी काम जो बगैर बिस्मिल्लाह के शुरू किया जाता है वो अधूरा रह जाता है” इसलिए हम अगर अपने कामों में बरकत और खैर को दाखिल करना चाहते हैं तो हमें बिस्मिल्लाह ज़रूर पढ़ना चाहिए |  #2 जब किसी के अन्दर मौजूद किसी ख़ूबी की तारीफ़ करें तो कहे सुभानल्लाह  तर्जुमा : अल्लाह की जात हर ऐब से पाक है  #3 जब किसी काम के करने का वादा या इरादा करें तो कहें इंशाअल्लाह  तर्जुमा : अगर अल्लाह तआला चाहेंगे  जैसे – जब फ्यूचर में आने वाले वक़्त में कोई काम करने का इरादा या वादा करें तो इंशाअल्लाह, जैसे इंशाअल्लाह मैं ये काम कल कर लूँगा, इंशाअल्लाह मैं आप के पास अगले हफ्ते ज़रूर आऊँगा  #4 जब किसी चीज़ को पसन्दीदा की निगाहों से देखें तो कहें माशाअल्लाह  माशा अल्लाह आपका काम बहुत अच्छा है, माशा अल्लाह आपका बेटा बहुत नेक है  #5 जब कोई दुःख या तकलीफ़ पेश आये तो कहें या अल्लाह  तर्जुमा : ए अल्लाह  तकलीफ़ या मुसीबत में अल्लाह का नाम जुबान से निकलना इस से बढ़ कर और क्या बात हो सकती है क्यूंकि सिर्फ अल्लाह ही इसे टाल सकता है कोई दूसरी ताक़त नहीं |  #6 जब किसी का शुक्रिया अदा करें तो कहें जज़ाकललाह  तर्जुमा : अल्लाह तआला आपको इसका बेहतर बदला अता फरमाये  हमारे नबी की हदीस है कि जो लोगों का शुक्र अदा नहीं करता वो अल्लाह का शुक्र अदा नहीं करता इसलिए जब कोई आपका काम कर दे तो चाहे वो काम कितना ही छोटा क्यूँ न हो, हमें उसका शुक्र ज़रूर अदा करना चाहिए, तो जब आपको शुक्रिया अदा करना ही है तो जान लीजिये कि इस का सुन्नत तरीक़ा जज़ाकल लाह है न कि थैंक्यू या शुक्रिया  #7 जब नींद से बेदार हों तो कहें ला इलाहा इल्लल लाह  तर्जुमा : अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लाइक नहीं  #8 जब छींक आये तो कहें अल हम्दुलिल लाह  तर्जुमा : तमाम तारीफ़ें अल्लाह ही के लिए हैं  #9 जब किसी को छींकता हुआ देखें तो कहें यर हमुकल लाह  तर्जुमा : अल्लाह तुम पर रहम करे  #10 जाने अनजाने में कोई गुनाह हो गया तो कहें अस्तग फ़िरुल लाह  तर्जुमा : मैं अल्लाह अल्लाह से माफ़ी का तलबगार हूँ  Frequently Asked Questions (FAQ) सुभानल्लाह और माशा – अल्लाह में क्या फर्क है ? सुब्‍हान‍अल्लाह का अर्थ है अल्लाह धन्य है या तारीफ़ उस अल्लाह की! माशा अल्लाह का अर्थ है – वाह-वाह; अल्लाह का करिश्मा है; अल्लाह बुरी नज़र से बचाए।                  नमाज़ में पढ़ी जाने वाली दरूदे इब्राहिम | Darood e Ibrahim with Hindi Translation August 14, 2021admin  Post Views: 6 अस्सलाम अलैकुम दोस्तों आज की इस पोस्ट में आपको दरूदे इब्राहिम के बारे में जानने को मिलेगा। अगर आप दरूद इब्राहिम की दुआ को पढ़ने के लिए या याद करने के लिए आए हो तो निचे इमेज पर लिखा हुआ है। अगर आप चाहो तो याद कर सकते हो।  दरूदे इब्राहिम एक अफ़ज़ल दरूद शरीफ है जो सभी मुसलमानो को याद होना चाहिए।  आपको दरूदे इब्राहिम की दुआ हिंदी, अरबी , रोमन इंग्लिश में पढ़ने को मिलने वाला है।  दरूदे इब्राहिम की फ़ज़ीलत क्या है और इसे नमाज़ के अलावा कहा पढ़ सकते है।  आप इस पोस्ट लास्ट तक जरूर पढ़ें।  Table of Contents	 दरूदे इब्राहिम क्या है ? दरूदे इब्राहिम की दुआ हिंदी में (Darood e Ibrahim in Hindi)  दरूदे इब्राहिम की दुआ इंग्लिश में (Darood e Ibrahim in Roman English) दरूदे इब्राहिम की तर्जुमा (Darood e Ibrahim with hindi translation) दरूदे इब्राहिम के फायदे के बारे में जाने  दरूदे इब्राहिम की हदीस के बारे में जाने दुरूद शरीफ़ पढ़ने के लिए कुछ खास वक्त दरूदे इब्राहिम क्या है ? दरूदे इब्राहिम एक सबसे अफ़ज़ल दरूद शरीफ है। जब हम लोग नमाज़ पढ़ते है तो नमाज़ पढ़ते वक़्त अतहयात के बाद जो दरूद शरीफ पढ़ते है उसे दरूदे इब्राहिम कहते है।  Azan ki Dua in Hindi Sone ki Dua in Hindi दरूदे इब्राहिम की दुआ हिंदी में (Darood e Ibrahim in Hindi) दरूदे इब्राहिम की दुआ दरूदे इब्राहिम की दुआ इंग्लिश में (Darood e Ibrahim in Roman English) दरूदे इब्राहिम की दुआ इंग्लिश में दरूदे इब्राहिम की तर्जुमा (Darood e Ibrahim with hindi translation) ए अल्लाह बरकत उतार हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम पर और हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम के घर वालों पर जैसे बरकतें की तूने हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम पर और हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के घर वालों पर बेशक तुहि तारीफ़ के लायक बड़ी बुजुर्गी वाला है  दरूदे इब्राहिम के फायदे के बारे में जाने दरूद ए इब्राहिम के मोहब्बत के बिना पर हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम ने अपने एक बेटे का नाम इब्राहिम रखें इसके अलावा शब् ए मेराज में हजरत इब्राहिम अलैहि सलातो अस्सलाम ने हुजूरे अकरम सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम से कहा था की अपनी उम्मत को मेरा सलाम दीजिएगा तो इस सलाम के जवाब में आप सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम ने दरूद ए इब्राहिम उन पर सलाम पेश किए।  क्योंकी दरूदे इब्राहिम के अलफ़ाज़ हुजूर सल्लल्लाहु तआला अलैहि वस्सल्लम के फरमूदा है इसीलिए इस दरूद शरीफ को नमाज़ के अलावा के अलावा भी कसरत से पढ़नी चाहिए।  दरूदे इब्राहिम दीनी और दुनयावी में बरकत हासिल करने के लिए एक बहुत ही बेहतरीन जरिया (माध्यम) है।  दुरूद पढ़ने से बुरा वक्त समाप्त हो जाता है| दुरूद पढ़ने से भूले हुए कार्य और बाते याद आ जाती है| दुरूद पढ़ने वाले का क़र्ज़ जल्दी अदा हो जाता है| दुरूद पढ़ने वाला मुहम्मद सल्ल्लाहु अलैहि वसल्लम का प्रिय बन जाता हैं| दुरूद पढ़ने वाले का दिल दया और प्रकाश से भर जाता है। दरूद शरीफ भेजना दोज़ख की आज से बचाता है। दुरूद शरीफ को ज़ोर से पढ़ने वाले व्यक्ति में से पाखंड ख़त्म हो जाता है| दुरूद शरीफ भेजना कब्र में और क़यामत के दिन रौशनी के रूप में कार्य करता है| दरूदे इब्राहिम की हदीस के बारे में जाने अल्लाह ताला के रसूल सल्लाह अलैहे वसल्लम कहते है क़यामत के दिन मुझ से सबसे ज्यादा करीब वह होगा जिस ने सबसे ज्यादा दरूद शरीफ मुझ पर भेजे हो।  मुहम्मद सल्लाह अलैहे वसल्लम कहते है की ” जो मुझ पर दरूद शरीफ पढ़ना भूल गया वह ज़न्नत का रास्ता भूल गया”  दुरूद शरीफ़ पढ़ने के लिए कुछ खास वक्त पाँँचों नमाज़ों के बाद अजान के बाद मस्जिद में प्रवेश करते वक्त और बाहर जाते वक्त वजू करते समय और वजू समाप्त होने के बाद मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का नाम लिखने और कहने पर सलवात पढना सबसे उत्तम माना जाता हैं| दुआ माँगते समय मुसीबत के समय घर में प्रवेश करते समय सुबह और शाम के वक्त                   वित्र की नमाज़ पढ़ने का तरीका क्या है | Witr ki Namaz ka Tarika in Hindi August 15, 2021admin  Post Views: 3 Witr ki Namaz ka Tarika: हेल्लो दोस्तों आज मै आपको वित्र की नमाज़ पढ़ने का तरीका के बारे में बताऊंगा की वित्र की नमाज़  क्या है और इसका तरीका क्या है और दुआए कुनुत की दुआ और दुआए कुनुत की तर्जुमा और वित्र की नमाज़ जमाअत के साथ कब पढ़ सकते ही तो चलिए शुरू करते है  वित्र एक इस्लामी इबादत है और इस इबादत को रात के वक्त किया जाता है। वित्र की नमाज़ दिन भर की 5 नमाजो की तरह फर्ज नहीं होती, बल्कि यह नमाज़ वाजिब होती है।  वित्र की नमाज़ को पढ़ने के कई तरीके हैं, अगर कोई चाहे तो 3 रकात नमाज वित्र भी पढ़ सकता है और चाहे तो 11 रकात नमाज वित्र भी पड़ सकता है या फिर अपनी इच्छा के हिसाब से बताए हुए अलग-अलग तरीकों से वित्र की नमाज पढ़ी जा सकती है।  आप चाहें तो वित्र की नमाज़ ईशा के फौरन बाद पढ़ सकते हैं और चाहें तो सोने से पहले वित्र की नमाज़ भी पढ़ी जा सकती है या फिर रात के आखिरी वक्त यानी सुबह सादिक़ से पहले भी वित्र की नमाज़ पढ़ी जा सकती है।  आप जिस तरह भी वित्र की नमाज़ पढ़ें, लेकिन यह बहुत जरूरी है कि आप की नियत दुरुस्त हो  Table of Contents	 वित्र नमाज़ की नियत कैसे करे (Witr Namaz ki Niyat) वित्र की नमाज़ पढ़ने का तरीका (Witr ki Namaz ka Tarika) वित्र की नमाज़ की पहली रकात  वित्र की नमाज़ की दूसरी रकात  वित्र की नमाज़ की तीसरी रकात दुआ ए क़ुनूत की दुआ (Dua Qunoot) दुआ ए कुनूत की दुआ हिंदी में अगर किसी को दुआ ए क़ुनूत याद न हो ये दुआ पढ़े जिस आदमी को ये भी दुआ याद न हो तो ये दुआ तिन बार पढ़े वित्र की नमाज़ कब जमाअत के साथ पढ़ सकते है वित्र की नमाज़ के कुछ मसाइल Witr ki Namaz ka Tarika in Video Frequently Asked Questions (FAQs) वित्र की नमाज़ कितनी रकात होती है। क्या वित्र की नमाज़ ईशा की नमाज़ से पहले पढ़ सकते है ? वित्र की नमाज़ का वक्त कब से कब तक रहता है वित्र नमाज़ की नियत कैसे करे (Witr Namaz ki Niyat) वित्र की नमाज़ की नियत आप अरबी उर्दू और हिंदी में कर सकते हो आपको जिस भाषा में वित्र की नयात याद आप पढ़ सकते है। अगर हिंदी में पढ़ना चाहते है तो निचे दिया गया है।  नियत की मैंने तीन रकअत नमाज़ वित्र वाजिब की ! वास्ते अल्लाह तआला के ! वक्त इशा का ! मुह मेरा काबे शरीफ़ की तरफ़ ! अल्लाहु-अकबर ।  वित्र की नमाज़ पढ़ने का तरीका (Witr ki Namaz ka Tarika) वित्र की नमाज़ में कुल तीन रकातें होती हैं दो रकातें पढ़ कर बैठ जाये और फिर अत्ताहिय्यात पढ़ कर खड़ा हो जाये उसके बाद फिर सूरह फातिहा और कोई सूरत पढ़ने के बाद अल्लाहु अकबर कह कर अपने हांथो को कन्धों तक उठायें और फिर हाथ बाँध ले और फिर दुआए क़ुनूत पढ़े |  वित्र की नमाज़ ईशा की फ़र्ज़ नमाज़ के बाद कभी भी पढ़ सकते है। वित्र की नमाज़ पढ़ने का तरीका Step by Step बताया गया है।  वित्र की नमाज़ पढ़ने से सबसे पहले नियत करें जो ऊपर दिया गया है।  वित्र की नमाज़ की पहली रकात सबसे पहले आप सना पढ़ें यानि सुब्हानका अल्लहुमा वबी हमदिका दूसरा ताउज पढ़ें यानि के आउज़ बिल्लाहे मिन्नस सैतानिर्रजिम पढ़ें | सूरह फातिहा पढ़ें यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें | क़ुरान शरीफ की कोई एक सूरह पढ़ें | उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें  फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें |  फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें |  फिर आप खड़े हो जाए दूसरा रकात पढ़ने के लिए  वित्र की नमाज़ की दूसरी रकात फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए दूसरे रकात के लिए खड़े हो जाएँ दूसरे रकात में सिर्फ आप बिस्मिल्लाह हिर्रहमा निर्रहीम पढ़ कर सूरह फातिहा यानि अल्हम्दु लिल्लाह पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें|  इसके बाद आप रुकू के लिए जाएँ और जैसा की हमने पहले भी बताया है रुके में कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें |  फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक बार रब्बना लकल हम्द भी कहें |  फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें फिर आप अल्लाहु अकबर कह कर अपने पंजो पर बैठ जाएँ जैसे नमाज़ में बैठते है |  जब आप मुकम्मल तरीके से बैठ जाएँ तो अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुवे अपने शहादत ऊँगली को उठायें फिर अल्लाहु अकबर कहते हुवे तीसरी रकात के लिए खड़े हो जाएँ |  वित्र की नमाज़ की तीसरी रकात तीसरी रकात में भी सबसे पहले आप बिस्मिल्लाहहिर्रहमा निर्रहीम पढ़ें इसके बाद सूरह फातिहा पढ़ें इसके बाद क़ुरान शरीफ का कोई एक सूरह पढ़ें |  यहाँ आप रुकू में ना जाएँ बल्कि अल्लाहु अकबर कहते हुए अपने दोनों हांथों को कानो के लॉ तक ले जाएँ और फिर अपने नाफ के निचे हाथ बाँध लें |  हाँथ बाँधने के बाद एक मर्तबा आप दुआ ए क़ुनूत पढ़ें |  दुआ ए क़ुनूत की दुआ (Dua Qunoot)  Image Source: pinterest.com दुआ ए कुनूत की दुआ हिंदी में अल्लाहुम्मा इन्ना नस्तईनु क व नस-तग़-फिरू- क व  नु’अ मिनु बि-क व न तवक्कलु अलै-क व नुस्नी अलैकल खैर * व नश कुरु-क वला नकफुरु-क व नख्लऊ व नतरुकु मैय्यफ-जुरूक * अल्लाहुम्मा इय्या का न अ बुदु व ल-क- नुसल्ली व नस्जुदु व इलै-क नस्आ व नह-फिदु व नरजू रह-म-त-क व नख्शा अज़ा-ब-क इन्ना अज़ा-ब-क बिल क़ुफ़्फ़ारि मुलहिक़ *  अगर किसी को दुआ ए क़ुनूत याद न हो ये दुआ पढ़े रब्बना आतैना फिद दुनिया हस न तौ वाफिल आखिरति हस नतौ वाकिना अज़ाबननार  जिस आदमी को ये भी दुआ याद न हो तो ये दुआ तिन बार पढ़े अल्लाहुम फग्फिल्ली  उसके बाद आप अल्लाहु अकबर कहते हुए रुकू में जाएँ रुकू में जाने के बाद कम से कम तीन मर्तबा सुब्हान रब्बिल अजीम कहें |  फिर समी अल्लाह हुलेमन हमीदा कहते हुवेहुए खड़े हो जाएँ जब आप अच्छे से खड़े हो जाएँ तो एक मर्तबा रब्बना लकल हम्द भी कहें |  फिर आप अल्लाहु अकबर कहते हुए सजदे के लिए जाएँ सजदे के दरमियान कम से कम आप तीन मर्तबा सुब्हान रब्बि यल आला कहें |  सबसे पहले एक मर्तबा अत्तहियातु लिल्लाहि पढ़ते हुए अपने शहादत के ऊँगली को उठायें |  उसके बाद एक मर्तबा दरूदे इब्राहिम पढ़ें |  उसके बाद एक मर्तबा दुआ ए मासुरा पढ़ें  और फिर सलाम फेरें अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह पहले दाएं जानिब मुंह फेरे फिर अस्सलामो अलैकुम वरहमतुल्लाह बाएं जानिब मुंह फेरें |  वित्र की नमाज़ कब जमाअत के साथ पढ़ सकते है वित्र की नमाज़ जमाअत के साथ सिर्फ रमजान शरीफ में पढ़ी जाती है. इसके आलावा जमाअत के साथ पढ़ना मकरूह है. बलके उस मुबारक महीने में जमाअत ही से पढ़ना मुस्तहब है.  जिसने ईसा की फ़र्ज़ नमाज़ जमाअत के साथ नहीं पढ़ी तो वह वित्र की नमाज़ तनहा पढ़े अगर तरावीह जमाअत के साथ पढ़ी तो भी वित्र की नमाज़ तन्हा पढ़े.  वित्र की नमाज़ के कुछ मसाइल दुआए कुनुत हमेसा हर सख्स आहिस्ता पढ़े खवाह वह इमाम हो या मुक्तदी- नमाज़ कज़ा हो या अदा – रमजान में हो या और दिनों में  वित्र के सिवा और किसी नमाज़ में दुआए कुनुत न पढ़े – हाँ अगर कोई हादसा हो तो फज़र में भी पढ़ सकते है और इसमें भी जाहिर ये है के रुकू से पहले पढ़े जैसा के वित्र में पढ़ा जाता  है.  अगर दुआए कुनुत भूल जाये और रुकू में याद आए तो न रुकू में पढ़े न कयाम की तरफ लौट कर खड़े हो कर पढ़े बलके छोड़ दे- और आखिर में सिजदा सहु करले नमाज़ हो जाएगी.  वित्र की तीनो रकअत में करायत फ़र्ज़ है और हर रकअत में अलहम्दो के बाद सूरत मिलाना वाजिब है.  वित्र की नमाज़ बैठ कर नहीं पढ़ सकते है.  अगर आप भूल कर नमाज़े वित्र ईशा से पहले पढ़ ली तो आपकी नमाज़ मुक़म्मल हो जाएगी |  Witr ki Namaz ka Tarika in Video अगर आपको Witr ki Namaz ka Tarika Video में देखना चाहते है तो निचे इस वीडियो को प्ले करके देख सकते हो।   Witr ki Namaz ka Tarika Frequently Asked Questions (FAQs) वित्र की नमाज़ कितनी रकात होती है। वित्र की नमाज़ तीन रकात होती है जो नमाज़ ईशा के बाद अकेला पढ़ी जाती है। और रमजान में इमाम के साथ पढ़ा जाता है।  क्या वित्र की नमाज़ ईशा की नमाज़ से पहले पढ़ सकते है ? वित्र की नमाज़ ईशा की नमाज़ से पहले नहीं पढ़ सकते है। अगर आप भूल कर नमाज़े वित्र ईशा से पहले पढ़ ली तो आपकी वित्र की नमाज़ मुक़म्मल हो जाएगी |  वित्र की नमाज़ का वक्त कब से कब तक रहता है वित्र की नमाज़ का वक़्त ईशा से लेकर फज़र से पहले तक रहता है लेकिन बेहतर ये है कि उसको Tahajjud के बाद पढ़ा जाए लेकिन अगर रात को उठने में किसी तरह की कोई शक हो तो ईशा की नमाज़ के बाद मुक़म्मल कर लेनी चाहिए |  Witr ki Namaz ka Tarika आपको कैसा लगा अगर कोई question है तो निचे कमेंट करे।               इस्तिखारा करने का तरीका | Istikhara ki Dua ka Tarika in Hindi August 7, 2021admin  Post Views: 4 जब भी किसी फैसले को लेकर आपके दिल में कन्फूज़न हो ! चाहे शादी को लेकर या कारोबार को लेकर या कोई भी काम जिसका फैसला हम नहीं ले पा रहे है तो हमें इस्तिखारा (Istikhara ki Dua) को पढ़ लेना चाहिए। इस दुआ का फजीलत बहुत है इस दुआ पढ़ने से हर मुश्किल काम आसान हो जाता है|  हमें कोशिश करने चाहिए इस्तिखारा की दुआ ( Istikhara Ki Dua ) याद करने की और नहीं तो आप देखकर भी पढ़ सकते हो ! कोई भी दुआ या क़ुरआनी आयत अगर आपको अरबी पढ़ना आती है तो अरबी जुबान में ही पढ़े ! हिंदी सिर्फ समझने के हिसाब से बतायी गयी है !  अगर आपको अरबी पढ़ना नहीं आती है तब आप हिंदी में भी पढ़ सकते है  Table of Contents	 इस्तिखारा की दुआ करने का तरीका (Istikhara ki Dua Karne ka Tarika) इस्तिखारा की दुआ पढें (Istikhara ki Dua)  इस्तिखारा की दुआ अरबी भाषा में (Istikhara ki Dua Arabic Text)  इस्तिखारा की दुआ इंग्लिश में (Istikhara ki Dua Roman English)  इस्तिखारा की दुआ हिंदी में (Istikhara ki Dua in Hindi) इस्तिखारा की दुआ का तर्जुमा (Istikhara ki Dua ka Tarjuma In Hindi) Istikhara Karne ka tarika by tariq jameel शादी के लिए इस्तिखारा की दुआ पढ़ना कैसा है? इस्तिखारा की दुआ पीडीऍफ़ (Istikhara ki Dua PDF) इस्तिखारा की दुआ करने का तरीका (Istikhara ki Dua Karne ka Tarika) सबसे पहले वुज़ू कर लें | अपने दिमाग में चल रही बातों को दिमाग से निकाल लें | अपने दाएं हाथ की अंगूठे के साथ वाली ऊँगली आसमान की तरफ करके दुआ पढ़ें | इस्तिखारा की दुआ (Istikhara Ki Dua) पढ़ने से पहले और पढ़ने के बाद में 3×3 मर्तबा दरूद शरीफ जरूर पढ़े। इस्तिखारा की दुआ पढें (Istikhara ki Dua) इस्तिखारा की दुआ अरबी भाषा में (Istikhara ki Dua Arabic Text) Istikhara ki Dua Arabic Text इस्तिखारा की दुआ अरबी भाषा में इस्तिखारा की दुआ इंग्लिश में (Istikhara ki Dua Roman English) Allaahumma ‘innee ‘astakheeruka bi’ilmika, wa ‘astaqdiruka biqudratika, wa ‘as’aluka min fajhilikal-‘Adheemi, fa’innaka taqdiru wa laa ‘aqdiru, wa ta’lamu, wa laa ‘a’lamu, wa ‘Anta ‘Allaamul-Ghuyoob, Allaahumma ‘in kunta ta’lamu ‘anna haazal-‘amra Khayrun lee fee deenee wa ma’aashee wa ‘aaqibati ‘amree  Faqdurhu lee wa yassirhu lee summa baarik lee feehi, wa ‘in kunta ta’lamu ‘anna haazal-‘amra sharrun lee fee deenee wa ma’aashee wa ‘aaqibati ‘amree, Fasrifhu ‘annee wasrifnee ‘anhu waqdur liyal-khayra haythu kaana thumma ‘ardhinee bihi.  इस्तिखारा की दुआ हिंदी में (Istikhara ki Dua in Hindi) अल्लाहुम्मा इन्नी अस्ताखीरुका बी – इलमीका व असतक्दीरुका बी – क़ुदरतिका व अस अलुका मीन फ़ज़्लिका अल – अज़ीम फ – इन्नका तक़्दीरु वाला अक़्दीरु व ता – लामु वाला अ लामु व अंता अल्लामु – ल – घुयुब . अल्लाहुम्मा इन कुंता ता – लम अन्ना हाज़ा – ल अमरा खैरुन ली फि दिनी व – माँ अशी व – आक़िबति अमरि फ़क़दिरहु ली व यस्सीरहु सुम्मा बारीक ली फिहि व इन कुंता ता – लामु अन्ना हु शर – रुन फि दिनी व-माँ अशी व-आक़िबति अमरि अस्रीफहु अन्नी वास्-रिफ़नी अन्हु – वाक्दिर ली अल-खैरा हैसु का -न सुम्मा अररिज़ज़नी बिहि  इस्तिखारा की दुआ का तर्जुमा (Istikhara ki Dua ka Tarjuma In Hindi) अल्लाह के नाम से शुरू जो बहुत मेहरबान रहमवाला है   हे अल्लाह, मैं आपके [बेइंतिहा] इल्म के जरिए बेहतरी माँगता हूं, और मैं आपसे अापकी कुदरत के जरिए से शक्ति माँगता हूं, और मैं आपका असीम फजलो करम माँगता हूं। क्योंकि आप पूरी तरह काबील हैं, जबकि मैं नहीं। आप सबकुछ जानते हैं, और मैं नहीं, और आप सब कुछ जानते हैं जो अनदेखी है। हे अल्लाह, अगर आप जानते हैं कि यह फेसला [फैसले का इजहार करें] मेरे मजहब, मेरी दूनीया और आखीरत के नतीजे के लिए अच्छा है, तो इसे पूरा करें, इसे मेरे लीए आसान करें और मेरा इसके जरिए भला करें।  लेकिन अगर आप जानते हैं कि मेरे मजहब, मेरी दूनीया और आखीरत के नतीजे पर इसका बुरा असर है, तो इस फैसले को मूझसे फिरा दीजिये और मुझे इससे दूर कर दीजिये, और [इसके बजाय] मूझे कूछ बेहतर दीजिये, वो चाहे जो भी हो, उसके जरिए मूझे इत्मीनान दीजिये  Istikhara Karne ka tarika by tariq jameel  इस्तिखारा करने का तरीका शादी के लिए इस्तिखारा की दुआ पढ़ना कैसा है? बहुत से लोग ये समझते हैं कि Istikhara ki Dua सिर्फ शादी के लिए किया जाता है लेकिन ये कहना ग़लत है जब भी ज़िंदगी में कोई नेक काम का इरादा करे जैसे कोई बिजनेस शुरू करने से पहले,या कोई प्रोपर्टी खरीदने से पहले या शादी के लिए रिश्ता तय करने से पहले भी पढ़ सकते है।  हदीस में आया है की जब कोई आदमी किसी काम का इरादा करे तो 2 रकत नमाज़ नफिल पढ़े जिसकी पहली रकत में surah fatiha पढ़ने के बाद Surah kafirun और दूसरी रकात में Surah fatiha के बाद surah ikhlaas यानी कुल हुव ल्लाहु अहद पढ़े। फ़िर इस्तिखारा की दुआ पढ़े और किब्ले की तरफ सर करके सो जाए दुआ के शुरू और आखिर में surah fatiha और Durood Shareef भी पढ़े।                        Manzil ki Dua in Hindi 2021 | मंज़िल दुआ क्या है ? July 29, 2021admin  Post Views: 1 Table of Contents	 मंज़िल दुआ क्या है ? क्यूँ पढ़ी जाती है ? मंज़िल को पढ़ने का तरीक़ा इस दुआ का असर कब होता है ? Manzil Dua In Hindi | मंज़िल दुआ हिंदी में पढ़ें मंज़िल दुआ क्या है ? क़ुरान की वो 33 आयतें जिनका पढ़ना बुज़ुर्गों और वलियों से यहाँ तक कि शाह वलियुल्लाह मुहद्दिस दहलवी र.अ. से भी साबित है  क्यूँ पढ़ी जाती है ? इसको जादू, जिन्नात और दुसरे खतरों से हिफ़ाज़त के लिए पढ़ा जाता है और ये एक ऐसा बेहतरीन अमल है जिसका कई बार तजरिबा किया गया है, ख़ुद शाह वलियुल्लाह मुहद्दिस दहलवी र.अ. फरमाते हैं कि “ये 33 आयतें हैं जो जादू के असर को ख़त्म करती हैं और शैतान, चोरों और दरिंदों से हिफ़ाज़त करती हैं”  मंज़िल को पढ़ने का तरीक़ा अगर कोई ऊपर बताई गयी चीज़ों का मरीज़ हो तो उस पर दिन में एक बार पढ़ कर दम कर देना काफी है लेकिन अगर तकलीफ़ ज़्यादा हो तो सुबह और शाम पढ़ कर दम करें ( फूंकें )  मरीज़ पर दम करने के साथ साथ पानी की बोतल में भी दम कर लिया जाये और यही पानी मरीज़ को सारा दिन पिलाया जाये तो इंशाअल्लाह बहुत जल्द शिफ़ा मिलेगी  जिस दूकान या मकान में आसीब या जादू का असर हो वहां तेज़ आवाज़ में इस को पढ़ने और पानी पर दम करके हल्का हल्का छिड़कने से बहुत फायदा मिलता है  इस दुआ का असर कब होता है ? पढने वाला जितनी अक़ीदत यक़ीन और तवज्जो के साथ पढ़ता है उतना ही ज़्यादा इसका असर होता है  नोट : हर आयत के नीचे सूरह और आयत का नंबर लिख दिया गया है  Manzil Dua In Hindi | मंज़िल दुआ हिंदी में पढ़ें अ ऊजु बिल्लाहि मिनश शैतानिर रजीम  बिस्मिल्ला-हिर्रहमा-निर्रहीम  1. अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन 2. अर रहमा निर रहीम 3. मालिकि यौमिद्दीन 4. इय्याक नअ’बुदु व इय्याका नस्तईन 5. इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम 6. सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम 7. गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाल लीन (अमीन) *.  ( सूरह फ़ातिहा आयत 1 से 7 )  1.अलिफ़ लाम मीम  2. ज़ालिकल किताबु ला रैबा फ़ीह हुदल लिल मुत्तक़ीन  3. अल्लज़ीना युअ’मिनूना बिल ग़ैबि व युक़ीमूनस सलाता वमिममा रज़क्नाहुम युन्फिक़ून  4. वल्लजीना युअ’मिनूना बिमा उनज़िला इलैका वमा उनज़िला मिन क़ब्लिक वबिल आखिरती हम यूक़िनून  6. उलाइका अला हुदम मिर रब्बिहिम व उलाइका हुमुल मुफ्लिहून  (सूरह बक़रह आयत 1 से 5 तक)  व इलाहुकुम इलाहुव वाहिद ला इलाहा इल्ला हुवर रह्रमानुर रहीम  (सूरह बक़रह आयत 163)  255. अल्लाहु ला इलाहा इल्लाहू अल हय्युल क़य्यूम ला तअ’खुज़ुहू सिनतुव वला नौम लहू मा फिस सामावाति वमा फ़िल अर्ज़ मन ज़ल लज़ी यश फ़ऊ इन्दहू इल्ला बि इजनिह यअलमु मा बैना अयदी हिम वमा खल्फहुम वला युहीतूना बिशय इम मिन इल्मिही इल्ला बिमा शा..अ वसिअ कुरसिय्यु हुस समावति वल अर्ज़ वला यऊ दुहू हिफ्ज़ुहुमावहुवल अलिय्युल अज़ीम  256. ला इकराहा फिद दीनि क़त तबैयनर रुश्दु मिनल गय्यी फमय यक्फुर बित तागूति व युअ’मिम बिल लाहि फ क़दिस तम्सका बिल उरवतिल वुसक़ा लन फ़िसामा लहा वल लाहु समीउन अलीम  257. अल्लाहु वलिय्युल लज़ीना आमनू युख रिजुहुम मिनज़ ज़ुलुमाती इलन नूर, वल लज़ीना कफ़रू औलिया उहुमुत तागूतु युख रिजूनहुम मिनन नूरि इलज़ ज़ुलुमात, उलाइका अस हाबुन नारि हम फ़ीहा खालिदून  (सूरह बक़रह आयत 255 से 257 तक)  284. लिल लाहि मा फिस समावाति वमा फ़िल अर्दि, व इन तुब्दू माफ़ी अन्फुसिकुम अव तुख्फूहु युहासिब्कुम बिहिल लाह, फ़यग्फिरू लिमय यशाऊ व युअज़्ज़िबु मय यशाअ, वल लाहु अला कुल्लि शय इन क़दीर  285. आमनर रसूलु बिमा उनज़िला इलैहि मिर रब्बिही वल मुअ’मिनून, कुल्लुन आमना बिल लाहि व मला इकातिही व कुतुबिही व रुसुलिह ला नुफर्रिकु बैना अहदिम मिर रुसुलिह, व क़ालू समिअ’ना व अतअ’ना गुफरानका रब्बना व इलैकल मसीर  286. ला युकल्लिफुल लाहु नफ्सन इल्ला वुसअहा लहा मा कसाबत व अलैहा मक तसबत, रब्बना ला तुआखिज्ना इन नसीना अव अख्तअ’ना, रब्बना वला तहमिल अलैना इसरन कमा हमल्तहू अलल लज़ीना मिन क़ब्लिना, रब्बना वला तुहम्मिलना माला ताक़ता लना बिह, व अफु अन्ना वगफिर लना वरहमना, अंता मौलाना, फंसुरना अलल कौमिल कफिरीन  (सूरह बक़रह 284 से 286 तक)  18. शहिदल लाहु अन्नहू ला इलाहा इल्ला हुवा वल मलाइकतु व उलुल इल्मि क़ाइमम बिल किस्त, ला इलाहा इल्ला हुवल अज़ीज़ुल हकीम  (सूरह आले इमरान आयत 18)  क़ुलिल लाहुम्मा मालिकल मुल्कि तुअ’तिल मुलका मन तशाऊ व तन्ज़िउल मुलका मिम मन तशाऊ व तुइज़्ज़ु मन तशाऊ व तुज़िल्लू मन तशाऊ बियदिकल खैर इन्नका अला कुल्लि शैइन क़दीर  तूलिजुल लैला फिन नहारि व तूलिजुन नहारा फ़िल लैल, व तुखरिजुल हय्या मिनल माय्यिति व तुखरिजुल मय्यिता मिनल ह्यय, व तरज़ुक़ु मन तशाऊ बिगैरि हिसाब  (सूरह आले इमरान आयत 26 से 27 तक)  इन्ना रब्बकुमुल लाहुल लज़ी खलाक़स समावाति वल अर्दा फ़ी सिततति अय्यामिन सुम्मस तवा अलल अर्श, युगशिल लैलन नहार, यत्लुबुहू हसीसव वश शमसा वल क़मरा वन नुजूमा मुसख खरातिम बिअम रिह अला लहुल खल्कु वल अमरू तबारकल लाहु रब्बुल आलमीन  उदऊ रब्बकुम तदर रुअव व खुफयह, इन्नल लाहा ला युहिब्बुल मुअ’तदीन  वला तुफ्सिदू फिर अर्दि बअ’दा इस्लाहिहा वदऊहु खौफ़व व तमआ इन्ना रह्मतल लाहि क़रीबुम मिनल मुह्सिनीन  (सूरह आराफ़ आयत 54 से 56 तक)  क़ुलिदउल लाहा अविदउर रहमान, अय्यम मा तदऊ फ़लहुल असमा उल हुस्ना, वला तज्हर बिसलातिका वला तुखाफ़ित बिहा वब्तगि बैना ज़ालिका सबीला  वक़ुलिल हम्दु लिल लाहिल लज़ी लम यत तखिज़ वलदव वलम यकुल लहू शरीकुन फ़िल मुल्कि वलम यकुल लहू वलिय्युम मिनज़ जुल्लि वकबबिरहु तक्बीरा  (सूरह बनी इसराइल आयत 110 से 111 तक)  अफ़ा हसिब्तुम अन्नमा खलक्नाकुम अबासव व अन्नकुम इलैना ला तुरजऊन, फ तआलल लाहुल मलिकुल हक्कू ला इलाहा इल्ला हुवा रब्बुल अरशिल करीम, वमै यद्ऊ मअल लाहि इलाहन आखरा ला बुरहाना लहू बिह, फ इन्नमा हिसाबुहू इन्दा रब्बिह, इन्नहू ला युफ्लिहुल काफ़िरून, वक़ुर रब्बिग फिर वरहम व अंता खैरुर राहिमीन  (सूरह मुअ’मिनून आयत 115 से 118 तक) 1. वस साफ़फ़ाति सफ्फ़ा 2. फ़ज ज़ाजिराति ज़जरा 3. फत तालियाति ज़िकरा 4. इन्ना इलाहकुम लवाहिद 5. रब्बुस समावाति वल अरदि वमा बैनहुमा व रब्बुल मशारिक़ 6. इन्ना ज़य्यन नस समाअद दुनिया बिजीनातिनिल कवाकिब 7. व हिफ्ज़म मिन कुल्लि शैतानिम मारिद 8. ला यस सम मऊना इलल म लइल अअ’ला व युक्ज़फूना मिन कुल्लि जानिब 9. दुहूरौ व लहुम अज़ाबुव वासिब 10. इल्ला मन खतिफल खत्फता फअत बअहू शिहाबुन साक़िब 11. फस्तफ़ तिहिम अहुम अशद्दु खलक़न अम्मन खल्क्ना इन्ना खलक्नाहुम मिन तीनिल लाज़िब  (सूरह साफ़फ़ात आयत 1 से 11 तक)  33. या मअ’शरल जिन्नि वल इन्सि इनिस त तअ’तुम अन तन्फुजु मिन अक़ तारिस समावाति वल अरदि फनफुजू ला तन्फुजूना इल्ला बिसुल तान 34. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान 35. युरसलु अलैकुमा शुवाज़ुम मिन नारिव व नुहासून फला तन तसिरान 34. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान 37. फ़इजन शक़ क़तिस समाउ फकानत वर दतन कद दिहान 34. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान 39. फयौम इज़िल ला युसअलु अन ज़मबिही इन्सुव वला जान 34. फ़बि अय्यि आलाइ रब्बिकुमा तुकज़ जिबान (सूरह रहमान आयत 33 से 40 तक)  लौ अनज़लना हाज़ल क़ुरआना अला जबलिल ल रऐतहू खाशिअम मुतसद दिअम मिन खश यतिल लाह, व तिल्कल अम्सालु नदरिबुहा लिन नासि लअल्लहुम य तफक्करून  हुवल लाहुल लज़ी ला इलाहा इल्ला हू, आलिमुल ग़ैबि वश शहादती हुवर रहमानुर रहीम  हुवल लाहुल लज़ी ला इलाहा इल्ला हू, अल मलिकुल क़ुद्दूसुस सलामुल मुअ’मिनुल मुहैमिनुल अज़ीज़ुल जब्बारुल मुताकब्बिर, सुब हानल लाहि अम्मा युशरिकून  हुवल लाहुल ख़ालिक़ुल बारिउल मुसव्विरू लहुल अस्माउल हुस्ना युसब्बिहु लहू माफ़िस समावाति वल अर्द वहुवल अज़ीज़ुल हकीम  (सूरह हशर आयत 21 से 24 तक)  कुल ऊहिया इलैया अन नहुस तमआ नफरुम मिनल जिन्नि फ़क़ालू इन्ना समि’अना क़ुर आनन् अजबा  यहदी इलर रुश्दि फ़ आमन्ना बिह, वलन नुशरिका बिरब बिना अहदा  व अन्नहु तआला जद्दु रब्बिना मत तखज़ा साहिबतौ वला वलदा  व अन्नहु काना यक़ूलु सफीहुना अलल लाहि शताता  (सूरह जिन आयत 1 से 4 तक) 1.क़ुल या अय्युहल काफिरून 2.ला अअ’बुदु मा तअ’बुदून 3.वला अन्तुम आबिदूना मा अअ’बुद 4.वला अना आबिदुम मा अबत्तुम 5.वला अन्तुम आबिदूना मा अअ’बुद 6.लकुम दीनुकुम वलिय दीन  (सूरह काफ़िरून आयत 1 से 6 तक) 1.कुल हुवल लाहु अहद 2.अल्लाहुस समद 3.लम यलिद वलम यूलद 4.वलम यकूल लहू कुफुवन अहद  (सूरह इख्लास आयत 1 से 4 तक)  1.कुल अऊजु बिरब्बिल फलक़ 2.मिन शर रिमा ख़लक़ 3.वमिन शर रिग़ासिकिन इज़ा वक़ब 4.वमिन शर रिन नफ़फ़ासाति फ़िल उक़द 5.वमिन शर रिहासिदिन इज़ा हसद  (सूरह फ़लक आयत 1 से 5 तक)  1.कुल अऊजु बिरब्बिन नास 2.मलिकिन नास 3.इलाहिन नास 4.मिन शर रिल वसवा सिल ख़न्नास 5.अल्लज़ी युवस विसु फी सुदूरिन नास 6.मिनल जिन्नति वन नास  (सूरह नास आयत 1 से 6 तक)       Azan ki Dua In Hindi 2021 | Azan ke Baad ki Dua In Hindi आज मै आपको Azan ki Dua के बारे में बताऊंगा की अज़ान देना कैसा है अज़ान देना सुन्नत है या फर्ज है अज़ान कौन कौन दे सकता है और अज़ान कौन कौन नहीं दे सकता है अज़ान देते वक्त मुक्तादियो को क्या कहना चाहिए और क्या नहीं कहना चाहिए इन सब बातो का आज मै इस पोस्ट में जवाब दूंगा तो चलिए जान लेते है कौन से बाते है  Azan ke Baad ki Dua (अज़ान के बाद की दुआ) ۞ Bismillah-Hirrahman-Nirrahim ۞  اللَّهُمَّ رَبَّ هَذِهِ الدَّعْوَةِ التَّامَّةِ وَالصَّلاَةِ الْقَائِمَةِ، آتِ مُحَمَّدًا الْوَسِيلَةَ وَالْفَضِيلَةَ، وَابْعَثْهُ مَقَامًا مَحْمُودًا الَّذِي وَعَدْتَهُ  Azan ke Baad ki Dua Roman English ( Allahumma Rabba Hadhihi-D-Dawatit-Tammaa Was-Salatil Qaimah, Aati Muhammadan Al-Wasilata Wal-Fazilah, Wabaathhu Maqaman Mahmudan-Il-Ladhi Waadtah )  Azan ke Baad ki Dua in URDU یااللہ !اس کامل اعلان اور قائم ہونے والی نماز کے مالک، محمدۖکو مقامِ وسیلہ عطا فرما اور ان کی فضیلت میں اضافہ فرما اور ان کو مقامِ محمود پر پہنچا جس کا تو نے ان سے وعدہ کیا ہے ۔  Azan ke Baad ki Dua in Hindi “अल्लाहुम्मा रब्बा हाज़ीहिल दावती-त-ताम्मति वस्सलातिल कायिमति आती सैय्यिदिना मुहम्मदा नील वसिलता वल फ़ज़ीलता वद्दरजतल रफ़ीअता वब’असहू मक़ामम महमूदा निल्ल्जी व्’अत्तहू वर ज़ुक्ना शफ़ाअतहु यौमल क़ियामती इन्नका ला तुखलिफुल मीआद ”  Azan ke Baad ki Dua Meaning English O Allah , Lord of this perfect call and established prayer. Grant Muhammad the intercession and favor, and raise him to the honored station You have promised him, [verily You do not neglect promises].  Azan ke Baad ki Dua Meaning Roman English Aye mere Allah jo iss saari pukar ka Rab hai aur Qayam rehney wali namaz ka bhi Rab hai, Nabi-e-Kareem Muhammad (ﷺ) ko Qayamat ke din Waseela ata farma, aur Maqam-e-Mahmood par unka Qayam farma jiska tuney unsey wada kiya hai.  Azan ke Baad ki Dua Meaning in Hindi ए अल्लाह इस दावते ताम्मा और कयामत तक बाकी रहने वाली नमाज के रब तू हमारे सरदार मुहम्मद सल्लाल्लाहु तआला अलैहि व् सल्लम  को वसीला और फजीलत और बुलंद दर्जा अता कर  और उनको मकामे मेहमूद में खड़ा कर जिस का तूने वादा किया हे और हमें कयामत के दिन उनकी शफाअत नसीब कर बेशक तू वादा के खिलाफ नहीं करता |  अज़ान कहना फर्ज है या सुन्नत फर्ज नमाजो को जमाअत के साथ मस्जिद में अदा करने के लिए अज़ान कहना सुन्नत मुकिदा है मगर इस का हुक्म मिस्ले वाजिब के है- यानि अगर अज़ान न कही गई तो वहा के सब लोग गुनहगार होंगे.  अज़ान का सवाब अज़ान का सवाब हदीसो में बहुत आया है- एक हदीस में है के हुजुर ने फ़रमाया  अगर लोगो को मालूम होता के अज़ान कहने में कितना  सवाब है तो उस पर आपस में तलवार चलती.  मस्ला- अज़ान इस्लाम से है के अगर किसी शहर या गाँव या मोहल्ला के लोग अज़ान देना छोड़ दे तो बद्साहे इस्लाम इन पर खबर करे  और ना माने तो कतल करे.  अज़ान किस वक्त कहना चाहिए  जब नमाज़ों का वक्त हो जाए तो अज़ान कहनी चाहिए अज़ान वक्त से पहले कहना जाईज नहीं अगर वक्त से पहले कही गई तो वक्त होने पर फिर से अज़ान देना चाहिए.  नमाज़ के अलावा अज़ान कही जाती है क्या ? हाँ-बच्चे और मग्मुम के कान में, मुर्गी वाले के कान में, गुद्बंग और बदमिजाज आदमी या जानवर के कान में, सख्त लड़ाई और आग लगने के वक्त अज़ान कहना चाहिए और मैयत को दफ़न करने के बाद, जंगल में रास्ता भूल जाए और कोई बताने वाला न हो तो इन सूरतो में अज़ान कहना मुस्तहब है.  अज़ान का बेहतर तरीका क्या है अज़ान देने का सबसे बेहतर तरीका ये है के मस्जिद के सहन से बाहर किसी बुलंद जगह पर क़िबला की तरफ मुंह करके खड़ा हो और कलमा की दोनों उंगुलिया को कानो में डाल कर बुलंद आवाज़ से अज़ान की कलमात को ठहर ठहर कर कहे जल्दी न करे और हैया अलस सलात कहते वक्त दाहिने जानिब और हैया अलाल फला कहते वक्त बाये जानिब मुंह फेरे.  अज़ान का जवाब कैसे देना चाहिए अज़ान के जवाब का मस्ला ये है के अज़ान कहने वाला जो कलमा कहे तो सुनने वाला भी वही कलमा कहे मगर हैया अलस सलात और हैया अलल फला के जवाब में लाहौर व्लाकुव्तो इलाबिल्लाहे कहे और बेहतर ये है के दोनों कहे और फज़र की अज़ान में अस्स्लातो खैरुम मेनन नोम के जवाब में ये कहे सदक्त व् बररक्कत  व् बिल्हक्के नाटक्त कहे.  खुतबा के अज़ान का जवाब देना कैसा है खुत्बा के अज़ान का जवाब देना मुक्तादियो को जाईज नहीं.  क्या अज़ान कहने वाला ही अकामत कहे दूसरा नहीं कहे हाँ-अज़ान कहने वाला ही अकामत कहे- इस की इजाजत के बगैर दूसरा नहीं कहे अगर बगैर इजाजत दुसरे ने कही और अज़ान देने वाले को नागवार हो तो मकरूह है.  अकामत के वक्त लोगो का खड़ा रहना कैसा है अकामत के वक्त लोगो का खड़ा रहना मकरूह व् मना है लिहाजा उस वक्त बैठे रहे- फिर जब तकबीर कहने वाला हैया अलल फला पर पहुंचे उठे.  अज़ान व् अकामत के दरमियान सलात पढना कैसा है अज़ान व् अकामत के दरमियान सलात पढ़ना यानि अस्स्लातो वस्सलामो अलैक या रसूलल्लाह कहना जाईज व् मुस्तहब है इस सलात का नाम अस्त्लाहे शुरू में तस्विब है और तस्विब नमाज़ मगरिब के आलावा बाकि नमाज़ों के लिए मुस्तहब है.  किन नमाजो के लिए अज़ान कही जाए. मस्ला- पांचो वक्त के फ़र्ज़ नमाज़ और उन्ही में जुम्मा भी है जब जमाअत मोस्ताहबा के साथ मस्जिद में वक्त पर अदा की जाए तो इन के लिए अज़ान सुन्नत मोकिदा है और उस का हुक्म वाजिब है अगर अज़ान ना कही गयी तो वहा के सब लोग गुनहगार होंगे  मस्ला- मस्जिद में बिना अज़ान व इकामत के जमाअत पढ़ना मकरूह है.  किस नमाज़ में अज़ान नहीं है  मस्ला- फ़र्ज़ नमाजो के सिवा किसी नमाज़ के लिए अज़ान नहीं- ना वित्र में- ना ज़नाज़ा में- ना ईद में- ना मजार में- ना तरावीह में -ना चासत की नमाज़ में- ना नफिल की नमाज़ में.  औरत के अज़ान का हुक्म  मस्ला- औरतो को अज़ान व आकामत कहना मकरूह तहरिमी है अगर कहेगी तो गुनहगार होंगी और इनकी अज़ान फिर से कही जाए.  मस्ला- औरते अपनी नमाज़ अदा पढ़े या कज़ा पढ़े उसके लिए अज़ान व अकामत मकरूह है- औरतो को जमाअत के साथ नमाज़ पढ़ना मकरूह है.  बच्चे अंधे बे वजू की अज़ान का हुक्म  मस्ला- समझदार बच्चा और अंधे और बे वजू कि अज़ान सही है- मगर बे वजू अज़ान कहना मकरूह है.  मस्ला- जुम्मा के दिन शहर में जोहर के लिए अज़ान नाजाइज है.  अज़ान कौन कहे  अज़ान वह कहे जो नमाज़ के वक्तो को पह्चंता हो- और वक्त ना पहचानता हो तो उस सवाब के लायक नहीं- जो मोजिन के लिए है – अगर मोजिन भी इमाम भी हो तो बेहतर है.  अज़ान के दरमियान बात करने का हुक्म  अज़ान के बिच में बात चित करना मना है अगर कुछ बात की तो फिर से अज़ान कहे. अज़ान की लफ्ज़ किसी गाने की तरह बोलना मना है और अच्छी और ऊँची आवाज़ से  अज़ान कहना बेहतर है- अगर अज़ान अहीस्ता हुई तो फिर से अज़ान कही जाए .  मस्ला- मस्जिद में अज़ान देना मना है.  अज़ान होते वक्त तमाम मसगुल बंद कर दिए जाए  मस्ला- जब भी अज़ान का जवाब दे हैज़ व नफास वाली औरत पर और खुत्बा सुनने वाले और नमाज़ ज़नाज़ा पढ़ने वाले और जो जमाह में मशगुल है या कज़ाए हाजत में हो इन पर वाजिब नहीं.  मस्ला- जब अज़ान हो तो उतनी देर के लिए सलाम कलाम और सलाम का जवाब बंद कर दे यहाँ तक के कुरान मजीद की तिलावत में अज़ान की आवाज़ आए तो तिलावत रोक दे और अज़ान गौर से सुने और जवाब दे और यही अकामत में भी कहे- जो अज़ान के वक्त में बातो में मशगुल रहे उस पर बुरा होने का खौफ है.  मस्ला- रास्ता चल रहा था के अज़ान की आवाज़ आई तो उतनी देर  खड़ा हो जाए सुने और जवाब दे.  नोट. जो अज़ान के वक्त बातो में मशगुल रहता है उस पर माआजा अल्लाह बहुत बुरा होने का खौफ  है.  नोट. जब अज़ान ख़तम हो जाए तो मोजिन और अज़ान सुनने वाले दरूद शरीफ पढ़े फिर ये दुआ पढ़े.  दोस्तों आपको अज़ान के बारे में पता चल गया होगा और कोई समस्या हो तो कमेंट करना नहीं भूलना और अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करे       Sone ki Dua in Hindi 2021 | सोने से पहले की दुआ अस्सलामु अलैकुम नाजरीन आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे Sone ki dua के बारे में और साथ ही सोने की दुआ क्यो पढ़ी जाती है इसकी फजीलत क्या है सुन्नत नबवी के मुताबिक सोने की दुआ और तरीका अबू दाउद और तिरमिजी में ये सुन्नते रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम ब्यान हुई है की जब आप सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम सोने के लिए इसताराहत फरमाना चाहते तो सीधी करवट लेट ते और सीधी हाँथ की हथेली अपने रुखसार मुबारक के निचे रख लेते और फिर ये दुआ पढ़ ते थे | सोने की दुआ को हमने आपके सहूलियत के मुताबिक निचे इमेज में अपलोड कर दिया है |  इस्लाम में सोने का तरीका क्या है और किन किन तरीको से सोया जाता है और सोते वक्त क्या क्या पढ़ना चाहिए और किस करवट सोना चाहिए और इनकी फजीलत क्या है तो चलिए शुरू करते है  Sone ki dua hindi urdu mein (सोने की दुआ)  सोने से पहले तिन बार सूरए इख़्लास पढ़े  1.	कुल हुवल्लाहु अहद 2.	अल्लाहुस्समद 3.	लम यलिद वलम यूलद 4.	वलम यकूल लहू कुफुवन अहद 5.	फिर एक बार सूरह फ़लक़ पढ़े  6.	कुल आ ऊजू बिरब्बिल फलक 7.	मिन शर्री मा खलक़ 8.	वा मिन शर्री गासिकिन इजा वकब 9.	वा मिन शर्रीन नाफ्फासाती फिल उकद 10.	वा मिन शर्री हसिदिन इज़ा हसद 11.	फिर एक बार सुरह अल नास पढ़े 12.	कुल आउज़ू बी रब्बिन्नास 13.	मलिकिन- नास 14.	इलाहिन- नास 15.	मिन शर्रिल वास्वसिल खन्नास 16.	अल- लजी युवास्विसू फी सुदुरिन्नास 17.	मीनल जिन्नती वन्नास 18.	फिर एक बार सुरह फातिहा पढ़े 19.	अल्हम्दुलिल्लहि रब्बिल आलमीन 20.	अर रहमा निर रहीम 21.	मालिकि यौमिद्दीन 22.	इय्याक न अबुदु व इय्याका नस्तईन 23.	इहदिनस् सिरातल मुस्तक़ीम 24.	सिरातल लज़ीना अन अमता अलय हिम 25.	गैरिल मग़दूबी अलय हिम् व लद दाालीन (अमीन) ये सब पढ़ने से सोने वाला दुःख तखलीफ़ से महफूज रहता है और ये भी दुआ पढ़ना मस्नुन यानि सही है   Sone ki dua hindi urdu mein (सोने की दुआ)  नाज़रीन इस्लाम मजहब कितना पाक और नेक मजहब है ये हमें बताने की जरुरत नहीं है ये हम सब जानते है इस्लाम में हर काम करने के तरीके को बताया गया है इसी तरह हमें सोने से पहले क्या क्या करना चाहिए ये भी हमें जरूर जानना चाहिए हर मुसलमान को बा वज़ू सोना चाहिए यानी के के सोने से पहले आप वज़ू बना कर सोएं अपने दाहिना हाँथ right hand अपने सर के निचे रख कर सोएं और अपना रुख क़िब्ले के तरफ रखे इससे अल्लाह राज़ी होता है और उस शख्स पर सवाब फरमाता है |  अल्हम्दो लिल्लाहि अल्लजी आह्यना बादा मा आमा ताना व इलेयहील नुसुर  आप सभी नाजरीन को एक बात बतादू की सोने की दुआ और सो कर उठने के बाद की दुआ ये दोनों का इतना फजीलत है के ये हदीश पाक में फरमाया गया है ये दोनों दुआ हर मुस्लमान को पढ़ना चाहिए इससे आपकी नींद मुकम्मल होगी और बुरे खाब से भी निजात मिलेगा और सुबह उठने के द पढ़ने वाली दुआ पढ़ेंगे तो आपका पूरा दिन अच्छा गुजरे गा और आपके हर काम में इंशाअल्लाह कामयाबी मिलेगा |        Teesra Kalma in Hindi With Meaning | तीसरा कलमा तमजीद अस्सलाम अलैकुम दोस्तों, आज की इस पोस्ट में हम जानेंगे तीसरा कलमा (Teesra Kalma in hindi) तमजिद क्या है और कैसे याद करते है और तीसरा कलमा क्यों पढ़ा जाता है. आशा करते हैं, आपको आज की इस पोस्ट से बहुत कुछ सींखने को मिलेगा, तो चलिए शूरू करते हैं  तीसरा कलमा तमजीद (Teesra Kalma Tamjeed) سُبْحَان اللهِ وَالْحَمْدُلِلّهِ وَلا إِلهَ إِلّااللّهُ وَاللّهُ أكْبَرُ وَلا حَوْلَ وَلاَ قُوَّةَ إِلَّا بِاللّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيْم  “सुब्हानल्लाही वल हम्दु लिल्लाहि वला इलाहा इलल्लाहु वल्लाहु अकबर वला हौल वला कुव्वता इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अज़ीम”  Subhan allahi walhamdu lillahi wala ialahah illallahu akbar wala houla wala kuwwata illa billahil aliyyil azeem  तीसरा कलमा तमजीद तर्जुमा (Teesra Kalma Tamjeed Hindi Translation) “अल्लाह की ज़ात हर ऐब से पाक है और तमाम तारीफे अल्लाह ही के लिए है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और अल्लाह सबसे बड़ा है और किसी में ना तो ताकत है न बल, ताकत और बल तो अल्लाह ही में है, जो बहुत मेहरबान निहायत रेहम वाला है|“  Exalted is Allah, and praise be to Allah, and there is no deity except Allah, and Allah is the Greatest. And there is no might nor power except in Allah, the Most High, the Most Great  तीसरा कलमा क्या है? (Teesra Kalma kya hai) जिस वाक्य का कोई महत्वपूर्ण अर्थ निकलता हो, उसे कलमा कहा जाता है, और इस्लाम मे कुल मिलाकर कलमों की संख्या 5 है,  कलमा ए तय्यब कलमा ए शहादत कलमा ए तमजिद (तीसरा कलमा) कलमा ए तौहीद कलमा ए इस्तिगफ़ार जिनमे से तीसरा कलमा भी एक है। तीसरे कलमे को कलमा ए तमजिद के रूप में भी जाना जाता है, तीसरे कलमे में खुदा की इबादत को दर्शाया गया है। तीसरे कलमे को पढ़ने के भी कई सारे फायदे हैं, जो खुदा इस कलमे को पढ़ने वाले के ऊपर अदा फरमाता है।  तीसरा कलमा की फजीलत इस्लाम मे बहुत से कलमे है, और उन्ही में से एक है, तीसरा कलमा। तीसरे कलमे में खुदा की इबादत कही गयी है, और जो कोई सुबह की नमाज़ के बाद इस कलमे को पढ़ता है, उसको बहुत सारे फायदे होते हैं जो कि नीचे दर्शाए गए हैं-  तीसरे कलमे (Tisra Kalma in Hindi) को सुबह की नमाज़ के बाद पढ़ना अच्छा माना जाता है, और माना जाता है, जो कोई भी तीसरे कलमे को पढ़ता है, वह खुदा का बहुत करीबी होता है। इस कलमे को पढ़ने से खुदा हमारी हिफाजत करते हैं, और बुरे लोगों और बुरी चीजों से हमे बचते हैं, इसलिए रोजाना इस कलमे का पाठ करना चाहिए। इस कलमे को पढ़ने से खुदा हमारी सारी परेशानियों से एक एक कर लड़ने में हमारी मदद करता है, और हमे आत्मविश्वास प्रदान करता है। तीसरे कलमे को सुबह की नमाज़ के बाद पढ़ने से दिन भर शरीर मे एक ताज़गी सी बनी रहती है, इसलिए हमें यह कलमा पढ़ना चाहिए। तइसरे कलमे (Teesra Kalma Hindi Mein) को पढ़ने से कारोबार या पढ़ाई में तरक्की आती है, और कारोबार आगे बढ़ता है, इसलिए लोग तीसरे कलमे को पढ़ने की हिदायत देते हैं। तीसरा कलमा पढ़ने से स्वास्थ्य ठीक बना रहता है, और यदि कोई बीमारी हो, तो वह भी धीरे धीरे ठीक होने लग जाती है। इसलिए हमें तीसरा कलमा सुबह पढ़ना चाहिए। इस कलमे को पढ़ने से दिन खुशनुमा और ताजगी भरा बीतता है, और दिन भर में आलस भी नहीं रहता। इस कलमे (Teesra Kalma in Hindi) में खुदा की इबादत की बात कही गयी है, इसलिए इस कलमे को पढ़ने वाले को खुदा अपने बहुत करीब रखते हैं, और उसे किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होने देते। कुछ लोग इस कलमे को पढ़ने से होने वाले फायदों को नही जानते, जिससे वे इस कलमे को पढ़ते भी नहीं हैं। हमने इसे पढ़ने के कुछ फायदे ऊपर बताए, और तीसरे कलमे (3 Kalma Hindi Me) को पढ़ने के और भी कई सारे फायदे हैं, जो ऊपरवाला उसे देता है,  जो सुबह सुबह इस कलमे को कई बार पढ़े। तो अगर आप भी आज तक तीसरे कलमे को नहीं पढ़ते थे, तो आज ही से पढ़ना शुरू करिए तीसरा कलमा, और अपने जीवन मे होने वाले बदलावों को देखिए।  तीसरा कलमा कैसे पढ़ें? सुबह की नमाज़ पढ़ने के लिए अच्छी तरह से वजू कर लें, उसके बाद पूरी शिद्दत से नमाज़ को पढ़ें, और जब नमाज़ खत्म हो जाए, तब तीसरा कलमा को पढ़ें। जिससे आपको बहुत सारे फायदे होंगे।  तीसरा कलमा क्यों पढ़ा जाता है तीसरे कलमा जिसे कलमा ए तमजिद के नाम से भी जाना जाता है, इस कलमे को खुदा की इबादत और खुदा की तारीफ करने के लिए पढा जाता है, कई लोगों का मानना है, जो भी सुबह की नमाज़ के बाद यह तमजिद का कलमा पड़ता है, वह खुदा का बहुत करीबी होता है, और खुदा उसे मुश्किलों से बाहर निकलने में मदद करता है। इसलिए रोजाना सुबह की नमाज़ के बाद तीसरा कलमा पढ़ना चाहिए।  आज हमने तीसरा कलमा हिंदी में (Teesra Kalma in Hindi). और साथ मे ही जाना तीसरे कलमें का अर्थ (Meaning of Teesra Kalma ki fazilat in Hindi) और उसे रोजाना पढ़ने के फायदे।  आशा करते हैं, आपको आज की हमारी यह पोस्ट पसन्द आई होगी, और इससे कुछ नया सींखने को मिला होगा।    छह कलमा और उनका हिंदी अनुवाद | 6 Kalma In Hindi With Tarjuma बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम, अस्सलामु अलैकुम इस्लाम को मानने वालो के लिए 6 kalma और उनके meaning क्या होता है ये सभी जानना बहुत जरुरी है क्युकी अगर कोई गैर मुस्लिम भाई या बहन इस्लाम क़बूल करना चाहता है तो सबसे पहले वो पहला kalma पढ़ कर ही अल्लाह तआला पर ईमान लाते है, इसलिए इसका और बचें 5 kalma ka meaning आपको जरूर पता होना चाहिए. तो चलिए पहले 6 kalma को पढ़ लेते है फिर उसका meaning (मतलब) भी समझ लेते है।  कलमा इस्लाम का वो दरवाजा है जो की हमारे दीन और ईमान की जड़ व बुनियाद है। इन्ही कलमों को पढ़कर लोग उम्र भर के काफिर से मुस्लिम मोमिन और मुसलमान बन जाते हैं। और इसी के साथ वो दुनिया की तमाम खुराफात से निजात के मुस्तहिक हो जाते हैं। लेकिन इन कलमों को पढ़ने के लिए एक शर्त है।  इन कलमों को सिर्फ जबान से न पढ़ कर बल्कि इन कलमों का मतलब समझ कर दिल से भी मानना चाहिए और सच्चे दिल से भी उसे कुबूल किया जाना चाहिए।  पहला कलमा तय्यब (Pehla Kalma Tayyab) Pehla Kalma in URDU لَآ اِلٰهَ اِلَّااللهُ مُحَمَّدٌ رَّسُولُ اللہِ  Pehla Kalma in Hindi “ला इलाहा इलल्लाहु मुहम्मदुर्रसूलुल्लाहि”  Pehla Kalma in English “La Ilaha Illallaahu Muhammadur Rasoolullaah“  Pehla Kalma in Hindi Meaning अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और हज़रत मुहम्मद ﷺ सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है।  Pehla Kalma in Roman English Meaing “Allah Ke Siwa Koi Mabood Nahi Aur Hazarat Mohammad Sallallahu Alaihi Wasallam Allah Ke Rasool Hai.“  Pehla Kalma in English Meaning There is none worthy of worship except ALLAH, (and) Muhammad (P.B.U.H) is the Messenger of ALLAH.  दूसरा कलमा शहादत (Dusra Kalma Shahadat) Dusra Kalma in URDU اَشْهَدُ اَنْ لَّآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ وَحْدَہٗ لَاشَرِيْكَ لَہٗ وَاَشْهَدُ اَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهٗ وَرَسُولُہٗ  Dusra Kalma in Hindi “अश-हदु अल्लाह इल्लाह इल्लल्लाहु वह दहु ला शरी-क लहू व अशदुहु अन्न मुहम्मदन अब्दुहु व रसूलुहु”  Dusra Kalma in English “Ash Hadu Allah Ilaha Illallaahu Wah Dahu La Sharika Lahu Wa Ash Hadu Anna Muhammadan Abduhu Wa Rasooluhu“    Dusra Kalma in Hindi Meaning मैं गवाही देता हु के अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं। वह अकेला है उसका कोई शरीक नहीं. और मैं गवाही देता हु कि (हज़रत) मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के नेक बन्दे और आखिरी रसूल है।  Dusra Kalma in Roman English Meaing “Me Gawahi Deta Hoon Ke Allah Ke Siwa Koi Mabood Nahi, Woh Akela Hai Aur Uska Koi Shareek Nahi Aur Me Gawahi Deta Hoon Ke Hazarat Mohammad Sallallahu Alaihi Wasallam Allah Ke Nek Bande Aur Akhiri Rasool Hai. “  Dusra Kalma in English Meaning I bear witness that there is none worthy of worship except ALLAH, the One alone, without partner, and I bear witness that Muhammad (P.B.U.H) is His Servant and Messenger.  तीसरा कलमा तमजीद (Teesra Kalma Tamjeed) Teesra Kalma in URDU سُبْحَان اللهِ وَالْحَمْدُلِلّهِ وَلا إِلهَ إِلّااللّهُ وَاللّهُ أكْبَرُ وَلا حَوْلَ وَلاَ قُوَّةَ إِلَّا بِاللّهِ الْعَلِيِّ الْعَظِيْم  Teesra Kalma in Hindi “सुब्हानल्लाही वल् हम्दु लिल्लाहि वला इला-ह इलल्लाहु वल्लाहु अकबर, वला हौल वला कूव्-व-त इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम”  Teesra Kalma in English “Subhanallaahi Wal Hamdulillaahi Wala Ilaha Illallahu Wallahu Akbar Wala Haula Wala Quwwata Illa Billahil Aliyyil Azeem“  Teesra Kalma in Hindi Meaning “अल्लाह की ज़ात हर ऐब से पाक है और तमाम तारीफे अल्लाह ही के लिए है। अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं और अल्लाह सबसे बड़ा है और किसी में ना तो ताकत है न बल, ताकत और बल तो अल्लाह ही में है, जो बहुत मेहरबान निहायत रेहम वाला है|“  Teesra Kalma in Roman English Meaing “Allah Ki Zaat Har Aeb Se Paak Hai Aur Tamam Tarifen Allah Hi Ke Liye Hai. Allah Ke Siwa Koi Mabood Nahi Aur Allah Sab Se Bada Hai Aur Kisi Me Na To Taqat Hai Na Bal, Taqat Aur Bal To Allah Hi Me Hai, Jo Bohot Meharban Nihayat Reham Wala Hai.“  Teesra Kalma in English Meaning Glory be to ALLAH and all praise be to ALLAH and there is none worthy of worship except ALLAH, and ALLAH is the Greatest. And there is no might or power except with ALLAH, the Exalted, the Great One.  चौथा कलमा तौहीद (4th Kalma Tauheed) Chautha Kalma in URDU لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ وَحْدَهٗ لَا شَرِيْكَ لَهٗ لَهُ الْمُلْكُ وَ لَهُ الْحَمْدُ يُحْىٖ وَ يُمِيْتُ وَ هُوَحَیٌّ لَّا يَمُوْتُ اَبَدًا اَبَدًاؕ ذُو الْجَلَالِ وَالْاِكْرَامِؕ بِيَدِهِ الْخَيْرُؕ وَهُوَ عَلٰى كُلِّ شیْ قَدِیْرٌؕ  Chautha Kalma in Hindi “ला इलाह इल्लल्लाहु वह्-दहु ला शरीक लहू लहुल मुल्क व लहुल हम्दु युहयी व युमीतु व हु-व हय्युल-ला यमूतु अ-ब-दन अ-ब-दा जुल-जलालि वल इक् रामि वियदि-हिल खैर व हु-व अला कुल्लि शैइन क़दीर”  Chautha Kalma in English Laa ilaha illal Lahoo Wahdahoo Laa Shareekalahoo Lahul Mulko Walahul Hamdo Yuhee Wa Yumeeto Wa Hoa Haiy Yul La Yamooto Abadan Abada Zul Jalali Wal ikraam Beyadihil Khair. Wa hoa Ala Kulli Shai In Qadeer.  Chautha Kalma in Hindi Meaning अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं इबादत के लायक, वह एक है, उसका कोई साझीदार नहीं, सबकुछ उसी का है।और सारी तारीफ़ें उसी अल्लाह के लिए है। वही जिलाता है और वही मारता है. और वोह जिन्दा है, उसे हरगिज़ कभी मौत नहीं आएगी। वोह बड़े जलाल और बुजुर्गी वाला है। अल्लाह के हाथ में हर तरह कि भलाई है और वोह हर चीज़ पर क़ादिर है।  Chautha Kalma in Roman English Meaing “Allah Ke Siwa Koi Mabood Nahi, Woh Ek Hai Aur Uska Koi Sajhidar Nahi, Sabkuch Usi Ka Hai Aur Sari Taarifen Usi Allah Ke liye Hai. Wahi Zinda Karta Hai Aur Wahi Marta Hai Aur Woh Maut Se Paak Hai. Woh Bade Jalal Aur Buzurgi Wala Hai. Allah Ke Hath Me Har Tarah Ki Bhalai Hai Aur Woh Har Cheez Par Qadir Hai.“  Chautha Kalma in English Meaning There is none worthy of worship except ALLAH. He is alone and has no partner. To Him belongs the Kingdom and for Him is all praise. He gives life and causes death. And He is alive. He will not die, never, ever. Possessor of Majesty and Reverence. In His hand is all good and He has power over everything.  पांचवाँ कलमा इस्तिग़फ़ार (5 Kalma Astaghfar) Panchwa Kalma in URDU اَسْتَغْفِرُ اللهِ رَبِّىْ مِنْ كُلِِّ ذَنْۢبٍ اَذْنَبْتُهٗ عَمَدًا اَوْ خَطَا ًٔ سِرًّا اَوْ عَلَانِيَةً وَّاَتُوْبُ اِلَيْهِ مِنَ الذَّنْۢبِ الَّذِیْٓ اَعْلَمُ وَ مِنَ الذَّنْۢبِ الَّذِىْ لَآ اَعْلَمُ اِنَّكَ اَنْتَ عَلَّامُ الْغُيُوْبِ وَ سَتَّارُ الْعُيُوْبِ و َغَفَّارُ الذُّنُوْبِ وَ لَا حَوْلَ وَلَا قُوَّةَ اِلَّا بِاللهِ الْعَلِىِِّ الْعَظِيْمِؕ‎  Panchwa Kalma in Hindi “अस्तग़-फिरुल्ला-ह रब्बी मिन कुल्लि जाम्बिन अज-नब-तुहु अ-म-द-न अव् ख-त-अन सिर्रन औ अलानियतंव् व अतूवु इलैहि मिनज-जम्बिल-लजी ला अ-अलमु इन्-न-क अन्-त अल्लामुल गुयूबी व् सत्तारुल उवूबि व् गफ्फा-रुज्जुनुबि वाला हो-ल वला कुव्-व-त इल्ला बिल्लाहिल अलिय्यील अजीम”   Panchwa Kalma in English “Astagfirullaha Rabbi Min Kulli Zambin Aznabtuhu Amadan Aw Khtaa An Sirran Aw Alaniyatan Wa Atoobu Ilaihi Minaz Zambil Lazi Alamu Wa Minaz Zambil Lazi La Alamu Innaka Anta Allamul Guyoobi Wa Sattaril Uyoobi Wa Gaffariz Zunoobi Wala Hawla Wala Quwwata Illa Billahil Aliyyil Azeem.“  Panchwa Kalma in Hindi Meaning मै अपने परवरदिगार (अल्लाह) से अपने तमाम गुनाहो कि माफ़ी मांगता हुँ जो मैंने जान-बूझकर किये या भूल कर किये, छिप कर किये या खुल्लम खुल्ला किये और तौबा करता हु मैं उस गुनाह से, जो मैं जनता हु और उस गुनाह से जो मैं नहीं जानता. या अल्लाह बेशक़ तू गैब कि बाते जानने वाला और ऐबों को छिपाने वाला है और गुनाहो को बख्शने वाला है और (हम मे) गुनाहो से बचने और नेकी करने कि ताक़त नहीं अल्लाह के बगैर जो के बोहोत बुलंद वाला है।  Panchwa Kalma in Roman English Meaing “Me Apne Parwardigar(Allah) Se Apne Tamam Gunaho Ki Maafi Mangta Hoon Jo Mene Jaanbujhkar Kiye Ya Bhool-Chook Me Kiye, Chip Kar Kiye Ya Khullam-Khulla Kiye Aur Touba Karta Hoon Me Us Gunah Se Jo Me Janta Hoon Aur Us Gunah Se Bhi Jo Me Nahi Janta. Ya Allah Beshak Tu Gaib Ki Baaten Janne Wala Hai Aur Aebo Ko Chipane Wala Hai Aur Gunaho Ko Bakshne Wala Hai. (Hum Me) Gunaho Se Bachne Aur Neki Karne Ki Taqat Nahi Allah Ke Bagair Jo Ke Bohot Bulandi Wala Hai.“  Panchwa Kalma in English Meaning “I seek forgiveness from ALLAH, my Lord, from every sin I committed knowingly or unknowingly, secretly or openly, and I turn towards Him from the sin that I know and from the sin that I do not know, Certainly You (O ALLAH!), You (are) the knower of the hidden things and the Concealer (of) the mistakes and the Forgiver (of) the sins. And (there is) no power and no strength except from ALLAH, the Most High, the Most Great”.  छठवां कलमा रद्दे कुफ्र (6 Kalma Radde Kufr) Six Kalma in URDU   اَ للّٰهُمَّ اِنِّیْٓ اَعُوْذُ بِكَ مِنْ اَنْ اُشْرِكَ بِكَ شَيْئًا وَّاَنَآ اَعْلَمُ بِهٖ وَ اَسْتَغْفِرُكَ لِمَا لَآ اَعْلَمُ بِهٖ تُبْتُ عَنْهُ وَ تَبَرَّأْتُ مِنَ الْكُفْرِ وَ الشِّرْكِ وَ الْكِذْبِ وَ الْغِيْبَةِ وَ لْبِدْعَةِ   وَالنَّمِيْمَةِ وَ الْفَوَاحِشِ وَ الْبُهْتَانِ وَ الْمَعَاصِىْ كُلِِّهَا وَ اَسْلَمْتُ وَ اَقُوْلُ لَآ اِلٰهَ اِلَّا اللهُ مُحَمَّدٌ رَّسُوْلُ اللهِؕ‎  Six Kalma in Hindi “अल्लाहुम्मा इन्नी ऊज़ुबिका मिन अन उशरिका बिका शय अव व अना आलमु बिही व अस्ताग्फिरुका लिमा ला आलमु बिही तुब्तु अन्हु व तबर्रअतू मिनल कुफरी वश शिरकी वल किज्बी वल गीबती वल बिदअति वन नमीमति वल फवाहिशी वल बुहतानी वल मआसी कुल्लिहा व अस्लमतु व अकूलू ला इलाहा इल्ललाहू मुहम्मदुर रसूलुल लाह |“  Six Kalma in English “Allahhumma Inni Aaoozubika Min An Ushrika Bika Shai Aown Wa Anaa Aalamu Bihi Wa Asthaghfiruka Lima La Aalamu Bihi Tubtu Anhu Wa Tabarratu Minal Kufri Washshirki Wal Kizbi Wal Geebati Wal Bidati Wan Nameemati Wal Fawahishi Wal Buhtani Wal Maasi Kulliha Wa Aslamtu Wa Aqoolo Laa Ilaaha Illallahoo Mohammadur Rasool Ullah.“  Six Kalma in Hindi Meaning “ऐ अल्लाह में तेरी पन्हा मांगता हूँ इस बात से के में किसी शेय को तेरा शरीक बनाऊ जान बूझ कर और बख्शीश मांगता हूँ तुझ से इस (शिर्क) की जिसको में नहीं जानता और मेने इससे तौबा की और बेज़ार हुआ कुफ्र से और शिर्क से और झूट से और ग़ीबत से और बिदअत से और चुगली से और बेहयाओं से और बोहतान से और तमाम गुनाहो से और में इस्लाम लाया और में कहता हूँ के अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं और हज़रत मुहम्मद सलल्लाहो अलैहि वसल्लम अल्लाह के रसूल है।“  Six Kalma in Roman English Meaing “Ae Allah Me Teri Panah Mangta Hoon Is Baat Se Ke Me Kisi Shey Ko Tera Shareek Banaoo Jaan Boojh Kar Aur Bakshish Mangta Hoon Tugh Se Is(Shirk) Ki Jisko Me Nahi Janta Aur Mene Isse Tauba Ki Aur Bezar Hua Kufr Se Aur Jhoot Se Aur Geebat Se Aur Bidat Se Aur Chugli Se Aur Behayaon Se Aur Bohtan Se Aur Tamam Gunaho Se Aur Me Islam Laya Aur Me Kehta Hoon Ke Allah Ke Siwa Koi Ibadat Ke Layak Nahi Aur Hazrat Mohammad Sallallahu Alaihi Wasallam Allah Ke Rasool Hai.“  Six Kalma in English Meaning “O ALLAH! I seek refuge in You from that I should not join any partner with You and I have knowledge of it. I seek Your forgiveness from that which I do not know. I repent from it (ignorance) and I reject disbelief and joining partners with You and of falsehood and slandering and innovation in religion and tell-tales and evil deeds and the blame and the disobedience, all of them. I submit to Your will and I believe and declare: There is none worthy of worship except ALLAH and Muhammad (P.B.U.H) is His Messenger”.      Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon Meaning & Benefits in Hindi अस्सलामो अलयकुम दोस्तों आज मै आपको इन्ना लिल्लाही व इन्ना इलैही राजिऊन (Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon) के बारे में बताने वाला हूँ की Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon किसको कहते है ये Inna Lillahi कब पढ़ा जाता है यानि की इसका Meaning तर्जुमा किस तरह किया जाता है ! अगर आप भी सीखना चाहते है तो पूरी पोस्ट को पढ़े तो चलिए शुरू करते है.  जब किसी के इंतकाल की खबर मिले तो क्या पढ़ें ? इस दुनिया की हकीकत ये है कि यहाँ मौजूद हर चीज़ को एक दिन ख़त्म हो जाना है और इंसान जो अशरफ़ुल मख्लूकात है वो भी इससे बच नहीं सकता |  ऐसे ही कभी किसी के इन्तेक़ाल की खबर मिलती है तो हम ग़मज़दा हो जाते हैं क्यूंकि अपनों से दूर होना इंसानों को ग़मगीन कर देता है | इसी तरह कोई अहम् चीज़ इंसान की खो जाती है तो भी वो परेशान हो जाता है और उसे पाने की कोशिश करता है  इसके लिए एक कुरआन शरीफ में एक वजीफा बताया गया है। जिसको नबी स.अ. ने अपने सहाबा से बताया था और फ़रमाया था कि किसी चीज़ के खोने या जाते रहने पर अगर कोई ये दुआ पढ़े तो अल्लाह तआला उसको उस से बेहतर बदला देते हैं | वो दुआ ये है  Dua in Hindi: इन्ना लिल लाहि व इन्ना इलैहि रजिऊन  Inna Lillahi Translation: हम तो अल्लाह के है और हम उसी की तरफ लौट कर जाने वाले है।  “और हम तुम्हें कुछ खौफ़ और भूख से और मालों और जानों और फलों की कमी से ज़रुर आज़माएगें और (ऐ रसूल) ऐसे सब्र करने वालों को ख़ुशख़बरी दे दो कि जब उन पर कोई मुसीबत आ पड़ी तो वह (बेसाख्ता) बोल उठे (Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon) ‘हम तो अल्लाह ही के हैं और हम उसी की तरफ लौट कर जाने वाले हैं’ उन्हीं लोगों पर उनके परवरदिगार की तरफ से इनायतें हैं और रहमत और यही लोग हिदायत याफ्ता है।” [ सुरह बक़रह 2:155-157 ]  इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलाही राजिउन की फजीलत अल्लाह के रसूल ﷺ ने फरमाया : जब कोई इंसान मरता है, अल्लाह अपने फरिश्तों से पूछता है, ‘क्या तुमने मेरे बंदे की औलाद की ज़िंदगी ले ली? और वो इक़रार करते हुए जवाब देते है|  अल्लाह सुबहानहु वत’आला फिर पूछता है, ‘क्या तुमने उसके दिल के टुकड़े को ले लिया? और वो इक़रार करते हुए जवाब देते है|  उसके बाद फिर अल्लाह पूछता है, मेरे बंदे ने क्या कहा?  वो कहते है उसने आपकी तारीफ की और कहा:  “इन्ना लिल्लाहि वा इन्ना इलैयही राज़ी’उन”  हम अल्लाह ही के है और हमे अल्लाह ही की तरफ लौट कर जाना है|  अल्लाह फरमाता है: मेरे बंदे के लिए जन्नत में एक घर बनाओ और उसका नाम रखो बैतुल ‘हम्द (तारीफ का घर)|  अगर आपके पास समय है तो इसे भी पढ़ सकते है  Safar ki Dua Fatiha ka Tarika in Hindi Nazar Ki Dua Hasbunallahu Wa Ni Mal Wakeel Dua  Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon कब पढ़ा जाता है ये दुआ ज़िन्दगी में 2 मौकों पर ज़रूर पढ़ो  जब कोई मुसलमान दुनिया से अलविदा हो जाए अल्लाह पाक ने हर एक इंसान में जज़्बात और दिलों में दर्द डाला है| ये दर्दमन्द हो जाता है खास तौर पर अपना या कोई जानने वाला इस दुनिया से चला जाता है| तो बड़ा अफ़सोस और ग़म होता है|  जब किसी पर सख्त़ मुसीबत और आफत आन पड़े कोई मुसलमान अगर किसी सख़्त मुसीबत या आफ़त में मुबतिला हो गया है तो उसे इन हालात की क़तई शिकायत नही करनी चाहिए| बल्कि अस-साबिरून बनकर अल्लाह से दुआ करते रहना चाहिए के अल्लाह उसपर रहम ज़रूर करेगा |  Innalillahiwainnailaihirojiun Meaning ज्यादातर समय, हम असली सच्चाई को समझने और जानने के बिना कुरआन शरीफ पारा को पढ़ते हैं। इस प्रकार, अगर हम inna lillahi wa inna ilayhi rajioon के अर्थ को गहराई से देखते हैं, तो हमें बड़ी व्याख्या और समझ मिलेगी।  यहां हर शब्द का अर्थ निचे दिया गया है  इन्ना लिल लाहि व इन्ना इलैहि रजिऊन  हम अल्लाह ही के है और हमे अल्लाह ही की तरफ लौट कर जाना है|  Inna:  meaning Truly, Indeed, surely, verily ‘we’.  Lillahi:  We belong to Allah. Wa Inna: Wa means ‘and’; Inna means ‘indeed, we’ Ilayhi: means ‘towards Him’. Rajioon: means ‘Return’. Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon in Arabic Text إِنَّا لِلَّٰهِ وَإِنَّا إِلَيْهِ رَاجِعُونَ  Inna Lillahi wa inna ilayhi raji’un (most commonly used). innalillahiwainnailaihirojiun inna lillahi wa inna ilayhi rajioon inna lillahi wa inallah rajioon inna lillahi wa inna ilaihi raji un inna lillahi wa inallah-e-raji’oon ina lilah waina allah rajiun Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon Full Dua Inna Lillahi Wa Inna ILayhi Rajioon إِنّا للهِ وَإِنَا إِلَـيْهِ رَاجِِعُـونَ ، اللهُـمِّ اْجُـرْني فِي مُصِـيبَتي، وَاخْلُـفْ لِي خَيْـراً مِنْـها  Inna lillahi wa Inna ilayhi rajioon, Allahumma ajirni fi museebati wakhluf li khayran minha            New Nazar ki Dua (2021) | नजर उतारने की दुआ अस्सलामो अलैकुम नाजरीन आज हम इस पोस्ट में बताऐंगे Nazar ki Dua के बारे में जिन लोगो को नज़र लगती है उन्हें निचे दिए गए दुआ को आप पढ़ेंगे तो आपको इंशाअल्लाह नज़र नहीं लगेगी और साथ ही Nazar ki Dua का बहुत बड़ी फजीलत है इस पोस्ट को लास्ट तक जरूर पढ़े और अपने दोस्तों के साथ शेयर करे|  आजकल देखा गया है कि किसी पर नजर का असरात नजर आते हैं। किसी बच्चे पर नजर लग जाना आज कल आम बात हो गई है या फिर किसी के व्यपार पर नजर लगना भी आम बात हो गई है। ख्वातीन पर भी नजर का होना अक्सर देखा गया है। आज हम आप सभी भाइयों और बहनों को बताने जा रहे हैं कि यह नजर को खत्म कैसे करें या इसके लिए वजीफा क्या होगा।  सबसे पहले हम यह जान लें कि यह नजर होती किन-किन वजह से है। खूबसूरत ख्वातीन, खेलता हुआ बच्चा, शादीशुदा नया जोड़ा, और किसी का अच्छा चलता हुआ व्यापार पर अक्सर लोग नजर लगा देते हैं।  नजर एक बुरी एनर्जी के रूप में देखी जा सकती है जो इंसान को बहुत बीमार कर देती है। इंसान या तो व्यापार में घाटा खा लेता है। और जिस इंसान पर नजर होती है वह बीमार रहने लगता है कोई भी काम नहीं बनता भूख प्यास नहीं लगती। तो आज हम उसी नजर को निकालने या उतारने या उसे दूर करने का उपाय या वजीफा बताने जा रहे हैं।  बुरी नज़र, शैतान के हमले, हर जहरीले जानवर से और हर नुकसान पहुँचाने वाली चीज़ों से बचने की दुआ।  Nazar ki Dua | नजर उतारने की दुआ यदि किसी को बुरी नजर लग गई हो तो उसे परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस बला को दूर करने के लिए बुरी नजर की दुआ को पढ़ें, जो कुरआन के सहीह अल-बुखारी 3371 में फरमाया गया है। यह बच्चों पर गंदी और बड़ी से बड़ी बुरी नजर उतारने के लिए आजमाया हुआ नुस्खा है। कुरआने पाक से ली हुई बेहद मुजर्रब आयत है।  यह हदिस इस प्रकार हैः-  इब्ने अब्बास (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है कि, रसूलअल्लाह अल्लाह से हुसैन व हसन (रजी अल्लाहु अन्हु) के लिए तलब किया करते थे और फरमाते थे कि “तुम्हारे बुजुर्ग दादा इब्राहिम (अलैहि सलाम) भी इस्माइल और इस्हाक (अलैहि सलाम) के लिए इन्ही कलीमात के जरिये अल्लाह की पनाह माँगा करते थे।”  निचे इस दुआ को पढ़े  nazar ki dua nazar utarne ki dua Nazar ki Dua in Arabic أَعُوذُ بِكَلِمَاتِ اللَّهِ التَّامَّةِ مِنْ كُلِّ شَيْطَانٍ وَهَامَّةٍ وَمِنْ كُلِّ عَيْنٍ لامَّةٍ  Nazar ki Dua in English “A’oodhu Bikalimatillahi-Tammatti Min Kulli Shaytaanin Wa Hammatin Wamin Kulli ‘Aynin Lammatin.”  Nazar ki Dua in Hindi अवज़ू बि-कलिमातील्लाही तमात्ति मीन कुल्ली शैतानींन व हम्मातींन वा-मिन कुल्ली अयेनिन लामातिन।  Nazar ki Dua in Meaning मैं पनाह मांगता हु अल्लाह की पुरे पुरे कलिमात के जरिए, हर शैतान से और हर ज़हरीले जानवर से और हर नुकसान पहुँचाने वाली नज़र-ए-बद्द से।  Main panaah mangta hun Allah ki purey purey kalamat ke jariye, har shaitan se aur har zahreele janwar se aur har nuqsaan pahunchaney waali Nazar-e-Badd se.  इसे 11 बार पढ़कर जिस किसी की नजर उतारनी हो उसपर दम करें। ऐसा जुम्मे की नमाज के बाद लगतार सात दिनों तक इस्तेमाल किया जाना चाहिए। वैसे बच्चा जबतक बुरी नजर से बेअसर नहीं हो जाए तबतक इसे पढ़ें। इसके लिए पहले वजू बनाना जरूरी है।  दुआ को पढ़ने से पहले और आखिर में तीन-तीन मर्तबा दुरूद-ए-पाक को अवश्य पढ़ें। ऐसा करने पर इंशा अल्लाह की मेहरबानी से बुरी नजर से निजात मिल जाती है।  Nazar ki Dua for Babies कई मर्तबा लोगो के पास क़ुरान शरीफ का इल्म सही से न होने की वजह से Nazar ki Dua नहीं मिलती है| अगर आपको arabic या उर्दू का पूरा इल्म नहीं है तो आप Nazar ki Dua भी हासिल कर सकते है| और दिनभर में एक बार इस दुआ को ज़रूर पढ़े ताकि आप कभी भी किसी बुरी नज़र का शिकार नहीं होंगे  अगर आपको लगता है की आपके कारोबार पर, घर पर या फिर शादी पर किसी ने नज़र लगा दी है और सारी बरकत कम हो गयी है तो आप Nazar ki Dua in Quran का इस्तेमाल करे. आपको बहुत जल्द इसका फायदा हासिल होगा. इंशा अल्लाह जैसे ही आप कसरत से ये दुआ पढ़ेंगे आपकी हर तकलीफ और नज़र से पैदा हुई हर परेशानी हल हो जाएगी।  Nazar ki Dua for Babies in English “Bismillahi Arqika Min Kulli Shayin Yu’ Zika Min Hasadin Hasidin Wa Kuli Ainin Was Mul Laahi Yash Fika”  21 मर्तबा इस दुआ को पढ़े और जिस किसी को भी नज़र लगी हो उसके ऊपर दम करे. इंशा अल्लाह, बहुत जल्द वो इस परेशानी से बरी हो जायेगा.        नमाज़ में पढ़े जाने वाले Dua e Masura in Hindi 2021 दोस्तों नमाज़ क़ुरान में आप का वेलकम है , आज के इस पोस्ट में हम बात करने वाले है नमाज़ के दरमियान पढ़ी जानी वाली Dua E Masura के बारे में। ये वो दुआ है जो नमाज़ में पढ़ी जाती है और इस दुआ को सीखना हर मुसलमान पर फर्ज है। जो निचे अच्छी तरह से सिखाया गया है।  दुआ ए मासुरा क्या है ? (What is Dua e Masura) Dua e Masara नमाज़ कम्पलीट होने से पहले पढ़ते है यानि जब हम अत्तहियात पढ़ लेते है फिर Darood e Ibrahim पढ़ते फिर उसके बाद दुआ इ मासुरा पढ़ते है , फिर उसके बाद सलाम फेरते है।  Dua e Masura हर मुसलमान को याद होना चाहिए। लेकिन अगर किसी वजह से दुआ याद नहीं है तो इसकी जगह पर कोई दूसरी दुआ भी पढ़ सकते है। या आपके पास टाइम कम है तो इस स्थिति में दुआ मासुरा छोड़ सकते है फिर भी आपकी नमाज़ हो जाएगी।  दुआ इ मासुरा आपको याद करने के लिए मैंने हिंदी ,अरबी, इंग्लिश में लिखा है आप जिसमे भी कम्फर्टेबले है याद कर सकते हो। अगर आपको पहले से याद हो तो एक बार फिर से पढ़कर देख लो आप कोई गलती तो नहीं कर रहे है।  इस पोस्ट में आपको दुआ इ मासुरा के तर्जुमा भी याद करने को मिलने वाला है। जब आप दुआ या क़ुरान की आयत मतलब समझ कर पढ़ते है तब आपको ज्यादा सवाब मिलता है और साथ ही हमारा दिल भी पढ़ने में लगता है।  दुआ इ मासुरा Arabic में (Dua e Masura in Arabic Text) dua e masura in arabic text with white backround Dua e Masura in Arabic Text दुआ इ मासुरा हिंदी में (Dua e Masura in Hindi) dua e masura in hindi with white background image Dua e Masura in Hindi दुआ इ मासुरा English में (Dua e Masura in Roman English) dua e masura in roman english with white background image Dua e Masura in English दुआ ए मासुरा तर्जुमा – Dua e Masura With Meaning अर्थ- ए खुदा हमने अपने पर बहुत अधिक जुल्म किया है, और हमारे गुनाहों को तेरे सिवा कोई माफ नहीं कर सकता, हमारी यह ख्वाहिश है, की तू हमे माफ कर दे। हम पर तु अपना रहम फरमा, तू बड़ा माफ करने वाला और सबपर रहम करने वाला है। अपना रहमोकरम हम पर भी अदा कर।  दुआ ए मासुरा की फायदे (Dua e Masura Benefits) इस्लाम धर्म मे बहुत सारी दुआए हैं, और हर दुआ का मतलब अलग अलग है, और इन्हे पढ़ने से होने वाले फायदे भी अलग अलग है , लेकिन आज दुआ ए मासुरा के फायदे के बारे में बात करेंगे।  दुआ ए मासुरा अपनी गलतियों को अल्लाह ताला से माफी मांगने के लिए पढ़ा जाता है। अगर इस दुआ को सच्चे मन से पढ़ते है तो खुदा आपके सारे गुनाहो को माफ़ कर देता है। बहुत सारे मुसलमानो का मानना है, Dua e Masura को पढ़ने से एक नई ताजगी महसूस होती है, इसलिए आप भी इस दुआ की आदत बना लीजिए। माना जाता है की इस दुआ को पढ़ने से घर में बरकत आती है, और सारे बिगड़े हुए काम बनने शुरू हो जाते हैं। यदि आपका भी कोई ऐसा काम है, जो नहीं बन पा रहा है, तो आप इस दुआ को रोजाना नमाज़ खत्म होने से पहले जरूर पढा करें। ऐसा भी कहा जाता है की अगर आपको अच्छा स्वाथ्य पाना चाहते है तो नमाज़ से पहले दुआ इ मासुरा पढ़ा करे। Allahumma Inni Zalamtu Nafsi Dua क्या है? माना जाता है कि एक बार हजरत अबु बकर रजिअल्लाहो अन्हु ने हमारे प्यारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम से दरख्वास्त की, कि आप मुझे कोई ऐसी दुआ बताएं, जो मैं नमाज़ के समय पढा करूँ।  तब हमारे हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वस्सलम ने अबु बकर रजिअल्लाहो अन्हु को दुआ ए मासुरा पढ़ने के लिए कहा। तभी से इस दुआ की शुरुवात हुई।  Dua e Masura ki Hadees अब्दुल्लाह बिन अमर से रिवायत है की एक बार हजरत अबू बकर रजिअल्लाहो अन्हु ने आप सल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम की खिदमत में हाजिर हुए और पूछा या रसूल अल्लाह मुझे ऐसी दुआ सिखा दीजिये जो मै नमाज़ में पढ़ा करूँ तो नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वस्सल्लम ने उन्हें दुआ ए मासुरा सिखाई।  Frequently Asked Questions (FAQs) नमाज़ में दुआ ए मासुरा कब पढ़ी जाती है? जब हम लोग नमाज़ पढ़ते वो फ़र्ज़ नमाज़ हो सकता है या सुन्नत भी हो सकता है कोई भी नमाज़ पढ़ते है तो जब 2 रकात पढ़ते के बाद बैठते है जिसमे अत्तहिय्यत पढ़ते है फिर दरूदे इब्राहिम पढ़ते है फिर उसके बाद हम लोग दुआ इ मासुरा पढ़ते है फिर सलाम फेलते है।  दुआ ए मसुरा कैसे पढ़ा जाता है? जिस तरह से नमाज़ में तहय्यात या फिर दरूदे इब्राहिम पढ़ते है उसी तरह दुआ इ मासुरा दुआ भी पढ़ते है लेकिन ये दुआ याद नहीं है तो कोई दूसरा दरूद शरीफ भी पढ़ सकते है।  क्या बिना दुआ ए मासुरा पढ़े नमाज़ पूरी नहीं होगी? ये जरुरी नहीं है की दुआ ए मासुरा याद नहीं है तो नमाज़ नहीं होगा ऐसा कही पे भी लिखा नहीं है। बल्कि इसके बदले कोई दूसरा दुआ भी पढ़ सकते है।

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